उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में कीवी की खेती से मालामाल हो रहे किसान

उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में कीवी की खेती से मालामाल हो रहे किसान

हमारे देश के किसान पहले सिर्फ पारंपरिक खेती को ही विश्वसनीय मानते थे, लेकिन बदलते वक़्त और बाज़ार में विदेशी सब्जी और फलों की डिमांड को बढ़ता देख किसानों ने नई-नई फसलों को अपनाना शुरू कर दिया है. कई फल ऐसे हैं जिनकी भारत में डिमांड होने की वजह से उन्हें विदेश से आयात किया

हमारे देश के किसान पहले सिर्फ पारंपरिक खेती को ही विश्वसनीय मानते थे, लेकिन बदलते वक़्त और बाज़ार में विदेशी सब्जी और फलों की डिमांड को बढ़ता देख किसानों ने नई-नई फसलों को अपनाना शुरू कर दिया है. कई फल ऐसे हैं जिनकी भारत में डिमांड होने की वजह से उन्हें विदेश से आयात किया जाता है. इनकी भारी डिमांड को देखते हुए भारतीय किसानों ने भी इन फलों की खेती करना शुरू कर दिया है. इससे किसान की मोटी कमाई भी हो रही है. पहले भारत में यह फ्रूट न्यूजीलैंड से मंगवाया जाता था. कीवी, न्यूजीलैंड के मुख्य फलों में से एक है, लेकिन भारत के बड़े शहरों में इसकी मांग में तेजी से वृद्धि होती जा रही है. भारत में काफी पहले इसकी खेती की गई थी, लेकिन फसल ख़राब आने की वजह से किसानों ने इसकी खेती को जारी नहीं रखा. सबसे पहले बैंगलुरु शहर में वर्ष 1960 में इस फल की खेती की गई थी. यहाँ की जलवायु अनुकूल न होने की वजह से फसल अच्छी नहीं हुई थी. इसके बाद देश की राजधानी दिल्ली के नजदीक गुडगाँव में भी कीवी की खेती की गई पर परिणाम अच्छा नहीं रहा. हालाँकि अब देश के पहाड़ी और ठंडे प्रदेशों हिमाचल, उत्तराखंड में इस फ्रूट की खेती सफलतापूर्वक की जा रही है.
हिमाचल के जिला चंबा के बागवान कीवी से किस्मत बदलने लगे हैं. साहो, मंगला, मैहला, सरू व चंबी क्षेत्रों में बागवान कीवी की खेती कर रहे हैं। जिले में हर वर्ष 50 से 60 क्विंटल कीवी का उत्पादन होने लगा है. बागवान कृष्ण चंद व चैल लाल बताते हैं कि वे हर साल पांच से 10 क्विंटल कीवी का उत्पादन कर रहे हैं. बागवानी विशेषज्ञ डा. प्रमोद कहते हैं कि चंबा में 80 से 100 बेलों से बागवान 50 से 60 क्विंटल कीवी का उत्पादन कर रहे हैं. वे कीवी की खेती से हर वर्ष चार से पांच लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं।
उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के सामा गाँव के 72 वर्षीय भगवान सिंह साल 2009 में एक सरकारी स्कूल के हेड मास्टर की पोस्ट से रिटायर होने के बाद कीवी की खेती करने लगे. किसान परिवार से होने के नाते, उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान ही तय कर लिया था कि वह खेती करेंगे लेकिन, खेती में भी वह कुछ अलग करना चाहते थे. हमेशा से ही बागवानी के शौकीन रहे भवान सिंह को 2004-05 में, उत्तराखंड के कुछ किसानों के साथ हिमाचल प्रदेश में, कीवी उगाने वाले किसानों से मिलने का मौका मिला. उन्होंने कीवी की खेती के बारे में सभी जानकारियां जुटाईं. हिमाचल प्रदेश से लौटकर वह कीवी के तीन-चार पौधे अपने साथ ले आये. तीन-चार सालों में ये कीवी के पौधे तैयार हो गए और इन पर फल भी लगने लगे. इस सफलता के बाद, भगवान सिंह ने कीवी की खेती में आगे बढ़ने का फैसला किया. साल 2008 में, उन्होंने हिमाचल से कीवी के कुछ और पौधे लाकर अपने खेतों में लगा दिए. रिटायरमेंट के बाद, वह अपना पूरा समय कीवी की खेती में देने लगे.
हिमाचल प्रदेश स्थित डॉ. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्टरी में बतौर प्रमुख वैज्ञानिक कार्यरत, डॉ. विशाल एस. राणा कई सालों से कीवी पर शोध कर रहे हैं. वह बताते हैं, कीवी फल स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद होता है. इसमें विटामिन-सी प्रचुर मात्रा में होती है और हृदय रोगियों को इसे जरूर खाना चाहिए. इम्युनिटी बढ़ाने में भी यह मददगार है और इसलिए अच्छा है कि हमारे देश में इसका उत्पादन बढ़े. आज भी हमारे यहां कीवी काफी ज्यादा मात्रा में विदेशों से आ रहा है लेकिन, अगर ज्यादा से ज्यादा किसान कीवी की खेती से जुड़ेंगे, तो यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छा रहेगा.
