सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा कि हेट स्पीच को लेकर आरोप बहुत गंभीर हैं. भारत का संविधान हमें एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में परिकल्पित करता है. देश में नफरत फैलाने वाले भाषणों के बारे में आईपीसी में उपयुक्त प्रावधानों के बावजूद निष्क्रियता है. हमें मार्गदर्शक सिद्धांतों का पालन करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपने आदेश में कहा कि हेट स्पीच को लेकर आरोप बहुत गंभीर हैं. भारत का संविधान हमें एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में परिकल्पित करता है. देश में नफरत फैलाने वाले भाषणों के बारे में आईपीसी में उपयुक्त प्रावधानों के बावजूद निष्क्रियता है. हमें मार्गदर्शक सिद्धांतों का पालन करना होगा. अगर कोई शिकायत ना हो तो भी पुलिस स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अगर लापरवाही हुई तो अफसरों पर अवमानना कार्रवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच देने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जरूरत बताई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्म की परवाह किए बिना कार्रवाई की जानी चाहिए. घृणा का माहौल देश पर हावी हो गया है. दिए जा रहे बयान विचलित करने वाले हैं. ऐसे बयानों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने कहा 21 वीं सदी में ये क्या हो रहा है? धर्म के नाम पर हम कहां हम पहुंच गए हैं? हमने ईश्वर को कितना छोटा बना दिया है. उन्होंने कहा कि भारत का संविधान वैज्ञानिक सोच विकसित करने की बात करता है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट “भारत में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने और आतंकित करने के बढ़ते खतरे” को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा, हमें इस कोर्ट में नहीं आना चाहिए, लेकिन हमने कई शिकायतें दर्ज कराई हैं. अदालत या प्रशासन कभी कार्रवाई नहीं करता. हमेशा स्टेटस रिपोर्ट मांगी जाती है. ये लोग आए दिन कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं. बेंच ने पूछा – आप खुद कानून मंत्री थे? क्या तब कुछ किया गया? ये हल्के नोट पर पूछ रहा हूं. नई शिकायत क्या है? सिब्बल ने बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के भाषण का हवाला दिया. यह भाजपा के एक नेता द्वारा किया गया है. कहा गया है हम उनकी दुकान से नहीं खरीदेंगे, नौकरी नहीं देंगे. प्रशासन कुछ नहीं करता, हम कोर्ट आते रहते हैं. बेंच ने कहा, भाषण में कहा गया है – अगर जरूरत पड़ी, तो हम उनका गला काट देंगे… सिब्बल ने कहा, हां, वे और टीम. वह पार्टी के सांसद हैं. सिब्बल ने कोर्ट को अन्य घटनाओं की जानकारी दी. कहा, हम क्या करें? मौन रहना ही कोई उत्तर नहीं है, हमारी ओर से नहीं, अदालत की ओर से नहीं. हमें यह सुनिश्चित करने के लिए एक SIT की आवश्यकता है कि यह दोहराया न जाए.
बेंच ने कहा- क्या मुसलमान भी हेट स्पीच रहे हैं? सिब्बल ने कहा, नहीं, अगर वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें समान रूप से हेट स्पीच नहीं देनी चाहिए. बेंच ने कहा, यह 21वीं सदी है, हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं? जस्टिस ह्रषिकेश रॉय ने कहा, ये बयान बहुत परेशान करने वाले हैं. एक देश जो लोकतंत्र और धर्म तटस्थ है. आप कह रहे हैं कि IPC में कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन यह शिकायत एक समुदाय के खिलाफ है. कोर्ट को ऐसा नहीं देखना चाहिए. सिब्बल ने कहा, इन आयोजनों में पुलिस अधिकारी भी नहीं होते हैं. नौ अक्टूबर को ऐसा हुआ.
हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा, कि एक धर्मनिरपेक्ष देश के लिए यह समय अत्यंत चौंकाने वाला है. किसी समुदाय के खिलाफ ऐसे बयान दिख रहे हैं. अदालत के रूप में ऐसे हालात पहले कभी नहीं देखे. वकील कपिल सिब्बल ने कहा- भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा मुस्लिम को बायकॉट करने की बात कर रहे हैं. पुलिस इस तरह के कार्यक्रमों में उपस्थित रहती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, दिल्ली पुलिस को बताना है कि परवेश वर्मा के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है? मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हेट स्पीच देने वाले राजनीतिक नेताओं के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से UAPA के तहत कार्रवाई की याचिका दाखिल की गई है. दरअसल शाहीन अब्दुल्लाह नाम के याचिकाकर्ता ने मुसलमानों के खिलाफ घृणित टिप्पणी करने वालों के खिलाफ UAPA के तहत कार्यवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इसके अलावा याचिका में मुसलमानों के खिलाफ घृणा फैलाने वालों मामलों की स्वतंत्र जांच की मांग भी की गई है.
हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस कोर्ट की जिम्मेदारी है कि यह इस तरह के मामलो में हस्तक्षेप करे. हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों से कहा कि या तो कार्रवाई कीजिए, नहीं तो अवमानना के लिए तैयार रहिए. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड की पुलिस को नोटिस जारी किया. कोर्ट ने पूछा कि, हेट स्पीच में लिप्त लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई.
उधर, गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य सरकार, अहमदाबाद रेंज के पुलिस महानिरीक्षक, खेड़ा जिले के पुलिस अधीक्षक और 13 स्थानीय पुलिस कर्मियों को उंधेला गांव में पुलिस द्वारा मुसलमानों की सार्वजनिक पिटाई की शिकायत पर जवाब मांगा है. खेड़ा में 3 अक्टूबर को एक गरबा कार्यक्रम में पथराव की एक कथित घटना हुई थी. इसके बाद पुलिस ने गरबा आयोजन पर पथराव के आरोपियों को हिरासत में लिया था. आरोप है कि इसके बाद पथराव के आरोपियों को पुलिस ने गांव के चौराहे पर सार्वजनिक रूप से पिटाई की थी और उनसे सबके सामने माफी मंगवाया था. जिसके बाद इस मामले को लेकर काफी बवाल हुआ था. पुलिस द्वारा सार्वजनिक रूप से पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था और पुलिस की कार्यवाही की आलोचना मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी की थी. अब इस मामले में गुजरात हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस आशुतोष जे शास्त्री की बेंच ने राज्य सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किया है. पुलिस द्वारा पिटाई के पांच पीड़ितों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय उन दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया जिसमें कहा गया है कि लोगों के साथ पुलिस हिरासत में किसी तरह बर्ताव किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ताओं ने पुलिस द्वारा प्रताड़ना लिए मुआवजे की मांग की है. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील आईएच सैयद ने कोर्ट को बताया कि 3 अक्टूबर को पथराव की घटना हुई थी जिसके बाद पुलिस ने 40 लोगों को हिरासत में लिया था. उसके अगले दिन छह लोगों को पुलिस गांव के चौक पर लेकर आई और उन्हें एक-एक कर सार्वजनिक रूप से खंभे से लगाकर पिटाई की. वकील ने कोर्ट को बताया कि सिविल ड्रेस में मौजूद पुलिसकर्मी ने पिटाई का वीडियो बनाया और उसे साझा किया गया. हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर कथित रूप से पिटाई के आरोपी पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी करते हुए 12 दिसंबर जवाब देने को कहा है.
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