उत्तराखंड में इस समय ढाई हजार से अधिक हाथियों की मौजूदगी है. राज्य में वयस्क नर और मादा हाथी का लैंगिक अनुपात 1:2.50 पाया गया है, जो कि एशियन हाथियों की आबादी में बेहतर माना जाता है. इससे पहले हाथियों की वर्ष 2012 में 1559, 2015 में 1797 और 2017 में 1839 संख्या रही थी.
उत्तराखंड में इस समय ढाई हजार से अधिक हाथियों की मौजूदगी है. राज्य में वयस्क नर और मादा हाथी का लैंगिक अनुपात 1:2.50 पाया गया है, जो कि एशियन हाथियों की आबादी में बेहतर माना जाता है. इससे पहले हाथियों की वर्ष 2012 में 1559, 2015 में 1797 और 2017 में 1839 संख्या रही थी. वर्ष 2017 से हाथियों की संख्या में 10.17 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने लगी है. देहरादून-हरिद्वार के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग-72 पर हाथियों के रास्ते में मुश्किलें बढ़ी हुई हैं. शोर की वजह से हाथियों के दल अपने रास्ते बदल रहे हैं. ट्रेन की टक्कर से कई हाथियों की मौतें हो चुकी हैं. चिंता का विषय है कि अब राज्य के कई क्षेत्रों में आए दिन हाथियों के उत्पात भी बढ़ते जा रहे हैं.
उत्तराखंड में वन प्रभाग की तमाम कोशिशों के बाद भी आबादी क्षेत्र में हाथियों की आवाजाही, उत्पात का सिलसिला जारी है. अब तो हाथी खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचाने लगे हैं. लैंसडौन वन प्रभाग के डीएफओ दिनकर तिवारी कहते हैं, यह बात सही है कि हाथी आबादी क्षेत्र में घुसकर किसानों की खेती नष्ट कर रहे हैं, लेकिन हाथी बहुल क्षेत्र में सुरक्षा दीवार बनाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया गया है. बजट आते ही सुरक्षा दीवार का निर्माण शुरू हो जाएगा.
विगत माह सितंबर में रामनगर वन प्रभाग की सीमा में पड़ने वाले अल्मोड़ा जिले के मोहान आइएमपीसीएल दवा फैक्ट्री के समीप रात में एक हाथी आ गया. सड़क के दोनों ओर जंगल होने की वजह से इस क्षेत्र में अक्सर हाथियों की आवाजाही रहती है. मोहान पुलिस चौकी में दारोगा विनोद कुमार घई की ड्यूटी थी. वह रात में मोहान चौकी के पास ही स्टाफ क्वार्टर में सोए हुए थे. मध्य रात्रि बाद करीब दो बजे हाथी ने बाहर खड़ी कार पर धावा बोल दिया. मोहान में बैंक के समीप चाय का खोखा भी क्षतिग्रस्त कर गया. एक कर्मचारी के किचन का दरवाजा भी तोड़ने का प्रयास किया. कुछ देर तक उत्पात मचाने के बाद वह जंगल में घुस गया. पिछले साल जंगली हाथियों के झुंड ने मोहान क्षेत्र में वन विभाग के स्टाफ क्वार्टर क्षतिग्रस्त कर दिए थे.
राज्य में अक्सर हाथियों के झुंड आबादी क्षेत्र में घुसकर खेती नष्ट कर देते हैं. लैंसडोन जंगल क्षेत्र के निकटवर्ती 19 गांवों के लोग जंगली जानवरों के खौफ के साये में जी रहे हैं. वर्ष 2014 में हाथी को आबादी क्षेत्र में रोकने के लिए वन विभाग ने करीब 54 लाख रुपये की लागत से 11 किमी. हाथी सुरक्षा दीवार बनाई थी लेकिन सुरक्षा दीवार की ऊंचाई कम और गुणवत्ता की कमी के कारण हाथियों ने कई स्थानों पर दीवार तोड़कर आबादी क्षेत्र में घुसने रास्ता बना दिया.
वर्ष 2018 में वन विभाग ने 19 लाख रुपये की लागत से आठ किमी लंबी सौर ऊर्जा बाड़ बनाई लेकिन देखरेख के अभाव में सौर ऊर्जा बाड़ कुछ ही महीनों में ठप हो गई. बाड़ में करंट नहीं होने के कारण हाथी ने ताड़बाड़ को तोड़ दिया. वर्ष 2021 में क्षेत्रीय जनता की मांग पर प्रदेश सरकार ने लैंसडौन वन प्रभाग के जंगल से सटी आबादी क्षेत्र में 15 किमी दायरे में हाथी सुरक्षा दीवार बनाने के लिए 1.20 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे. इसके लिए पहली किश्त के रूप में करीब 67 लाख रुपये भी जारी कर दिए गए. वन विभाग ने हाथी सुरक्षा दीवार बनाने का काम सिंचाई विभाग को भी सौंप दिया था लेकिन सुरक्षा दीवार को लेकर विभागीय जांच होने के कारण हाथी सुरक्षा दीवार का काम बंद पड़ा है. लैंसडौन वन प्रभाग के जंगलों से लगे सत्तीचौड़, शिवपुर, लालपुर, ध्रुवपुर, अपर कालाबड़, फारेस्ट कालोनी, झंडीचौड़, खुनीबड़, मवाकोट, सिगड्डी, कण्वाश्रम, रतनपुर, सनेह, ग्रास्टनगंज, कुंभीचौड़, रतनपुर, लालपानी, कोटडीढांग और रामपुर में हाथियों की आमद लगातार बनी रहती है.
घाड़ क्षेत्र (कोटद्वार) के ग्राम धूरा ताल, रामड़ी, मुंडला, पुलिडा, चरेख, गिठाला, गौजेटा, मथाणा, ग्वाराली सहित तमाम गांवों में हाथियों का आतंक रहता है. दिन-दोपहर हाथी खेतों में घुसकर फसल को नुकसान पहुंचाते रहते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी ओर से कई मर्तबा विभागीय कर्मियों को सूचित किया गया, लेकिन विभाग भी काश्तकारों को सुरक्षा प्रदान करने में नाकाम साबित हो रहा है. जंगली जानवरों के आतंक से किसान खेती छोड़ने अथवा अपने खेतों को तार से घेरकर उसमें करंट छोड़ने को मजबूर होते हैं. विगत सितंबर माह में पौड़ी से कोटद्वार की तरफ जा रहे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के काफिले के सामने हाथी आ गया. पूर्व सीएम को कार से उतरकर एक भारी भरकम पत्थर पर चढ़कर अपनी जान बचानी पड़ी. तुरंत इसकी सूचना वन विभाग को दी गई. करीब आधा घंटा की मशक्कत के बाद हवाई फायर करने के बाद हाथी को रास्ते से हटाया जा सका.
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *