अन्य देशों की तरह भारत में भी कानून के राज पर संकट

अन्य देशों की तरह भारत में भी कानून के राज पर संकट

सुप्रीम कोर्ट कहता है ‘जब संविधान ने कानून के शासन को मान्यता दे रखी है तो उसका पालन सभी को करना होगा। गरीबी रेखा से नीचे होना ऐसा कोई अपवाद नहीं है जिसके चलते कानून के शासन का पालन नहीं किया जाए। दूसरी ओर ज़मीनी सचाई ये है कि पूरी दुनिया में कानून के शासन

सुप्रीम कोर्ट कहता है ‘जब संविधान ने कानून के शासन को मान्यता दे रखी है तो उसका पालन सभी को करना होगा। गरीबी रेखा से नीचे होना ऐसा कोई अपवाद नहीं है जिसके चलते कानून के शासन का पालन नहीं किया जाए। दूसरी ओर ज़मीनी सचाई ये है कि पूरी दुनिया में कानून के शासन पर संकट है. रूल ऑफ लॉ इंडेक्स की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, 140 देशों की सूची में युगांडा का नंबर 128वां है. यह रिपोर्ट अमेरिका की एक गैर सरकारी संस्था वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट प्रकाशित करती है. इस इंडेक्स में युगांडा के इतने नीचे जाने की वजह वहां मानवाधिकारों के संरक्षण में कमी और देशव्यापी भ्रष्टाचार है. साल 2009 से वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट दुनिया भर में कानून के शासन की स्थिति की पड़ताल कर रहा है.
रिसर्चर इसके लिए आठ बिंदुओं पर किसी देश की स्थिति को आंकते हैं, जिनमें मानवाधिकारों का संरक्षण और सरकारी शक्ति पर कानूनी नियंत्रण जैसे बिंदु शामिल रहते हैं. पिछले साल विश्व न्याय परियोजना के कानून सूचकांक 2021 के नियम में भारत 139 देशों और क्षेत्राधिकारों में से 79 वें स्थान पर रहा है। रूल ऑफ़ लॉ इंडेक्स 2021 देशों को 0 से 1 तक के स्कोर के आधार पर रैंक करता है, जिसमें 1 नंबर कानून के शासन का सबसे मजबूत पालन दर्शाता है। डेनमार्क, नॉर्वे और फिनलैंड विश्व न्याय परियोजना (डब्ल्यूजेपी) के नियम सूचकांक 2021 में शीर्ष पर हैं। इसमें पाकिस्तान सबसे निचले स्थान 130 पर है।
इस साल इस रिपोर्ट को बनाने के दौरान 154,000 से ज्यादा लोगों और 3,600 कानूनी विशेषज्ञों से बातचीत की गई. कानून के शासन को कैसे परिभाषित किया जाए, इस मुद्दे पर विशेषज्ञों के साथ चर्चा की गई. आम सहमति यह बनी कि किसी देश में कानून के शासन की मजबूती इस बात से तय होगी कि जहां नागरिकों को अपने देश के कानून पर भरोसा है और वो उसके लागू किए जाने के तरीके का सम्मान करते हैं. युगांडा में रेमी बहाती के परिवार के साथ जैसा हुआ, ऐसी घटनाएं किसी भी देश में कानून के शासन को कमजोर बनाती हैं.
इस सूची में डेनमार्क, नॉर्वे, फिनलैंड, स्वीडन और नीदरलैंड क्रमश: सबसे ऊपर हैं. इसके बाद छठा नंबर जर्मनी का आता है. इसे “ओपेन गवर्नमेंट” श्रेणी में शीर्ष पांच स्थानों में जगह नहीं मिल सकी, जिससे पता चलता है कि कानून को अपनाने, लागू करने और प्रशासन और न्याय की प्रक्रियाएं कितनी सुलभ, निष्पक्ष और प्रभावी हैं. यूरोपीय संघ के देशों में हंगरी की स्थिति इस सूची में सबसे नीचे है. जबकि पूरी सूची में सबसे नीचे हैती, डेमोक्रटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, अफगानिस्तान, कंबोडिया और वेनेजुएला जैसे देश हैं. इसका मतलब यह हुआ कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मानवाधिकारों का संरक्षण सही तरीके से नहीं हो रहा है और इस संदर्भ में सरकारी कार्रवाइयों की निगरानी भी ठीक से नहीं हो रही है.
सरकारी शक्ति की बाधाओं को दर्शाने वाली श्रेणी में चीन का स्थान इस सूची में 131वां है जबकि नागरिकों के मौलिक अधिकारों के संरक्षण और स्वतंत्रता के मामले में तो वो और भी नीचे है. हालांकि कुल मिलाकर वह सूची के मध्य में निचले स्तर पर खुद को रखने में सफल रहा है क्योंकि भ्रष्टाचार से लड़ने, व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखने के मामले में तुलनात्मक रूप में उसका प्रदर्शन बेहतर रहा है. वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट के मुताबिक, पिछले साल दस में से छह देशों में कानून का शासन कमजोर हुआ है. यह लगातार पांचवां साल है जब इस रूल ऑफ लॉ इंडेक्स का वैश्विक अनुपात नीचे आया है.
