हिजाब : ‘तानाशाह मुर्दाबाद’ के नारों के बीच ख़ामेनेई कहा- इस्लामिक देश एक हों !

हिजाब : ‘तानाशाह मुर्दाबाद’ के नारों के बीच ख़ामेनेई कहा- इस्लामिक देश एक हों !

ईरान में हिजाब के ख़िलाफ़ हुए विरोध प्रदर्शनों को लेकर एक बार फिर इस देश के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने चेतावनी जारी की है. इस बार उन्होंने कड़ा संदेश देने के साथ इस्लामिक देशों को एकजुटता दिखाने की अपील की है. सरकारी टीवी चैनल पर दिए भाषण में जहाँ उन्होंने कहा कि ईरान

ईरान में हिजाब के ख़िलाफ़ हुए विरोध प्रदर्शनों को लेकर एक बार फिर इस देश के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने चेतावनी जारी की है. इस बार उन्होंने कड़ा संदेश देने के साथ इस्लामिक देशों को एकजुटता दिखाने की अपील की है. सरकारी टीवी चैनल पर दिए भाषण में जहाँ उन्होंने कहा कि ईरान एक शक्तिशाली पेड़ है, जिसे कोई डिगा नहीं सकता है. वहीं ट्विटर पर उन्होंने मुस्लिम देशों से अपील की है कि वो साथ आएं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, ख़ामेनेई ने कहा, “जो पेड़ अंकुरित होकर खड़ा हुआ था वो अब एक शक्तिशाली पेड़ है और कोई उसे उखाड़कर फेंक सकता है, इसके बारे में उसे सोचने की भी हिम्मत नहीं करनी चाहिए.” ईरान में कुर्द महिला महसा अमीनी की मौत के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. हिजाब न पहनने को लेकर महसा अमीनी को मॉरैलिटी पुलिस ने हिरासत में लिया था जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी.
ईरान में 1979 में इस्लामिक क्रांति के बाद ये प्रदर्शन सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द बन गए हैं जिसके बाद ईरान के सर्वोच्च नेता तक को बयान देना पड़ा है. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने इस्लामिक देशों में एकता की अपील की है. उन्होंने ट्वीट में लिखा, “इस्लामिक देशों में एकता संभव है लेकिन उसके लिए काम करने की ज़रूरत है. हमारी इस्लामिक देशों के राजनेताओं और शासकों में उम्मीद ख़त्म नहीं हुई है लेकिन हमारी सबसे बड़ी उम्मीद उसके अभिजात वर्ग से है, जिसमें धार्मिक स्कॉलर, बुद्धिजीवी, प्रोफ़ेसर, समझदार युवा, कवि, लेखक, प्रेस आदि हैं.” (Unity between Islamic nations is possible but needs work. We have not lost hope in the politicians & rulers of Islamic countries but our greatest hope is in their elites: religious scholars, intellectuals, professors, discerning youth, poets, writers, the press, etc.)
ख़ामेनेई के अकाउंट से सिलसिलेवार कई ट्वीट किए गए हैं जिनमें से एक ट्वीट में वो कह रहे हैं, “मुस्लिम राष्ट्र हाल में जो पीड़ित हैं वो अपने विभाजन की वजह से हैं. जब हम बँटे होते हैं, एक-दूसरे की फ़िक्र नहीं करते हैं और यहाँ तक कि हर वक़्त एक-दूसरे के दुश्मन बने रहते हैं तो यही होता है. क़ुरान कहता है- ‘जब आप विभाजित होते हैं, तो आपको अपमानित किया जाएगा.’ इसलिए आप दूसरों को अपने ऊपर हावी होने में मदद करते हैं. दुश्मन आज मुसलमानों के बीच में एकता नहीं चाहता है. यहूदी शासन इस क्षेत्र में कैंसर के सेल बना रहा है ताकि इस्लाम के ख़िलाफ़ पश्चिम की दुश्मनी का इसे केंद्र बनाया जाए. वे हत्यारे, क्रूर यहूदियों को लेकर आए और एक फ़र्ज़ी सरकार बनाकर फ़लस्तीनियों का दमन किया. दुश्मन कुछ ऐसा करने के लिए काम कर रहे हैं ताकि ये यहूदी शासन जो एक कैंसर सेल है वो फिर कभी ‘दुश्मन’ न कहलाए. वो इस क्षेत्र के देशों के बीच में बहुत अधिक फूट पैदा करना चाहते हैं. ये सामान्यीकरण मुसलमानों के ख़िलाफ़ विश्वासघात के सबसे बड़े कामों में से एक है.”
एक और ट्वीट में ख़ामेनेई ने लिखा, “मुसलमानों के बीच एकता का मतलब है कि इस्लामिक राष्ट्रों के हितों की रक्षा के लिए एक होना. बातचीत के दौरान सबसे पहले हम दुश्मनों और दोस्तों और इस्लामिक राष्ट्र के हितों को पहचानें और क्या क़दम उठाने हैं उस पर सहमत हों. ये अभिमानी शक्तियों की योजना के ख़िलाफ़ एक होकर काम करना है.” (Unity between Muslims means being united in protecting the interests of the Islamic nation. During talks, let’s 1st identify the enemies, the friends, the interests of the Islamic nation, & agree on stances to be taken. This is acting in unity against the Arrogant Powers’ plans.)
ख़ामेनेई ने एक ट्वीट में मुसलमानों के दो संप्रदायों शिया और सुन्नी को भी संबोधित करते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, “इस्लामिक दुनिया में जो भी फूट पैदा कर रहे हैं वो दुश्मन के लिए काम कर रहे हैं. हमने उन लोगों को कड़ा जवाब दिया है जिन्होंने शियाओं को समर्थन देने के नाम पर सुन्नी भाइयों की भावनाओं को भड़काया है. इसमें कोई शक नहीं है कि दोनों तरफ़ से कुछ लोग ज़्यादती कर देते हैं.”
ईरान में भारी विरोध प्रदर्शन जातीय अल्पसंख्यकों वाले प्रांत में अधिक देखे गए हैं. इनमें उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के कुर्द और दक्षिण-पूर्व बलूच शामिल हैं. वो काफ़ी समय से ईरान के सामने अपनी मांगें रखते रहे हैं. मानवाधिकार समूहों का कहना है कि प्रदर्शनों के ख़िलाफ़ कार्रवाई में 200 से अधिक लोगों की मौत हुई है, जिनमें नाबालिग लड़कियां भी शामिल हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि प्रदर्शनों में कम से कम 23 बच्चों की मौत हुई है. देज़फ़ुल में भारी पुलिस बल तैनात किया गया था. रॉयटर्स के मुताबिक़, एक चश्मदीद ने बताया कि तेल से समृद्ध और अरब मूल की आबादी वाले प्रांत ख़ुज़ेस्तान में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन बुलाया था.
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में प्रदर्शनकारी ख़ुज़ेस्तान की राजधानी अहवाज़ में ‘तानाशाह मुर्दाबाद’ के नारे लगा रहे थे. प्रदर्शन के दौरान बासिज मिलीशिया बलों को मोटरसाइकिलों पर प्रदर्शनकारियों को बलपूर्वक पीछे ढकेलते देखा जा सकता था. एक चश्मदीद ने बताया, “यहाँ पर दर्जनों बासिजी थे. प्रदर्शनकारियों को धक्का दे रहे थे, उन्हें मार रहे थे. पुरुष, महिलाएं ‘हम कुर्दिस्तान हैं, हम लोरेस्तान हैं’ के नारे लगा रहे थे.” पाकिस्तान की सीमा से लगे सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी ज़ाहेदान में भी भारी पुलिस बल और बासिज को तैनात किया गया था. ईरान ने देश में प्रदर्शनों के लिए हथियारबंद अलगाववादियों और पश्चिमी ताक़तों समेत देश के अंदर और देश के बाहर मौजूद दुश्मनों को ज़िम्मेदार ठहराया है. प्रशासन ने इस बात से इनकार किया है कि प्रदर्शनकारियों को सुरक्षाबलों ने मारा है. सरकारी टीवी चैनल ने रिपोर्ट किया है कि प्रदर्शनों में कम से कम 26 सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई है.
हिजाब के ख़िलाफ़ हो रहे प्रदर्शनों को लेकर ईरान के अधिकतर अधिकारी समझौता करने को तैयार नहीं हैं. वहीं दूसरी ओर प्रदर्शनों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने को लेकर अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश इसकी निंदा कर चुके हैं. साथ ही वो ईरान के अधिकारियों पर नए प्रतिबंध लगाने की तैयारी में हैं. ऐसा तब हो रहा है जब 2015 के परमाणु सौदे पर दोबारा बातचीत शुरू करने की चर्चा हो रही थी. ईरान के विदेश मंत्री ने शुक्रवार को यूरोपीय संघ के शीर्ष राजनयिक जोसेफ़ बोरेल से बातचीत की. बोरेल ने ईरान से प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ तुरंत कार्रवाई बंद करने को कहा था. ईरान के विदेश मंत्री हुसैन आमिरअब्दुल्लाहियान ने बोरेल से कहा कि ईरान ने शांतिपूर्वक प्रदर्शनों की अनुमति दी है और सरकार के पास जनसमर्थन है और वो स्थिर है. सरकारी टीवी चैनल के मुताबिक़ विदेश मंत्री ने कहा, “हम सिफ़ारिश करते हैं कि यूरोपीय इस मुद्दे को यथार्थवादी दृष्टिकोण से देखें.” वहीं सरकारी टीवी चैनल ने पैग़ंबर मोहम्मद के जन्मदिन के मौक़े पर तेहरान में शनिवार को सरकार समर्थित रैलियों को दिखाया है जिसमें भीड़ ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगा रही है.

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