आज 25 अक्तूबर, मंगलवार भारत और दुनिया के कुछ और हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण का दिन है. ये भारत में दोपहर बाद 4 बजे के बाद दिखेगा. सूर्य ग्रहण यूरोप, मध्य पूर्व, अफ़्रीका के उत्तर-पूर्वी हिस्सों, पश्चिमी एशिया, उत्तर अटलांटिक महासागर और हिंद महासागर में दिखेगा. भारत में ये सूर्य ग्रहण पूर्वोत्तर के कुछ
आज 25 अक्तूबर, मंगलवार भारत और दुनिया के कुछ और हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण का दिन है. ये भारत में दोपहर बाद 4 बजे के बाद दिखेगा. सूर्य ग्रहण यूरोप, मध्य पूर्व, अफ़्रीका के उत्तर-पूर्वी हिस्सों, पश्चिमी एशिया, उत्तर अटलांटिक महासागर और हिंद महासागर में दिखेगा. भारत में ये सूर्य ग्रहण पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को छोड़कर अधिकतर हिस्सों में दिखेगा. आशिंक सूर्य ग्रहण के तीन चरण होते हैं. शुरुआत, मैक्सिमम पॉइंट और अंत. भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक़, भारत में सूर्यास्त के पहले शाम में ग्रहण शुरू होगा. इसे अधिकांश स्थानों से देखा जा सकेगा. हांलाकि ग्रहण अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और उत्तर-पूर्व भारत के कुछ स्थानों (जिनमें से कुछ के नाम हैं आइजॉल, डिब्रूगढ़, इम्फाल, ईटानगर, कोहिमा, सिबसागर, सिलचर, तामलोंग) में दिखाई नहीं देगा. ग्रहण का अंत भारत में दिखाई नहीं देगा क्योंकि वह सूर्यास्त के उपरांत भी जारी रहेगा.
ग्रहण की अवधि शुरू से लेकर सूर्यास्त के समय तक दिल्ली और मुम्बई में क्रमश: एक घंटे 13 मिनट और एक घंटे 19 मिनट की होगी. चेन्नई और कोलकाता में ग्रहण की अवधि शुरू से लेकर सूर्यास्त के समय तक क्रमश: 31 मिनट और 12 मिनट की होगी. ग्रहण यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका के उत्तर-पूर्वी हिस्सों, पश्चमी एशिया, उत्तर अटलांटिक महासागर के अलावा उत्तर हिंद महासागर के क्षेत्रों में दिखाई देगा. सरकार ने लोगों को ख़ाली आँखों से सूर्य ग्रहण ना देखने की सलाह दी है. सूर्य ग्रहण को थोड़ी देर के लिए भी ख़ाली आँखों से नहीं देखा जाना चाहिए. चंद्रमा सूर्य के अधिकतम हिस्सों को ढक दे तब भी इसे ख़ाली आँखों से न देखें क्योंकि यह आँखों को स्थायी नुक़सान पहुँचा सकता है, जिससे अंधापन हो सकता है.
सूर्य ग्रहण को देखने की सबसे सही तकनीक है ऐलुमिनी माइलर, काले पॉलिमर, 14 नं. शेड के झलाईदार काँच का उपयोग कर अथवा टेलिस्कोप के माध्यम से श्वेत पट पर सूर्य की छाया का प्रक्षेपण कर इसे देखना. पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के मुताबिक, भारत में अगला सूर्य ग्रहण दो अगस्त 2027 को दिखाई देगा, जो पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा. देश के सभी हिस्सों से वह आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में परिलक्षित होगा. अमावस्या को सूर्य ग्रहण तब घटित होता है, जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है. वे तीनों एक सीध में आ जाते हैं. आंशिक सूर्य ग्रहण तब घटित होता है, जब चन्द्र चक्रिका सूर्य चक्रिका को आंशिक रूप से ही ढक पाती है.
दुनिया में ऐसे लोग भी हैं, जिनके लिए ग्रहण किसी ख़तरे का प्रतीक है- जैसे दुनिया के ख़ात्मे या भयंकर उथल-पुथल की चेतावनी. हिंदू मिथकों में इसे अमृत मंथन और राहु-केतु नामक दैत्यों की कहानी से जोड़ा जाता है. इससे जुड़े कई अंधविश्वास प्रचलित हैं. ग्रहण हमेशा से इंसान को जितना अचंभित करता रहा है, उतना ही डराता भी रहा है. असल में, जब तक मनुष्य को ग्रहण के वजहों की सही जानकारी नहीं थी, उसने असमय सूरज को घेरती इस अंधेरी छाया को लेकर कई कल्पनाएं कीं, कई कहानियां गढ़ीं. बाइबल में उल्लेख है कि क़यामत के दिन सूरज बिल्कुल काला हो जाएगा और चाँद लाल रंग का हो जाएगा.
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