वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट : 2023 में भारी मंदी से हिल उठेगी भारत समेत पूरी दुनिया

वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट : 2023 में भारी मंदी से हिल उठेगी भारत समेत पूरी दुनिया

पूरा विश्व इन दिनों आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। दुनिया की अर्थव्यवस्था मंदी के चक्र में फंसती जा रही है। 2023 में मंदी विकराल रूप धारण कर सकती है।विशेषज्ञों के मुताबिक 1970 के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट है जो परेशान करने वाली है। अमेरिका, चीन और यूरोपीय देशों में मंदी का

पूरा विश्व इन दिनों आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। दुनिया की अर्थव्यवस्था मंदी के चक्र में फंसती जा रही है। 2023 में मंदी विकराल रूप धारण कर सकती है।विशेषज्ञों के मुताबिक 1970 के बाद यह सबसे बड़ी गिरावट है जो परेशान करने वाली है। अमेरिका, चीन और यूरोपीय देशों में मंदी का असर दिखने लगा है। दुनिया भर में 50 फिसदी कंपनियों ने छंटनी की तैयारियां शुरू कर दी हैं। विश्व के कई देश इन दिनों भारी मंदी की मार झेल रहे हैं। विश्व अर्थव्यवस्था लगातार लुढ़क रही है। विश्व बैंक ने इस मंदी को लेकर चिंता जाहिर किया है। 2023 मंदी विश्व अर्थव्यवस्था को हिला कर रख देगा। सबसे ज्यादा नुकसान निम्न और मध्यवर्गीय परिवारों को झेलना होगा।आखिर क्या वजह है कि अचानक विश्व के कई देश इन दिनों मंदी की मार झेल रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना और रूस यूक्रेन के युद्ध ने विश्व की अर्थव्यवस्था पर जबरदस्त प्रभाव छोड़ा है।पिछले कुछ समय से मंदी का जो का खतरा जताया जा रहा है अब उसपर वर्ल्ड बैंक की रिपेार्ट ने भी मुहर लगा दिया है।
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बैंकों की बढ़ती ब्याज दरें परेशान करने वाली हैं। दुनिया की अर्थव्यवस्था मंदी के चक्र में फंस सकती है. 2023 में मंदी आ सकती है। दुनिया के दिग्गज अर्थशास्त्री पहले ही इसका खतरा जता चुके हैं. अब वर्ल्ड बैंक की आई रिपोर्ट नौकरी-पेशा लोगों को परेशान करने वाली है. रिपोर्ट कोविड के दौरान हुई छंटनी की यादें ताजा करा देती है.
हाल में जारी हुई वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट कहती है कि ग्लोबल इकोनॉमी में सबसे बड़ी गिरावट देखी जा रही है. 1970 के बाद की यह सबसे बड़ी गिरावट है। जो परेशान करने वाली है. इसका सबसे ज्यादा असर अमेरिका, चीन और यूरोपीय देशों में देखा जा रहा है. दुनिया के इन देशों में अर्थव्यवस्था जरा भी पटरी से उतरी तो मंदी का असर दिखना शुरू हो सकता है। आसान भाषा में समझें तो दुनियाभर के केंद्रीय बैंक महंगाई से निपटने के लिए ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं. इससे कंपनियों से लेकर आप उपभोक्ता तक के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा. कर्ज की मांग घटेगी. और इसका नतीजा यह होगा कि आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार पर ब्रेक लगेगा. आर्थिक गतिविधियां जैसे-जैसे घटेंगी, मंदी कर असर दिखना शुरू होगा. कंपनी कम से कम खर्च को बचाने की कोशिश करेंगीं. इसके वजह से सबसे ज्यादा खतरा नौकरी पेशा लोगों और निम्न मध्यवर्गीय परिवारों होगा।विशेषज्ञों के मुताबिक, कंपनियों की आर्थिक रफ्तार घटने पर नौकरियां घटेंगी. प्राइस वाटर्सहाउस कूपर्स की रिपोर्ट कहती है कि, खतरे को भांपते हुए दुनियाभर की 50 फीसदी कंपनियां पहले ही छंटनी की तैयारियां कर रही हैं. 46 फीसदी कंपनियां बोनस को खत्म कर रही हैं. इतना ही नहीं, 44 फीसदी कंपनियों ने नए कर्मचारी को ऑफर देने के बाद उसे वापस ले लिया है. एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड के पहले ही साल में दुनिया के 25 करोड़ लोग नौकरी के निकाल दिए गए थे.बीबीसी ने अपनी रिपेार्ट में दुनिया की जानी-मानी डिलीवरी कंपनी फेडएक्स से जुड़ी कई अहम जानकारियां शामिल की हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने अपने निवेशकों से पैकेज डिलीवरी में भारी कमी आने की बात कही है. सबसे ज्यादा असर एशिया और यूरोप के कारोबार पर पड़ने का खतरा जताया गया है. घाटे के खतरे के बीच कंपनी के शेयर 20 फीसदी तक गिर गए. इस लिस्ट में सिर्फ फेडएक्स ही नहीं, अमेजन और रॉयल मेल जैसी कंपनियां भी शमिल हैं.रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका में जुलाई तक 30 हजार से अधिक टेक कंपनियों के कर्मचारियों की नौकरियां खत्म कर दी गई थीं. इनमें माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसी कंपनी शामिल हैं. आने वाले दिनों में यह आंकड़ा बढ़ने की आशंका बताई गई है।

Posts Carousel

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

Latest Posts

Follow Us