रक्तवन घाटी से लौटे पतंजलि (हरिद्वार) योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण विश्व के शीर्ष वैज्ञानिकों में शुमार हो गए हैं. उल्लेखनीय है कि हाल ही में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान और भारतीय पर्वतारोहण संस्थान के सदस्यों के साथ आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि की टीम ने हिमालय के गंगोत्री रेंज की तीन अनाम चोटियों का सफलतापूर्वक आरोहण
रक्तवन घाटी से लौटे पतंजलि (हरिद्वार) योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण विश्व के शीर्ष वैज्ञानिकों में शुमार हो गए हैं. उल्लेखनीय है कि हाल ही में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान और भारतीय पर्वतारोहण संस्थान के सदस्यों के साथ आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि की टीम ने हिमालय के गंगोत्री रेंज की तीन अनाम चोटियों का सफलतापूर्वक आरोहण कर उनका नामकरण भी किया है, जिनमें सबसे ऊंची चोटी का नाम राष्ट्रऋषि, दूसरी चोटी का नाम योगऋषि और तीसरी चोटी का नाम आयुर्वेद ऋषि रखा गया है। इन तीनों चोटियों के मध्य के क्षेत्र का नाम ऋषि ग्लेशियर (ऋषि बामक) रखा गया है। इसके साथ ही पतंजलि के दल ने 550 दुर्लभ जड़ी-बूटियों की पहचान की है, जिन पर अनुसंधान किया जाएगा। इस बीच यूएसए की स्टेन फोर्ड यूनिवर्सिटी एवं यूरोपियन पब्लिशर्स एल्सेवियर की ओर से जारी विश्व के अग्रणी वैज्ञानिकों की सूची में आचार्य बालकृष्ण का नाम दर्ज हो गया है। योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि आचार्य बालकृष्ण ने विश्व के अग्रणी और ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों में स्थान प्राप्त कर बॉटनी बेस्ड मेडिसिन सिस्टम, योग, आयुर्वेद चिकित्सा और चिकित्सा के परिणामों को वैश्विक स्तर पर गौरवान्वित किया है।
आयुर्वेद के क्षेत्र में कार्य करने वाली पतंजलि पहली ऐसी संस्था है जिसके पास मान्यता प्राप्त विश्वस्तरीय अनुसंधान प्रयोगशालाएं हैं। आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में संचालित पतंजलि अनुसंधान संस्थान के अंतर्गत अनेकों आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों पर वृहद् स्तर पर अनुसंधान कर विभिन्न विश्व प्रसिद्ध रिसर्च जर्नल्स में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है। पतंजलि में करीब 500 वैज्ञानिक निरंतर शोधकार्य में लगे हैं।
स्वामी रामदेव ने कहा कि आचार्य बालकृष्ण ने सैकड़ों ग्रंथों, वनस्पति आधारित पुस्तकों, पांडुलिपी आधारित पुस्तकों की रचना कर अद्वितीय कार्य किया है। योग-आयुर्वेद में ही 80 भाषाओं में रिसर्च बेस्ड पब्लिकेशंस हैं। वर्ल्ड हर्बल इन्साइक्लोपीडिया ऐसी ही कालजयी रचना है जो आने वाली कई पीढ़ियों के लिए प्रेरणाप्रद एवं मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा। इससे पूर्व यूएनओ की संस्था यूएनएसडीजी द्वारा भी आचार्य बालकृष्ण को सम्मानित किया जा चुका है।
पिछले दिनो पर्वतारोही आचार्य बालकृष्ण के साथ निम के प्राचार्य कर्नल अमित बिष्ट के नेतृत्व में गोमुख से ऊपर अतिदुर्गम क्षेत्र की यात्रा से हरिद्वार लौटने पर पतंजलि विश्वविद्यालय के आडिटोरियम में पूरी टीम का अभिनंदन किया गया।
स्वामी रामदेव ने कहा कि अनाम चोटियों का सफलतापूर्ण आरोहण कर आचार्य बालकृष्ण और कर्नल अमित बिष्ट ने इतिहास रचा है। यह क्षण गौरवान्वित करने वाला है। इन हिम शिखरों का अपनी परंपरा के आधार पर नामकरण कर आचार्य ने सनातन परंपरा और ऋषि संस्कृति के लिए अभूतपूर्व कार्य किया है। आज से 42 साल पहले 1981 में इन चोटियों के आरोहण का अंतिम प्रयास हुआ था। आचार्य बालकृष्ण बताते हैं कि तीनों चोटियों की स्थिति और प्राकृतिक स्वरूप के आधार पर उनका नामकरण किया गया है। 6000 मीटर से ऊपर सबसे ऊंची चोटी को राष्ट्रवाद की परंपरा के आधार पर राष्ट्रऋषि, दूसरी चोटी का नाम योग परंपरा के आधार पर योगऋषि तथा तीसरी चोटी का नाम आयुर्वेद परंपरा के आधार पर आयुर्वेद ऋषि रखा गया। इस दुर्गम यात्रा के दौरान लगभग 550 दुर्लभ जड़ी-बूटियों की पहचान कर उनकी चेकलिस्ट बना ली गई है और उनका हर्बेरियम तैयार किया जा रहा है। इन जड़ी-बूटियों पर गहन अनुसंधान किया जाएगा।
पतंजलि, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी और भारतीय पर्वतारोहण संस्थान नई दिल्ली ने संयुक्त रूप से गंगोत्री हिमालय के रक्तवर्ण ग्लेशियर क्षेत्र में पर्वतारोहण तथा अन्वेषण अभियान की शुरुआत 10 सितंबर से की थी, जो 25 सितंबर 2022 को समाप्त हुई। अन्वेषण अभियान के दौरान इस टीम ने रक्तवन घाटी में अनाम चोटी का भी आरोहण किया है। अपने अन्वेषण अभियान के दौरान इस दल ने मौसम की दुश्वारियां भी झेलीं। गंगोत्री हिमालय के रक्तवन क्षेत्र में यह अभियान दल 14 सिंतबर को गंगोत्री धाम से रवाना हुआ था। इस संयुक्त अभियान का लक्ष्य अनाम चोटी तक आरोहण के साथ नई जड़ी-बूटी और पादपों की खोज करना था। अपने अभियान के दौरान यह दल रक्तवन घाटी के उस क्षेत्र में गया, जिसमें 1981 के बाद से कोई मानवीय गतिविधि नहीं हुई थी।
सन् 1981 में रक्तवन क्षेत्र में भारत-फ्रांस का साझा पर्वतारोहण अभियान हुआ था। रक्तवन घाटी में वह पर्वतारोही दल श्याम वन ग्लेशियर से आगे नहीं जा सका था। गंगोत्री लौटने पर इस दल का तीर्थ पुरोहितों ने स्वागत किया। इस दल में पतंजलि के जड़ी बूटी विशेषज्ञ डा. राजेश मिश्रा, वनस्पति विज्ञानी डॉ. भाष्कर जोशी निम के प्रशिक्षक दीप शाही, विनोद गुसांई, आइएफएफ के बिहारी सिंह राणा आदि शामिल रहे।
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *