यूजीसी का सख़्त फ़रमान – फीस रिफंड पॉलिसी का उल्लंघन हुआ तो आरोपी विश्वविद्यालय की ग्रांट बंद

यूजीसी का सख़्त फ़रमान – फीस रिफंड पॉलिसी का उल्लंघन हुआ तो आरोपी विश्वविद्यालय की ग्रांट बंद

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने कोविड महामारी को ध्यान में रखते हुए सेशन 2022-23 में फीस रिफंड पॉलिसी में बदलाव किया और 2 अगस्त 2022 को नई गाइडलाइंस जारी की थी. यूजीसी के निर्देश के बावजूद कुछ यूनिवर्सिटीज व उच्च शिक्षा संस्थानों में स्टूडेंट्स को फीस वापस नहीं की जा रही है और एडमिशन कैंसल

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने कोविड महामारी को ध्यान में रखते हुए सेशन 2022-23 में फीस रिफंड पॉलिसी में बदलाव किया और 2 अगस्त 2022 को नई गाइडलाइंस जारी की थी. यूजीसी के निर्देश के बावजूद कुछ यूनिवर्सिटीज व उच्च शिक्षा संस्थानों में स्टूडेंट्स को फीस वापस नहीं की जा रही है और एडमिशन कैंसल करवाने पर उनकी फीस का काफी हिस्सा संस्थान वापस नहीं कर रहे हैं.
इस तरह की शिकायतों के बाद यूजीसी ने सख्त चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि हर यूनिवर्सिटी को यूजीसी की फीस रिफंड पॉलिसी को लागू करना होगा और स्टूडेंट्स के ओरिजिनल डॉक्यूमेंट्स भी वापस करने होंगे. कोई यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स के ओरिजिनल डॉक्यूमेंट्स को वापस देने से इंकार नहीं कर सकती है. यूजीसी ने कहा है कि जो यूनिवर्सिटी नियमों का उल्लंघन करेंगी, उनको मिलने वाली ग्रांट पर रोक लगाई जा सकती है. साथ ही अगर कोई कॉलेज या इंस्टिट्यूट नियमों को नहीं मानता है तो संबंधित यूनिवर्सिटी को उस कॉलेज की मान्यता वापस लेने की भी सिफारिश की जा सकती है.
यूजीसी को यह शिकायतें मिल रही हैं कि कई संस्थान एडमिशन करवाने पर ओरिजिनल डॉक्यूमेंट लेते हैं और जब स्टूडेंट्स एडमिशन कैंसल करवाने की ऐप्लीकेशन देता है तो डॉक्यूमेंट वापस करने में संस्थान आनाकानी करते हैं और नियमों के मुताबिक फीस वापस नहीं करते हैं. सेशन 2022-23 के लिए यूजीसी ने नियम बनाया है कि जो छात्र 31 अक्टूबर तक किसी संस्थान में अपना एडमिशन कैंसल करवाएंगे या माइग्रेशन होगा तो उस स्थिति में छात्र की फीस में कोई कटौती नहीं होगी.
पूरी फीस रिफंड होगी. कोई चार्ज नहीं काटा जाएगा. जीरो कैंसल चार्ज होगा, यह प्रावधान अभी इसी साल के लिए लागू किया गया है. वहीं 1 नवंबर से 31 दिसंबर तक जो छात्र एडमिशन कैंसल करवाएंगे या दूसरी जगह शिफ्ट होंगे, उनके द्वारा जमा करवाई गई फीस में से केवल 1000 रुपये ही काटे जाएंगे. यह एक हजार रुपये प्रोसेसिंग फीस के रूप में काटे जाएंगे. इसके अलावा संस्थान को सारी फीस लौटानी होगी. नियमों को नहीं मानने वाले संस्थानों के खिलाफ सख्त एक्शन की सिफारिश की गई है.
कोविड महामारी के कारण शैक्षणिक सत्र देरी से ही चल रहा है और इसके कारण इस बार भी इंजीनियरिंग, अंडरग्रैजुएट कोर्सेज के लिए हो रहे एंट्रेंस टेस्ट में कुछ देरी हो रही है. यूनिवर्सिटी में एडमिशन जहां जुलाई- अगस्त में हो जाते थे, वहीं इस बार एडमिशन के लिए सीयूईटी की प्रक्रिया देरी से पूरी हुई है. ऐसे में यूजीसी ने इस सत्र को स्पेशल केस मानते हुए फीस रिफंड पॉलिसी में भी कुछ बदलाव किए थे और इस साल के लिए फीस रिफंड पॉलिसी में कुछ नये प्रावधान जोड़े थे. यूजीसी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अंडरग्रैजुएट कोर्सेज में एडमिशन की लास्ट डेट छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए तय हो. यूजीसी भी यूनिवर्सिटी की लास्ट डेट पर नजर रखेगा.

Posts Carousel

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

Latest Posts

Follow Us