भगवान सिंह बताते हैं कि उन्होंने लगभग डेढ़ हेक्टेयर में 600 कीवी के पौधे लगाए हैं. इनमें से लगभग 350 पौधे फल देते हैं और अन्य अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं क्योंकि उन्होंने अपनी पूरी जमीन पर, एक बार में नहीं, बल्कि थोड़े-थोड़े कर के कई बार में, कीवी के ये पौधे लगाये हैं. उन्होंने बताया कि मैंने सोचा, एक बार में जोखिम उठाने से अच्छा है, धीरे-धीरे आगे बढ़ा जाए. इसलिए, मैंने शुरुआत में लगभग 100 ही पौधे लगाए और हर साल इनकी संख्या बढ़ाता रहा. अब मुझे कीवी की खेती की अच्छी जानकारी हो गई है. साथ ही, अब मैं कीवी के पौधे भी तैयार करता हूँ. समुद्र तल से 1000-2000 मीटर की ऊंचाई वाले स्थानों पर, कीवी उगाई जा सकती है. इसकी कई किस्में होती हैं, जिनका आकार और स्वाद अलग-अलग हो सकता है. कीवी को कटिंग और बीज, दोनों तरीकों से उगाया जा सकता है. हालांकि, दोनों ही तरीकों में बहुत ध्यान से काम करना पड़ता है क्योंकि इसके पौधे आसानी से नहीं पनपते हैं. अगर कोई किसान अपने यहां कीवी लगाना चाहता है, तो उसे दो बातों का ख़ास ध्यान रखना चाहिए. एक- लाइन में कीवी के पौधों के बीच की दूरी, पांच से छह मीटर होनी चाहिए और दो – लाइन के बीच की दूरी, चार से पांच मीटर होनी चाहिए.
ज्यादा तापमान वाले क्षेत्रों में कीवी की खेती करना संभव नहीं, जहाँ ज्यादातार ठंडा मौसम रहता है वहीं पर इस फ्रूट का सफल उत्पादन किया जा सकता है. जहां सामान्यतः तापमान 30 डिग्री से ऊपर नहीं जाता वहां कीवी की खेती की जा सकती है. देश के पहाड़ी व ठंडी जलवायु वाले राज्य में किसान इसकी खेती कर रहे हैं. जम्मू कश्मीर, नॉर्थ ईस्ट, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, केरल, कर्नाटक जैसे राज्यों में इसकी खेती की जाती है. यहाँ के किसान इसकी खेती कर अच्छा धन अर्जित कर रहे हैं. कीवी के लिए समुद्र से 900 से 1800 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद बाग सबसे बेहतर होते हैं. जो इलाके सेब के उत्पादन के लिए गर्म तथा नींबू-आम जैसी प्रजाति के लिए ठंडे हैं, वहां कीवी की खेती की जा सकती है. उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में कीवी बड़े पैमाने पर उगाई जा रही है. जम्मू कश्मीर में एप्पल टावर के नाम से मशहूर उत्तरी कश्मीर का सोपोर अब कीवी का गढ़ बनता जा रहा है. सोपोर कस्बे के कई किसानों ने कीवी की खेती शुरू कर इलाके में नई परंपरा शुरू कर दी है. कीवी की फसल के शानदार नतीजे सामने आ रहे हैं. साल 1987 में प्रयोग के तौर पर एक व्यक्ति ने कीवी के पौधे लगाए थे, कश्मीर के कई इलाके में राज्य सरकार के बागवानी विभाग ने नर्सरी की स्थापना की है. पाटन, बारामूला, उरी और नवपोरा में नर्सरी में कीवी के पौधे तैयार किए जा रहे हैं.
उत्तरी कश्मीर के कई इलाकों में किसानों ने कीवी के बागान लगा लिए हैं. अगर बात एक किसान के छोटे खेत से कीवी की उपज की करें तो वह सालाना 300 बॉक्स तक कीवी उपजा लेते हैं. एक नर्सरी में अगर कीवी के 100 पौधे होते हैं तो उससे ढाई सौ से अधिक बक्से कीवी तैयार हो जाते हैं. कीवी एक ऑर्गेनिक फल है. इस पर कोई पेस्टिसाइड या केमिकल का प्रयोग नहीं किया जाता. कीवी के पौधे को बीमारियां भी नहीं लगती है, इस वजह से कश्मीर में किसानों को कीवी की फसल रास आने लगी है. पौष्टिकता से भरपूर कीवी फल को लोग बड़े पसंद से खाते हैं. इसमें कई तरह के विटामिन की प्रचुर मात्रा होती है. कोरोनावायरस संकट और डेंगू जैसी बीमारी के दौर में कीवी की बिक्री काफी बढ़ जाती है. कीवी विटामिन सी का बड़ा स्रोत माना जाता है. हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में कीवी बड़े पैमाने पर उगाई जा रही है.

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