हाहाकार ! गुजरात के मोरबी पुल हादसे में 190 तक पहुंची मरने वालों की संख्या

हाहाकार ! गुजरात के मोरबी पुल हादसे में 190 तक पहुंची मरने वालों की संख्या

बीता खूनी वीकेंड दो दिन (शनिवार-रविवार) में ही भारत समेत दुनियाभर में सैकड़ों लोगों के लिए काल बनकर आया. हादसों और कार बम धमाकों में बेहिसाब मौतों ने हाहाकार मचा कर रख दिया. गुजरात में पुल गिरने से दर्जनों बच्चों समेत कम से कम 190 लोग मारे गए. अधिकृत सूचना में बताया गया है कि

बीता खूनी वीकेंड दो दिन (शनिवार-रविवार) में ही भारत समेत दुनियाभर में सैकड़ों लोगों के लिए काल बनकर आया. हादसों और कार बम धमाकों में बेहिसाब मौतों ने हाहाकार मचा कर रख दिया. गुजरात में पुल गिरने से दर्जनों बच्चों समेत कम से कम 190 लोग मारे गए. अधिकृत सूचना में बताया गया है कि पुल के नीचे और लाशें दबी हो सकती हैं. उधर, दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में हैलोवीन मनाने पहुंचे 150 से ज्यादा लोग अधिक भीड़ के कारण दम घुटने से मर गए. मोरबी (गुजरात) में छठ के मौके पर लगभग 500 लोग पुल पर एक साथ जमा हो गए, जिनका वजन पुल नहीं झेल सका. इस बीच बताया गया है कि पीएम मोदी ने आज पूर्व आयोजित अपना चुनावी रोड शो स्थगित कर दिया है. राजकोट के भाजपा सांसद के परिवार के 12 लोग हादसे में मारे गए हैं. इस बीच बताया गया है कि हादसे में मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा.


