जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को ‘कुमाऊं साहित्य महोत्सव’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह उत्सव देश के प्रसिद्ध लेखकों, कवियों, विचारकों को कला, संस्कृति और साहित्य का जश्न मनाने के लिए एक साथ लाता है तथा लोगों को नए विचारों एवं दृष्टिकोणों का पता लगाने का अवसर प्रदान करता है. सिन्हा
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बुधवार को ‘कुमाऊं साहित्य महोत्सव’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह उत्सव देश के प्रसिद्ध लेखकों, कवियों, विचारकों को कला, संस्कृति और साहित्य का जश्न मनाने के लिए एक साथ लाता है तथा लोगों को नए विचारों एवं दृष्टिकोणों का पता लगाने का अवसर प्रदान करता है. सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर समृद्ध साहित्यिक परंपरा का घर है, जो सदियों से चली आ रही है और ज्ञान की हमारी तलाश जारी है. प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश आर्थिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक पुनर्जागरण देख रहा है.
सिन्हा ने आज कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में कुमाऊं साहित्य महोत्सव का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह उत्सव देश के प्रसिद्ध लेखकों, कवियों, विचारकों को कला, संस्कृति और साहित्य का जश्न मनाने के लिए एक साथ लाता है और लोगों को नए विचारों और दृष्टिकोणों का पता लगाने का अवसर प्रदान करता है. जम्मू-कश्मीर समृद्ध साहित्यिक परंपरा का घर है, जो कई सदियों से चली आ रही है और ज्ञान की हमारी खोज जारी है.
उपराज्यपाल ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में, जम्मू-कश्मीर की संस्कृति, कला, साहित्य, सिनेमा और संगीत को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने के लिए पिछले दो वर्षों से समर्पित प्रयास किए जा रहे हैं. संस्कृति को जीवन का एक तरीका और लोगों की आकांक्षाओं और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन को प्रतिबिंबित करने वाला दर्पण बताते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि कला, विरासत स्थलों आदि के रखरखाव और प्रचार में स्थानीय कलाकारों और लोगों को हितधारकों के रूप में शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध लेखकों और विचारकों के योगदान को याद करते हुए श्री सिन्हा ने कहा कि हमारे महान राष्ट्र का सांस्कृतिक लोकाचार अनादि काल से जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश से जुड़ा हुआ है.
उन्होंने कहा कि कहानी कहने से लेकर शास्त्रीय भारतीय संगीत तक, जम्मू कश्मीर विभिन्न रचनात्मक माध्यमों की भूमि है. जम्मू-कश्मीर के श्रद्धेय लेखकों ने भारत के सांस्कृतिक इतिहास को समृद्ध किया है. मुझे विश्वास है कि अतीत समृद्ध था और लेखकों की नई पीढ़ी इसे और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाएगी. उपराज्यपाल ने कश्मीरी, पहाड़ी, गोजरी, डोगरी, पंजाबी सहित स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने के प्रयासों पर भी बात करते हुए कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के प्रतिभाशाली युवा लेखकों की क्षमता का दोहन करने के लिए सही मंच प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. पिछले साल शुरू की गई जम्मू और कश्मीर की फिल्म नीति का जिक्र करते हुए, उपराज्यपाल ने कहा कि इस नीति ने यूटी के सुरम्य स्थानों में फिल्मों की शूटिंग की सुविधा प्रदान की है और बॉलीवुड का 70-80 के दशक का स्वर्ण युग वापसी कर रहा है.
उन्होंने कहा कि प्रशासन ने शोपियां, पुलवामा, श्रीनगर में सिनेमा हॉल शुरू कर दिए हैं और हर जिले में सिनेमा हॉल शुरू करने के प्रयास जारी हैं. इस साल सितंबर तक रिकॉर्ड 1.60 करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर आए थे, जो अपने आप में एक जीवंत जम्मू कश्मीर का प्रमाण है. लेखक और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डॉ विवेक देवरॉय ने कश्मीर की साहित्यिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत पर बात की. उन्होंने कश्मीर और शारदा पीठ कनेक्शन पर भी प्रकाश डाला. वयोवृद्ध फिल्म निर्माता राहुल रवैल ने कश्मीर में फिल्म निर्माण के गौरवशाली दिनों को देखने पर प्रसन्नता व्यक्त की. कुमाऊं साहित्य महोत्सव की सह-संस्थापक आशा बत्रा ने कहा कि हमें कुमाऊं साहित्य महोत्सव के कश्मीर संस्करण का आयोजन करते हुए खुशी हो रही है. उन्होंने उत्सव को समर्थन देने के लिए केंद्र शासित प्रदेश सरकार का भी आभार व्यक्त किया. कश्मीर के यमबरज़ल एप्लाइड रिसर्च इंस्टीट्यूट के संस्थापक अरहान बागती ने अपने स्वागत भाषण में उत्सव के पीछे के उद्देश्यों और दृष्टि पर प्रकाश डाला.
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