गुजरात के मोरबी में नदी पर बना पुल गिर गया, जिससे देर रात तक कम से कम 77 लोगों के मरने की सूचना है. बताया गया है कि 70 से अधिक लोग घायल हो गए हैं. मरने वालों में 25 से ज्यादा बच्चे हैं. प्रधानमंत्री राहत कोष से मरने वालों के परिजनों को 2 लाख
गुजरात के मोरबी में नदी पर बना पुल गिर गया, जिससे देर रात तक कम से कम 77 लोगों के मरने की सूचना है. बताया गया है कि 70 से अधिक लोग घायल हो गए हैं. मरने वालों में 25 से ज्यादा बच्चे हैं. प्रधानमंत्री राहत कोष से मरने वालों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50 हज़ार रुपये की राहत राशि देने की घोषणा की गई है.
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए 4 लाख रुपये और घायलों को 50 हज़ार रुपये की राहत राशि देने का एलान किया है. क़रीब एक सदी पुराने इस पुल को मरम्मत के बाद हाल के दिनों में लोगों के लिए खोला गया था. हादसे से जुड़े पीड़ित परिवारों के लिए ज़िला आपदा नियंत्रण कक्ष ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. अधिकारियों का कहना है कि जिनके परिवार के सदस्य अब तक लापता हैं, उनकी सूचना इस हेल्पलाइन नंबर 02822 243300 पर मालूम की जा सकती है.
पीएम नरेंद्र मोदी इस समय केवड़िया में हैं. बताया जा रहा है कि वे भी मोरबी जाएंगे. हादसे के कारणों की जांच के लिए 5 सदस्यीय SIT बनाई गई है. ब्रिज टूटने से जहां लोग गिरे, वहां 15 फीट तक पानी था। कुछ लोग तैरकर बाहर निकल आए, लेकिन कई लोग झूले पर अटके रहे. इन्हें बाहर निकाला जा रहा है. देर शाम रेस्क्यू के लिए जामनगर से वायुसेना के 50 गरुड़ कमांडो रवाना हो गए. उनके साथ 50 रेस्क्यू बोट भी भेजे गए हैं. ये गरुड़ कमांडो रात में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाएंगे.
मोरबी का यह सस्पेंशन ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना है और इसकी लंबाई करीब 765 फीट है. यह सस्पेंशन ब्रिज गुजरात के मोरबी ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है. इस ब्रिज का उद्घाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था. यह उस समय लगभग 3.5 लाख की लागत से बनकर तैयार हुआ था. उस समय इस पुल को बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही मंगाया गया था. इसके बाद इस पुल का कई बार रेनोवेशन किया जा चुका है. हाल ही में दिवाली से पहले इसके मरम्मत का काम 2 करोड़ की लागत से किया गया था. पुल नगर निगम के स्वामित्व में है. निगम के अधिकारियों ने बताया कि ब्रिज की क्षमता करीब 100 लोगों की है, लेकिन रविवार की छुट्टी होने के चलते हादसे के वक्त ब्रिज पर 400 से 500 लोग जमा थे. इसी के चलते ब्रिज बीच से टूट गया.
ब्रिज के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है. इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौता किया है. ग्रुप के पास ब्रिज की सुरक्षा, सफाई, रखरखाव, टोल वसूलने, स्टाफ का प्रबंधन है. ब्रिज का निर्माण मोरबी के राजा प्रजावत्स्ल्य सर वाघजी ठाकोर की रियासत के दौरान हुआ था. उस समय राजा राजमहल से राज दरबार तक जाने के लिए इसी पुल का इस्तेमाल करते थे. राजशाही खत्म होने के बाद इस पुल की जिम्मेदारी मोरबी नगर पालिका को सौंप दी गई थी. लकड़ी और तारों से बना यह पुल 233 मीटर लंबा और 4.6 फीट चौड़ा है.
राजकोट से बीजेपी सांसद मोहनभाई कल्याणजी कुंडरिया ने बताया कि अब तक 60 शव बरामद किए जा चुके हैं. हताहतों की संख्या बढ़ने की आशंका है. घायलों की संख्या अभी कम है. अभी पानी में डूबे लोगों की तलाश चल रही है. मरने वालों में अधिकतर बच्चे बताए जा रहे हैं. 50 से अधिक एंबुलेस 15 मिनट के भीतर ही घटनास्थल पर पहुंच गई थीं. पुल पर अधिक संख्या में लोग हो गए थे, जिस कारण पुल टूट गया. पुल पर जाने के लिए कितने टिकट काटे गए हैं, अभी उसकी जानकारी इकट्ठा की जा रही है. मिल रही ख़बरों के अनुसार पुल के गिरने के वक़्त उस पर क़रीब 400 लोग मौजूद थे. राजकोट ज़िलाधिकारी के दफ़्तर के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से जानकारी दी गई है कि मोरबी के झूलते पुल पर हुई दुर्घटना स्थल के लिए राजकोट ज़िले से 22 एंबुलेंस, 7 दमकल और छह नावें भेजी गई हैं.
हादसे पर कांग्रेस ने कहा कि चुनाव की जल्दबाजी में भाजपा ने पुल को लोगों के लिए जल्दी खोल दिया. राहुल गांधी ने घटना पर दुख जताते हुए कहा- गुजरात के मोरबी में हुए पुल हादसे की खबर बेहद दुःखद है. ऐसे मुश्किल समय में मैं सभी शोकाकुल परिवारों को अपनी गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं. सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपील करता हूं कि दुर्घटना में घायल व्यक्तियों की हर संभव सहायता करें और लापता लोगों की तलाश में मदद करें.
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