गोंडा में एशिया का सबसे बड़ा एथेनॉल प्लांट तैयार, क्या संवरेगी किसानों की किस्मत !

गोंडा में एशिया का सबसे बड़ा एथेनॉल प्लांट तैयार, क्या संवरेगी किसानों की किस्मत !

बढ़ते वायु प्रदूषण से मुक्ति पाने के लिए और पेट्रोल-डीजल में मिश्रण जैव ईंधन उत्पादन के क्षेत्र में सरकार तेजी से विकास कर रही है. इसीलिए देशभर में अलग अलग राज्यों में एथेनॉल प्लांट की स्थापना की जा रही है. इसी कड़ी में एशिया का सबसे बड़ा एथेनॉल प्लांट यूपी के गोंडा में बनकर तैयार

बढ़ते वायु प्रदूषण से मुक्ति पाने के लिए और पेट्रोल-डीजल में मिश्रण जैव ईंधन उत्पादन के क्षेत्र में सरकार तेजी से विकास कर रही है. इसीलिए देशभर में अलग अलग राज्यों में एथेनॉल प्लांट की स्थापना की जा रही है. इसी कड़ी में एशिया का सबसे बड़ा एथेनॉल प्लांट यूपी के गोंडा में बनकर तैयार है. इस प्लांट हर दिन 350 किलोलीटर एथेनॉल उत्पादन करने की क्षमता रखता है जो वर्तमान में बाकी प्लांट की तुलना में सर्वाधिक है.
दुनियाभर में एथेनॉल बेस्ड पेट्रोल-डीजल की मांग बढ़ रही है. एथेनॉल की उत्पादन प्रक्रिया में फसल या खाद्य पदार्थों के अपशिष्ट या अन्य चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, इससे वायु प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलती है. एथेनॉल के कई फायदों के चलते इसके इस्तेमाल पर कई देश तेजी से काम कर रहे हैं. भारत में भी एथेनॉल प्लांट की तेज गति से शुरुआत की जा रही है. केंद्र सरकार ने देशभर में करीब 199 प्लांट स्थापित करने की मंजूरी दे रखी है.
रिपोर्ट के अनुसार यूपी के गोंडा में एशिया का सबसे बड़ा एथेनॉल प्लांट बन रहा है. 65 एकड़ में फैले इस प्लांट का शुभारंभ योगी आदित्यनाथ ने पिछले साल किया था. इस एथेनॉल प्लांट को बनाने में करीब 455.84 करोड़ रुपये की लागत आई और यह प्लांट प्रतिदिन 350 किलोलीटर से अधिक एथेनॉल प्रोड्यूस करने की क्षमता रखता है. इस प्लांट की स्थापना से गोंडा के आसपास के जिलों के 60 हजार से अधिक किसानों को फायदा मिलेगा, क्योंकि इस प्लांट के संचालन के प्रतिदिन 50 हजार क्विंटल गन्ने की आवश्यकता होगी.
उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद में एथेनॉल प्लांट चालू किया जा रहा है. ट्रायल शुरू किया जा चुका है. यहां गन्ना, ज्वार, मक्का, बाजरा, धान, गेहूं और अन्य तरह के बीजों के इस्तेमाल से एथेनॉल बनाया जाएगा. यह एथेनॉल प्लांट 25 एकड़ जमीन पर बना है. इसके अलावा द्वारकेश शुगर मिल में भी एथेनॉल प्लांट तैयार हो गया है. मिल में हर दिन 175 किलो लीटर एथेनाल बनाने का लक्ष्य है.
एथेनॉल प्लांट में गन्ना, मक्का, सूखे चावल और किसी भी खाद्यान्न के बचे हुए कचरे का उपयोग किया जाता है. इससे प्रोड्यूस होने वाले जैविक ईंधन एथेनॉल को पेट्रोल और डीजल में मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है. केंद्र सरकार ने 2030 तक भारत के पेट्रोल-डीजल की खपत का 20 फीसदी तक इथेनॉल बनाकर सम्मिश्रण करने का लक्ष्य रखा है. पीएम मोदी ने 10 फीसदी का लक्ष्य नवंबर 2022 तक रखा था, जिसे हासिल किया जा चुका है.
हरियाणा के पानीपत में स्थित इथेनॉल प्लांट को बीते अगस्त महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को समर्पित किया है. 900 करोड़ रुपये में बना यह इथेनॉल प्लांट प्रतिदिन 100 लीटर इथेनॉल बनाने की क्षमता रखता है. प्लांट के शुरु होने से दिल्ली, NCR और हरियाणा में पराली जलाने तथा अपशिष्ट से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी. इसी तरह गुजरात के सूरत में KRIBHCO की बायो-इथेनॉल परियोजना ‘कृभको हजीरा’ को बीते महीने सितंबर में शुरू किया जा चुका है.

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