गौरतलब है कि चुनाव घोषित होने से पहले ही इन दिनो तीनो प्रमुख पार्टियों बीजेपी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के नेता वोट के नशे में दर-दर दौड़ते फिर रहे हैं. गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी के मुताबिक, पुल हादसे में अब तक 132 लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों में 50 से ज्यादा बच्चे और महिलाएं रही हैं। ब्रिज रेनोवेशन के लिए 6 महीने से बंद था, इसे 25 अक्टूबर को ही खोला गया था। इसका उद्घाटन 20 फरवरी 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने हादसे की छानबीन के लिए हाई पावर कमेटी का गठन कर दिया है. पुल प्रबंधन टीम के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 304, 308 और 114 के तहत मामला दर्ज किया गया है. ज़िला कलेक्टर और मजिस्ट्रेट कार्यालय के अनुसार 170 लोगों को रेस्क्यू किया गया है. घटना को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने मौजूदा भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. हादसे में जो लोग लापता हैं या आपदा में फंसे हैं, वे ज़िला आपदा नियंत्रण कक्ष को 02822 243300 पर सूचित कर सकते हैं.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं से राहत एवं बचाव कार्य में हर संभव मदद करने को कहा है. कांग्रेस के कुछ नेताओं ने घटना को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है. रणदीप सुरजेवाला ने इसे ‘मानव निर्मित त्रासदी’ बताया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस वाक्य को दोहराया है, जिसे उन्होंने 31 मार्च, 2016 को कोलकाता में विवेकानंद रोड फ्लाईओवर गिरने के बाद पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार पर कटाक्ष करते हुए एक रैली में इस्तेमाल किया था. पीएम ने उस हादसे पर कहा था कि भगवान ने ममता सरकार से नाराज होकर कोलकाता हादसे को अंजाम दिया है, इसलिए चुनाव में भाजपा को जिताइए. पीएम के उस बयान की अब गुजरात हादसे के बाद पूरे देश में थू-थू, लानत मलामत हो रही है.
दिग्विजय सिंह ने पीएम मोदी से सवाल करते हुए पूछा है कि ‘मोदीजी, मोरबी पुल दुर्घटना दैवीय घटना है या धोखाधड़ी का कृत्य? पुल की मरम्मत छह महीने से चल रही थी लेकिन इसे फिर से खोले जाने के पांच दिन बाद ही यह टूट गया. गुजरात में भारतीय जनता पार्टी 27 साल से सत्ता में है. इस साल जुलाई में कच्छ जिले के बिदरा गांव में पहले दिन के परीक्षण के दौरान नर्मदा नहर टूट गई, जबकि भुज में एक ओवरब्रिज, जिसे बनने में 8-9 साल लगे, उसे आम लोगों के लिए शुरू होने के एक साल के भीतर ही मरम्मत करनी पड़ीं. चुनाव की जल्दबाजी में भाजपा ने पुल को लोगों के लिए जल्दी खोल दिया.’
इस हादसे में 8 लोगों की जान बचाने वाले एक चश्मदीद कहना है कि पुल पर एक हजार से ज्यादा लोग मौजूद थे. जो तैरना जानते थे, वो तैरकर बाहर आ रहे थे. बच्चे डूब रहे थे, हमने पहले उन्हें बचाया. उसके बाद बड़ों को निकाला. पाइप के सहारे लोगों को निकालते रहे. दूसरे चश्मदीद का कहना था, वह यहां हर रविवार को चाय बेचता है. उसने लोगों को तार से लटके देखा. इसके बाद वे फिसलने लगे. वह रातभर नहीं सोया. पूरी रात लोगों को बचाने में जुटा रहा. उसका दिल तब दहल गया, जब उसने 7-8 महीने की गर्भवती महिला की लाश देखी. उसने अपनी जिंदगी में ऐसा कुछ नहीं देखा. हादसे के वक्त मौजूद चश्मदीद हसीना ने कहा- वह हादसे को शब्दों में बयां नहीं कर सकती. वहां बच्चे भी थे. वह अपने परिवार के जितने लोगों की मदद कर पाई, की. उसने लोगों को अस्पताल ले जाने के लिए अपनी गाड़ी दे दी. जिंदगी में ऐसा जानलेवा मंजर उसने पहली बार देखा.
भाजपा सांसद मोहन कुंडारिया ने बताया कि ब्रिज टूटने से जहां लोग गिरे, वहां 15 फीट तक पानी था. कुछ लोग तैरकर बाहर निकल आए, लेकिन कई लोग झूले पर अटके रहे. सड़क एवं भवन विभाग मंत्री जगदीश पांचाल ने कहा कि यह पुल नगर निगम के दायरे में आता है. निगम के अधिकारियों ने बताया कि ब्रिज की क्षमता 100 लोगों की है, लेकिन रविवार की छुट्टी होने के चलते हादसे के वक्त ब्रिज पर 400 से 500 लोग जमा थे. उधर, SDRF और NDRF की टीमों ने रातभर बचाव ऑपरेशन चलाया. अभी भी टीमें घटनास्थल पर जुटी हुई हैं. रात के वक्त सर्च लाइट्स जलाकर रेस्क्यू ऑपेशन जारी रखा गया. जब पुल गिरा तो लोग एक दूसरे के ऊपर गिरने लगे. उनमें बहुत सारे बच्चे और औरतें थीं. माछू नदी पर बना यह पुल 233 मीटर लंबा और मात्र डेढ़ मीटर चौड़ा है. इसे 1880 में अंग्रेज अधिकारियों ने बनवाया था. इसके निर्माण में ब्रिटेन से लाया गया सामान प्रयोग किया गया था. पुल कल बिना सुरक्षा प्रमाणपत्र लिए ही खोल दिया गया.
दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में शनिवार की रात देश के सबसे दर्दनाक हादसों में से एक पेश आया, जब हैलोवीन मनाने इताइवोन इलाके में हजारों लोग एक साथ पहुंच गए. भीड़ इतनी बढ़ गई कि लोग भीड़ में पिस गए और 151 लोगों की दम घुटने से मौत हो गई. इताइवोन, राजधानी सोल का एक चहल-पहल वाला इलाका है जहां दर्जनों पब और रेस्तरां हैं. कुछ लोगों के मुताबिक शनिवार को वहां करीब एक लाख लोग हैलोवीन मनाने पहुंचे थे. पिछले दो साल से कोविड के कारण सार्वजनिक उत्सव नहीं मनाए जा रहे थे, इसलिए भी लोगों की संख्या ज्यादा थी.
32 साल के सॉफ्टवेयर इंजीनियर नूहील अहमद ने मीडिया को बताया है कि पिछले साल पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित किया था लेकिन इस बार हालत अलग थी. उन्होंने कहा, “इस बार तो पागलपन था. शाम 5 बजे से ही बहुत सारे लोग सड़कों पर आ गए थे. मैं सोच रहा था कि 7-8 बजे तक क्या होगा.” उस वक्त भी कई लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि भीड़ इतनी ज्यादा है कि उन्हें असुरक्षित लग रहा है. रात करीब 11 बजे माहौल में घबराहट और तनाव बढ़ गया जब लोग एक दूसरे को धकेलने लगे. मोहम्मद ने बताया, “लोग पीछे एक दूसरे को धकेल रहे थे. यह किसी लहर जैसा था. आप कुछ भी नहीं कर सकते थे. आप हिलें भी ना, तो भी कुछ लोग आपको आगे से धकेल रहे थे और कुछ पीछे से.”
स्थानीय मीडिया के मुताबिक रात करीब साढ़े दस बजे हादसे की शुरुआत हुई, जब गली दोनों तरफ से भीड़ इतनी बढ़ गई कि ढलान से कुछ लोग गिर गए. बाकी लोगों ने खुद को बचाने के लिए पीछे वालों को और धकेलना शुरू कर दिया और सैकड़ों लोग पिस गए. उनमें से 150 लोगों की वहीं जान चली गई. सोमालिया की राजधानी मोगदिशू में भी सप्ताहांत काल बनकर आया, जब दो कार बम धमाकों ने शहर को हिला दिया. राष्ट्रपति हसन शेख महमूद ने कहा है कि शनिवार को हुए इन बम धमाकों में कम से कम सौ लोग मारे गए हैं. उन्होंने कहा कि मारे गए लोगों में “अपने बच्चों को बाहों में लिए औरतें” भी थीं. कम से कम तीन सौ लोग घायल हुए हैं.
स्थानीय मीडिया के मुताबिक अल-कायदा से संबद्ध आतंकवादी संगठन अल-शबाब ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है. पांच साल पहले ही सत्ता संभालने वाले राष्ट्रपति महमूद के मुताबिक हमलों में शिक्षा मंत्रालय को निशाना बनाया गया था. धमाके एक दूसरे के कुछ ही मिनटों के भीतर हुए. पहला हमला शिक्षा मंत्रालय के बाहर हुआ और जब वहां राहत और बचाव कार्य शुरू हुआ, तब दूसरा धमाका हुआ. यह वही जगह है जहां करीब पांच साल पहले एक बम धमाके में 500 लोगों की मौत हुई थी. अल-शबाब एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है जो सोमालिया में लगातार हमले करता रहा है. अगस्त में ही उसने मोगादिशू के एक प्रसिद्ध होटल को निशाना बनाया था. उस हमले में 21 लोगों की जान गई थी. तब महमूद ने आतंकवादियों के खिलाफ ‘संपूर्ण युद्ध’ का ऐलान किया था.

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