हवा की खराब गुणवत्ता वाले देशों में अब भारत टॉप पर पहुंच चुका है. देश के 171 शहरों में चरखी दादरी की हवा सबसे ज्यादा खराब पाई गई है, जहां प्रदूषण का स्तर 460 दर्ज किया गया है, वहीं शिलांग में हवा सबसे ज्यादा साफ मिली है. दिल्ली (450), बहादुरगढ़ (429), भिवाड़ी (402), भिवानी (437),
हवा की खराब गुणवत्ता वाले देशों में अब भारत टॉप पर पहुंच चुका है. देश के 171 शहरों में चरखी दादरी की हवा सबसे ज्यादा खराब पाई गई है, जहां प्रदूषण का स्तर 460 दर्ज किया गया है, वहीं शिलांग में हवा सबसे ज्यादा साफ मिली है. दिल्ली (450), बहादुरगढ़ (429), भिवाड़ी (402), भिवानी (437), चरखी दादरी (460), गाजियाबाद (416), ग्रेटर नोएडा (418), गुरुग्राम (430), जींद (421), मानेसर (412), नोएडा (423) और रोहतक (437) में वायु गुणवत्ता गंभीर स्तर पर पहुंच गई है, जो हेल्थ इमेरजेंसी का अलर्ट है. वायु प्रदूषण से दिल्ली-एनसीआर का दम घुटने लगा है. हालात की गंभीरता देखते हुए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रैप) के चौथे चरण को लागू कर दिया गया है. इसके तहत दिल्ली और आसपास के जिलों में बीएस-6 को छोड़कर अन्य डीजल वाहनों पर रोक लगाई गई है. गौतमबुद्धनगर में पहली से आठवीं कक्षा तक के स्कूल 8 नवंबर तक बंद कर दिए गए हैं.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, देश के 171 शहरों में से केवल 22 में हवा ‘बेहतर’ है, जबकि 29 शहरों की श्रेणी ‘संतोषजनक’, 64 में ‘मध्यम’ है. 26 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर खराब दर्ज किया गया है, जबकि 18 शहरों में वायु गुणवत्ता का स्तर बेहद खराब है.
यदि दिल्ली-एनसीआर की बात करें तो यहां की वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में है। दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 450 दर्ज किया गया है। दिल्ली के अलावा फरीदाबाद में एयर क्वालिटी इंडेक्स 373, गाजियाबाद में 416, गुरुग्राम में 430, नोएडा में 423 पर पहुंच गया है। देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़े आंकड़ों को देखें तो मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक 141 दर्ज किया गया, जो प्रदूषण के ‘मध्यम’ स्तर को दर्शाता है। जबकि कोलकाता में यह इंडेक्स 104, चेन्नई में 59, बैंगलोर में 54, हैदराबाद में 94, जयपुर में 271 और पटना में 171 दर्ज किया गया।
देश के जिन 22 शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक 50 या उससे नीचे यानी ‘बेहतर’ रहा, उनमें आइजोल 24, बागलकोट 39, चामराजनगर 44, चिकबलपुर 30, दावनगेरे 44, गंगटोक 27, गुम्मीडिपुंडी 43, हसन 36, मदिकेरी 30, मैहर 49, मैसूर 44, ऊटी 49, पुदुचेरी 50, रामनगर 36, शिलांग 23, शिवमोगा 44, शिवसागर 27, थूथुकुडी 30, तिरुपति 49, तिरुपुर 47, विजयपुरा 46 और वेल्लोर 36 शामिल रहे। वहीं अमरावती, अनंतपुर, बेंगलुरु, बीदर, बिलासपुर, चेंगलपट्टू, चेन्नई, दमोह, एलूर, गुवाहाटी, हल्दिया, हावेरी, हुबली, हैदराबाद, कांचीपुरम, कन्नूर, कोलार, कोल्लम, कोप्पल, कोझिकोड, राजमहेंद्रवरम, सागर, सलेम, सतना, सिलीगुड़ी, सोलापुर, तिरुवनंतपुरम, त्रिशूर और विशाखापत्तनम आदि 29 शहरों में हवा की गुणवत्ता संतोषजनक रही, जहां सूचकांक 51 से 100 के बीच दर्ज किया गया।
देश में वायु प्रदूषण के स्तर और वायु गुणवत्ता की स्थिति को आप इस सूचकांक से समझ सकते हैं जिसके अनुसार यदि हवा साफ है तो उसे इंडेक्स में 0 से 50 के बीच दर्शाया जाता है। इसके बाद वायु गुणवत्ता के संतोषजनक होने की स्थिति तब होती है जब सूचकांक 51 से 100 के बीच होती है। इसी तरह 101-200 का मतलब है कि वायु प्रदूषण का स्तर माध्यम श्रेणी का है, जबकि 201 से 300 की बीच की स्थिति वायु गुणवत्ता की खराब स्थिति को दर्शाती है।
यदि सूचकांक 301 से 400 के बीच दर्ज किया जाता है जैसा दिल्ली में अक्सर होता है तो वायु गुणवत्ता को बेहद खराब की श्रेणी में रखा जाता है। यह वो स्थिति है जब वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य को गंभीर और लम्बे समय के लिए नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बाद 401 से 500 की केटेगरी आती है जिसमें वायु गुणवत्ता की स्थिति गंभीर बन जाती है। ऐसी स्थिति होने पर वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि वो स्वस्थ इंसान को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि पहले से ही बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए तो यह जानलेवा हो सकती है।
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