उत्तराखंड में रविवार को गंगा घाटों पर उमड़ी हजारों छठ व्रतियों की भीड़

उत्तराखंड में रविवार को गंगा घाटों पर उमड़ी हजारों छठ व्रतियों की भीड़

उत्तराखंड में रविवार शाम को सर्वार्थ सिद्धि और रवियोग के शुभ संयोग में छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य देकर हजारों लोगों ने छठी मइया से संतान के सुख, समृद्घि और दीर्घायु के साथ लोक कल्याण की कामना की। सोमवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रती पारण करेंगे। इसके साथ

उत्तराखंड में रविवार शाम को सर्वार्थ सिद्धि और रवियोग के शुभ संयोग में छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य देकर हजारों लोगों ने छठी मइया से संतान के सुख, समृद्घि और दीर्घायु के साथ लोक कल्याण की कामना की। सोमवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठ व्रती पारण करेंगे। इसके साथ ही लोक आस्था के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान का समापन होगा।
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए छठ व्रतियों के साथ ही उनके परिवार के लोगों में जबरदस्त उत्साह रहा। रविवार की सुबह से ही घाटों पर पहुंचकर अर्घ्य देने की तैयार छठ व्रतियों ने शुरू कर दी थी। दोपहर बाद छठ व्रतियों का घाटों पर पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ, जो शाम के बाद तेज हो गया। छठी मईया दे दा एगौ ललनवा, बजवाइब बजनवा..। जुग-जुग रखिहा सुहाग हे छठी मईया, मांगीला इहै आशीर्वाद..। रुनकी-झुनकी बेटी मांगीला, पढ़ल पंडित दामाद..। उगीं हे दीनानाथ, दर्शन दे दा अपार हे छठी मईया..। चार पहर राती जल-थल सेवलीं, सेवलीं चरनिया तोहार.. जैसे लोक गीतों से रविवार को छठ व्रतियों के घर और घाट गूंजते रहे। छठ घाटों की ओर जाते समय श्रद्धालुओं ने कांच ही बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए जैसे पारंपरिक गीत गाए। सुबह से ही नहा-धोकर अपने हाथ से बनाए मिट्टी के चुल्हे पर ठेकुआ, खाजा, लड्डू वगैरह का प्रसाद बनाने का कार्य में महिलाओं ने किया। घाट पर आकर स्नान और सूर्य की उपासना, अर्घ्य एवं आरती की गई। मंच के संस्थापक महासचिव सुभाष झा ने बताया कि सभी घाटों पर मंच के कार्यकर्ता सोमवार की सुबह तक अपनी सेवाएं देंगे।
देखते ही देखते घाट छठ व्रतियों से गुलजार हो गए और रंग-बिरंगी रोशनी और सजाए गए घाटों पर छठ की छटा बिखर गई। छठ व्रतियों के साथ महिलाएं छठी मईया के गीत गाते चल रहीं थीं। वहीं उनके घर वाले पूजन सामग्री का दउरा सिर पर रखकर चल रहे थे। घर से निकलने के बाद गाजे-बाजे के साथ छठ व्रती घाटों पर पहुंचे। रास्ते में जगह-जगह आतिशबाजी की गई। अर्घ्य देने के दौरान लोगों ने घाटों पर भी देर तक आतिशबाजी की। पूर्वा सांस्कृतिक मंच के 18 घाटों पर लगभग 20 हजार छठ व्रतियों ने संध्या 5:32 बजे डूबते हुये सूर्य को अर्घ्य दिया। महिलाओं ने उर्जा व समृद्धि के प्रतीक सुर्य देव का 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा है। रविवार की सुबह से व्रतियों ने बांस की बनी पूजा की टोकरी व सुपली में फल, चावल का लड्डू, कुछ शुद्ध हरी कच्ची सब्जीयां, मिठाईयां, शुद्ध देसी घी गुड़ के बने ठेकुये और पूजन सामग्री को सजाना शुरू किया।
पूर्वांचल समुदाय के लोक आस्था के महापर्व छठ की छटा उत्तराखंड के गंगा घाट और तटों पर भी देखने को मिली। पहाड़ से मैदान तक व्रतियों ने छठ घाटों पर जाकर पानी के बहते स्रोतों में खड़े हुए और जब भगवान भास्कर अस्ताचलगामी होने लगे तो उन्हें सायं कालीन अर्घ्य दिया। इस दौरान व्रतियों ने परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। ऋषिकेश में तपोवन, मुनिकीरेती, स्वर्गाश्रम, लक्ष्मणझूला, त्रिवेणी घाट, साईं घाट, रायवाला और हरिपुरकलां के गंगा घाट और तट पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली। हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर भी बड़ी संख्या में व्रती पहुंचे। देहरादून में पूजा के लिए बनाए गए तटों पर भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। उत्तरकाशी में लोगों ने भागीरथी नदी तट पर पूजा अर्चना कर डूबते सूरज को अर्घ्य दिया।
वैदिक मान्यताओं के अनुसार उगते सूर्य को अर्घ्य देने से आयु, आरोग्यता, यश, संपदा का आशीष प्राप्त होता है। आचार्यों के अनुसार भगवान भास्कर को जल और दूध से अर्घ्य देने से जीवन में उन्नति होती है। लाल चंदन, फूल के साथ अर्घ्य देने से यश की प्राप्ति होती है जबकि प्रात:कालीन सूर्य को अर्घ्य देने से आरोग्य, आयु, विद्या, यश और बल की प्राप्ति होती है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार सूर्य को अर्घ्य देने से पापों से मुक्ति मिलती है।

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