रूस-यूक्रेन युद्ध से आसमान छूने लगे गेहूं-आटा के भाव, कीमतों में छहगुना उछाल

रूस-यूक्रेन युद्ध से आसमान छूने लगे गेहूं-आटा के भाव, कीमतों में छहगुना उछाल

पूरी दुनिया पहले ही रूस और यूक्रेन के युद्ध की वजह से अनाजों के बढ़े हुए दाम से परेशान थी, यूक्रेन से अनाज निर्यात न करने की रूस की घोषणा ने गरीब देशों की चिंताएं और गहरा दी हैं. एक्सपर्ट कह रहे कि आने वाले समय में रूस के इस निर्णय का प्रभाव वैश्विक बाजारों

पूरी दुनिया पहले ही रूस और यूक्रेन के युद्ध की वजह से अनाजों के बढ़े हुए दाम से परेशान थी, यूक्रेन से अनाज निर्यात न करने की रूस की घोषणा ने गरीब देशों की चिंताएं और गहरा दी हैं. एक्सपर्ट कह रहे कि आने वाले समय में रूस के इस निर्णय का प्रभाव वैश्विक बाजारों में देखने को मिलेगा. जिसकी पहली झलक एशिया बाजार में पिछले दिनो दिख चुकी है. एक दिन में गेहूं के भाव छह फीसदी बढ़ गए.
गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन को विश्व में अनाज पैदा करने और उसे निर्यात करने के मामले में अव्वल माना जाता रहा है. युद्ध के बाद से पूरे विश्व में अनाज निर्यात प्रभावित होने लगा. इस प्रभाव को कम करने के लिए यूनाइटेड नेशन और तुर्की की मध्यस्था के चलते दोनों देश विश्व में काला सागर मार्ग से अनाज निर्यात करने के लिए समझौता कर चुके थे, जिससे गरीब देशों में अनाज का संकट कम हो गया था लेकिन जब पिछले दिनो यूक्रेन ने रूस के काला सागर बेड़े के जहाजों पर ड्रोन से अटैक कर दिया तो रूस ने अनाज निर्यात समझौते को तोड़ने का ऐलान कर दिया. पूरा विश्व पहले ही मुद्रास्फीति, ब्याज दर वृद्धि से परेशान हैं, अब महंगे अनाज से नई मुसीबतें पैदा हो गई हैं.
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान के डेविड लैबोर्डे का मानना है कि अनाज का बाजार रूस के इस निर्णय से प्रभावित हो रहा है. अनाज की कीमतें 5 % से 10% तक आसमान छू रही हैं. अमेरिकन गवर्नमेंट के डेटा के अनुसार जून 2020 के बाद से फसल वायदा कारोबार ने अपनी शुद्ध मंदी को उच्चतम स्तर तक बढ़ा दिया है. गौरतलब है कि दुनिया में एक चौथाई से अधिक गेहूं और जौ फसल का निर्यात काला सागर एरिया से होकर ही गुजरता है. जिस वजह से रूस और यूक्रेन के बीच समझौता केवल 2 देशों के बीच नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण था. समझौता टूटने से बचाने के लिए यूनाइटेड नेशन और तुर्की ने अपनी तरफ से कोशिश से भी की थीं पर उसका कोई फायदा नहीं हुआ.
अब इस समझौते के टूट जाने के बाद से काला सागर के रास्ते से जाने वाले सूरजमुखी का तेल और मकई सहित कई फसलों और अनाजों के दाम अब रॉकेट से गति से भाग रहे हैं. राबोबैंक के सीनियर एनालिस्ट माइकल मैग्डोविट्ज़ का इस विषय पर कहना है कि यूक्रेन के किसान अब फसल उगाने से बचेंगे क्योंकि उनको बेचने के लिए अब मार्केट नहीं मिल पाएगा. आने वाले समय में फसल उत्पाद के लिए बहुत ही क्रिटिकल समय है. जिसके वजह से पूरा विश्व फसलों की बढ़ी हुई कीमतों से प्रभावित होगा.
दुनिया भर में खाने-पीने का सामान महंगा होता जा रहा है और खाद्य पदार्थों की कमी भी महसूस की जा रही है. लोग इन बदलते हालात का सामना करने के लिए खुद को तैयार भी कर रहे हैं. इसका मतलब ये है कि लोग अपने खाने-पीने की आदतों में बदलाव ला रहे हैं. नाइजीरिया में रहने वाले प्रीमियम ब्रेड मेकर एसोसिएशन के अध्यक्ष इमैनुअल ओनुओरा को राजनीति में कम दिलचस्पी है. वह ब्रेड बनाते हैं और उन्हें बेचना चाहते हैं लेकिन हाल के दिनों में उनके लिए ये काम करना असंभव सा हो गया है. वह कहते हैं कि पिछले एक साल में गेहूं के आटे की कीमत में 200 फ़ीसद से ज़्यादा का इज़ाफ़ा हुआ है. चीनी के दाम भी 150 फ़ीसद से ज़्यादा बढ़ गए हैं. और अंडे जिन्हें हम बेकिंग में इस्तेमाल करते हैं, उनकी कीमतों में 120 फ़ीसद की बढ़ोतरी हो चुकी है. महामारी के बाद ख़राब फसल और बढ़ी मांग की वजह से दुनिया भर में गेहूं और वनस्पति तेल के दाम बढ़ गए. इसके बाद यूक्रेन पर हमला होने से स्थितियां और ख़राब हो गयीं.

Posts Carousel

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

Latest Posts

Follow Us