मंदी में नौकरी छूटी तो अपनी हॉबी को ही बना लिया सक्सेस

मंदी में नौकरी छूटी तो अपनी हॉबी को ही बना लिया सक्सेस

आलोक भदौरिया : लखनऊ के इंदिरानगर के सौरभ त्रिपाठी को मजबूरी में नौकरी छोड़नी पड़ी। उन्‍होंने तय किया कि अपनी हॉबी गार्डनिंग को अपना नया व्‍यवसाय बनाएंगे। उनके पास पूंजी अधिक नहीं थी लेकिन हिम्‍मत, जज्‍बे और सीखने की ललक के चलते उन्‍हें कामयाबी मिली और आज वह दूसरों को बागवानी सिखा रहे हैं। कभी-कभी

आलोक भदौरिया : लखनऊ के इंदिरानगर के सौरभ त्रिपाठी को मजबूरी में नौकरी छोड़नी पड़ी। उन्‍होंने तय किया कि अपनी हॉबी गार्डनिंग को अपना नया व्‍यवसाय बनाएंगे। उनके पास पूंजी अधिक नहीं थी लेकिन हिम्‍मत, जज्‍बे और सीखने की ललक के चलते उन्‍हें कामयाबी मिली और आज वह दूसरों को बागवानी सिखा रहे हैं।
कभी-कभी कामयाबी मुसीबत के वेष में आती है। ऐसा ही हुआ लखनऊ के सौरभ त्रिपाठी के साथ। उन्‍होंने बीटेक की डिग्री ली और प्राइवेट जॉब करने लगे। फिर आई साल 2008 की मंदी, सैलरी कम हो गई, गुजारा मुश्किल हो गया तो उन्‍होंने सोचा कुछ बिजनेस किया जाए। लेकिन ज्‍यादा पूंजी नहीं थी। उन्‍हें ख्‍याल आया अपनी हॉबी का। सौरभ को गार्डनिंग का शौक था। सोचा उसी को लेकर कुछ करें। थोड़ी सी जमीन पर नर्सरी खोली। नर्सरी चली साथ ही उन्‍हें कुछ अनुभवी ग्राहक भी मिले तो उन्‍होंने अपने घर की छत पर ही टेरेस गार्डनिंग शुरू कर दी। इसमें भी कामयाबी मिल गई। फिर सौरभ ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कॉरपोरेट दुनिया में टेरेस गार्डनिंग सिखाने और प्‍लान करने लगे। आज वह सफल व्‍यवसायी हैं, इतना ही नहीं एक ऐप के जरिए वह गार्डनिंग भी सिखाते हैं।
सौरभ की कामयाबी की सबसे बड़ी वजह है कि उन्‍होंने जानकारों से ज्ञान लेने और फिर उसे बांटने में कोई संकोच नहीं किया। जब उन्‍होंने मौसमी फूलों वगैरह की नर्सरी शुरू की, उस समय उनके पास कई ऐसे कस्‍टमर आए जो माहिर बागवान थे। उनकी संगत में उन्‍होंने अपनी नर्सरी में माइक्रोगार्डनिंग शुरू की। प्रयोग करते रहे, इसमें वे किसानों, दूसरे नर्सरी वालों और यूट्यूब चैनलों की मदद लेने लगे। इस पूरे अनुभव के इस्‍तेमाल से उन्‍होंने साल 2012 में अपने घर की 500 वर्ग फीट की छत पर टेरेस गार्डन लगाया। अब हालत यह है कि सौरभ टमाटर, मिर्च, बैंगन, भिंडी के साथ-साथ विदेशी सब्जियां भी अपनी छत पर ही उगा रहे हैं। इससे जो उपज मिलती है उसका इस्‍तेमाल वह अपनी किचन में तो करते ही हैं उसे बेचते भी हैं।
सौरभ कहते हैं कि एक बार ऑर्गेनिक सब्जियों-फलों का स्‍वाद ले लिया तो आप बाजार से खरीदी सब्जियां खा नहीं सकते। बदलते समय दो किल्‍लत हैं। पहली है जगह की और दूसरी है शुद्ध सब्जियों और फलों की। सौरभ ने इसका फायदा उठाया। पहले तो उन्‍होंने अपने जानकारों से वर्टिकल गार्डनिंग, लॉन मैनेजमेंट, कस्‍टमाइज्‍ड गार्डन वगैरह का ज्ञान जुटाया। अब वह इसी अनुभव और ज्ञान की मदद से 5 स्‍टार होटलों और दूसरी जगह गार्डन और लॉन डिजाइन करते हैं। सौरभ अपनी हॉबी की बदौलत खुद भी अच्‍छा कमा रहे हैं, औरों को स‍िखा रहे हैं। वह कहते हैं कि टेरेस या छत पर गार्डनिंग में अगर आप दस से बीस हजार की लागत लगाते हैं तो पचास हजार तक का मुनाफा कमा सकते हैं। बस आपकी इसमें रुचि होनी चाहिए और सीखने की ललक भी। सौरभ की नर्सरी लखनऊ के इंदिरा नगर के सर्वोदय नगर क्षेत्र में विकास भवन के पास है।

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