यह लगातार पांचवां साल है जब दुनिया भर में कानून के शासन में गिरावट आई है. 2022 की रूल ऑफ लॉ इंडेक्स की रिपोर्ट ऐसा कह रही है. रिपोर्ट के जरिए मानवाधिकारों और सरकारी शक्तियों पर नियंत्रण जैसे तत्वों की पहचान की जाती है. युगांडा की पत्रकार रेमी बहाती इस समय अमेरिका में रहती हैं. फोन पर अपने परिवार की कहानी बताते हुए वो कांपने लगती हैं. एक अक्टूबर की शाम को घर में सभी लोग टीवी देखने में व्यस्त थे, तभी अचानक कुछ हथियारबंद लोग पश्चिमी युगांडा के फोर्ट पोर्टल के उनके पैतृक घर पहुंचे. ये सभी सैनिक और सादे कपड़ों में पुलिस वाले थे. पहुंचते ही घर की तलाशी लेनी शुरू कर दी. इसके बाद वो बिना नंबर वाली एक मिनीबस में सवार होकर चले गए और साथ में उनके भाई और एक चचेरे भाई को भी ले गये.
रेमी को अपहरण के बारे में अपने पिता से जानकारी मिली. वो कहती हैं, हमने 48 घंटे तक इंतजार किया क्योंकि कानून के मुताबिक किसी संदिग्ध को पुलिस जब उठाती है तो उसे 48 घंटे के भीतर न्यायालय में हाजिर करना होता है. पर ऐसा नहीं हुआ. बहाती को लगता है कि युगांडा की सरकार उनसे बदला लेना चाहती थी, मैंने ऐसी कई रिपोर्टें की थीं जो सरकार को अच्छी नहीं लगती थीं. इनमें से एक विवादास्पद पाइपलाइन परियोजना से संबंधित थी. इसी का परिणाम है कि मेरे भाई और चचेरे भाई का हमारे घर से अपहरण कर लिया गया. बहाती जो कुछ भी बता रही हैं वो दरअसल ताकत का दुरुपयोग है, मानवाधिकारों का उल्लंघन है और आपराधिक न्याय की कमी है. संक्षेप में, इससे यह पता चलता है कि युगांडा में कानून का शासन नहीं है.
वर्ल्ड जस्टिस प्रोजेक्ट की एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर एलिजाबेथ एंडरसन कहती हैं, कोविड महामारी के दौरान कानून के शासन को कमजोर करने वाले सत्तावादी रुझान अभी भी जारी हैं. कार्यपालिका की शक्तियों पर नियंत्रण कमजोर हो रहा है और मानवाधिकारों के प्रति सम्मान में गिरावट आ रही है. हालांकि, 2022 की रिपोर्ट से पता चलता है कि कानून के शासन में इतनी भी गिरावट नहीं आई है जितनी कि एक साल पहले आई थी. तब इसलिए भी इतनी गिरावट दर्ज की गई थी क्योंकि कोविड महामारी को देखते हुए सरकारों ने कई ऐसे प्रतिबंध लगाए थे जो कि मानवाधिकारों और लोगों की आजादी को बाधित करने वाले थे. खासकर, लोगों के चलने-फिरने पर लगी पाबंदी.
एंडरसन कहती हैं, हम लोग स्वास्थ्य संकट से तो उबर रहे हैं लेकिन सरकारी संकट से नहीं उबर पा रहे हैं. आज, 4.4 अरब लोग ऐसे देशों में रह रहे हैं जहां कानून का शासन पिछले साल की तुलना में कमजोर है. वो कहती हैं कि कानून का शासन निष्पक्षता के लिए था, “इसका मतलब जवाबदेही, समान अधिकार और सभी के लिए न्याय है- लेकिन ऐसा लगता है कि एक कम निष्पक्ष दुनिया एक अधिक अस्थिर दुनिया में बदलने को विवश है. पत्रकार रेमी बहाती के मामले में युगांडा में कानून के शासन की कमी के परिणाम बहुत ही निजी स्तर पर देखने को मिले. वो कहती हैं कि उनके भाई और चचेरे भाई को रिहा तो कर दिया गया लेकिन डर अभी भी बना हुआ है. वो कहती हैं, बिना किसी आरोप के अवैध रूप से हिरासत में रखने के नौ दिन बाद मेरे भाई को छोड़ दिया गया. उन्होंने उसे जाने दिया और उसके जरिए मुझे संदेश भिजवाया कि मैं मानवाधिकार और पूर्वी अफ्रीका में क्रूड ऑयल पाइपलाइन जैसे मुद्दों पर ट्वीट करना बंद कर दूं. वो आत्मविश्वास से भरी हुई महिला थीं, लेकिन अब स्वतंत्रतापूर्वक अपनी बात रखने में उन्हें डर लगता है.

Posts Carousel

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

Latest Posts

Follow Us