प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनो भ्रष्टाचार के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की बात कही, और यह भी कि भ्रष्ट और भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाली जांच एजेंसियों और अधिकारियों को अपना काम करते समय डरने या डिफेंसिव होने की जरूरत नहीं है. मोदी के इस बयान के बाद केंद्रीय जांच एजेंसियां ईडी, सीबीआई, एंटी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनो भ्रष्टाचार के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की बात कही, और यह भी कि भ्रष्ट और भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने वाली जांच एजेंसियों और अधिकारियों को अपना काम करते समय डरने या डिफेंसिव होने की जरूरत नहीं है. मोदी के इस बयान के बाद केंद्रीय जांच एजेंसियां ईडी, सीबीआई, एंटी करप्शन ब्यूरो आदि अपना अभियान तेज कर सकती हैं. केंद्रीय जांच एजेंसियां सिर्फ विपक्षी नेताओं या सरकार विरोधी लोगों को ही निशाना बनाने के लिए बदनाम हो गई हैं. कांग्रेस, जेडीयू, सीपीएम, आप, टीएमसी पार्टियों ने समय-समय पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया है लेकिन पीएम मोदी के बयान से एक तरह से केंद्रीय जांच एजेंसियों को फ्री हैंड मिल गया है. इसका दूसरे पहलू का सच यह भी है कि दागदार विपक्षी नेताओं के दामन कत्तई साफपाक नहीं. इसलिए एजेंसियों की कार्रवाइयों पर जनमत की मुहर लगी रहती है.
पीएम मोदी चाहे जितना फ्री हैंड जांच एजेंसियों को दें लेकिन एजेंसियों के एक्शन से यह बार-बार साबित हो रहा है कि वे कहीं न कहीं सिर्फ सरकार विरोधियों को निशाना बना रही हैं. खासकर जिन राज्यों में चुनाव होने वाले होते हैं तो वहां पहले से ही कार्रवाई शुरू हो जाती है. महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, तेलंगाना, झारखंड इसके जीते जागते उदाहरण हैं.
विपक्ष का आरोप है कि जांच एजेंसियों को बीजेपी शासित राज्यों, केंद्रीय विभागों में फैले भ्रष्टाचार नजर नहीं आते। उसे देश के क्रोनी उद्योगपतियों द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार नजर नहीं आते.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का मामला ताजा है. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का केस ईडी ने दर्ज किया है. ईडी ने 3 नवंबर को उन्हें पूछताछ के लिए तलब कर लिया. हेमंत एक प्रदेश के सीएम हैं. इससे पहले ईडी ने ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की थी. सोरेन और उनकी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा का आरोप है कि बीजेपी झारखंड सरकार को गिराना चाहती है. चुनाव हारने के बावजूद वे लोग अपनी सरकार बनाना चाहते हैं. ईडी ने पिछले दिन हेमंत सोरेन के कुछ नजजीकी अफसरों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी की पत्नी रुजिरा बनर्जी को सीबीआई ने कोयला घोटाले में पूछताछ के लिए समन भेजा. टीएमसी के कई नेता करप्शन के आरोप में जेल भेज दिए गए.
मोदी सरकार 2014 में सत्ता में आई. 2015 से केंद्रीय जांच एजेंसियों ने बड़ी-बड़ी कार्रवाइयां शुरु कर दीं. इन छापों से यह तस्वीर बनी कि कांग्रेस और अन्य दलों के नेता भ्रष्ट हैं. इस छवि के बनने से बीजेपी को विधानसभा चुनावों में सीधा लाभ हुआ. 2015 में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के शिमला और दिल्ली के ठिकानों पर सीबीआई ने छापे मारे और उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली. छापेमारी उस दिन की गई, जिस दिन वीरभद्र सिंह की बेटी की शादी थी. कारण यह बताया गया कि वीरभद्र सिंह ने बिना हिसाब वाली आय को कृषि से मिली आय बताया और इससे अपने परिवार के सदस्यों के लिए इंश्यारेंस पॉलिसियां ख़रीदीं. सीबीआई ने जुलाई, 2017 में पूर्व रेल मंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू यादव के घर पर छापे मारे थे. इससे पहले भी सीबीआई ने कई बार छापेमारी की थी. आरोप हैं कि उन्होंने रेल मंत्री रहते हुए 2006 में दो सरकारी होटलों के रख-रखाव के टेंडर अपनी क़रीबी दो निजी कंपनियों को दिए. लालू प्रसाद के अलावा इस मामले में उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजस्वी यादव का नाम भी दर्ज़ है.
अगस्त, 2019 में सीबीआई ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में गिरफ़्तार कर लिया था. आरोप है कि 2007 में जब चिदंबरम वित्त मंत्री थे, उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर आईएनएक्स मीडिया में विदेशी निवेश को मंज़ूरी दिलायी गयी थी. चिदंबरम 106 दिन तक जेल में रहे. ईडी ने नेशनल हेराल्ड केस में बुजुर्ग और बीमार कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी को तलब कर कई घंटे तक पूछताछ की. ईडी आज तक यह नहीं बता पाई कि सोनिया और राहुल की पूछताछ से उसने किन तथ्यों का पता लगा लिया. ईडी ने मल्लिकार्जुन खड़गे से भी पूछताछ कर डाली जो इस समय कांग्रेस अध्यक्ष हैं।. इस पहले ईडी ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के ख़िलाफ़ पंचकूला की विशेष अदालत में आरोप पत्र दायर कर दिया था. यह आरोप पत्र धन शोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया गया था. यह मामला पंचकूला में एजेएल को प्लॉट आवंटन में गड़बड़ियों से जुड़ा था.
सितंबर, 2019 में कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार को ईडी ने गिरफ़्तार कर लिया था. उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने सात करोड़ रुपये की ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ की यानी यह पैसा ग़लत तरीके से विदेश भेजा और वह पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के नेता कहते थे कि वे सत्ता में आने के बाद रॉबर्ट वाड्रा को जेल भेज देंगे लेकिन बीजेपी को केंद्र की सत्ता में आए आठ साल का वक़्त हो चुका है लेकिन कुछ नहीं हुआ. इनकम टैक्स विभाग रॉबर्ट वाड्रा से कई बार संजय भंडारी को यूपीए के शासनकाल में मिली डिफ़ेंस और पेट्रोलियम डील को लेकर मोटी रिश्वत लेने के और बीकानेर में हुए कथित ज़मीन घोटाले के मामले में पूछताछ कर चुका है. 2019 में महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव से पहले तर्जुबेकार नेता शरद पवार को ईडी ने समन भेज दिया. जब पवार ने कहा कि वे ख़ुद ही ईडी के दफ़्तर आ जाएंगे तो ईडी की ख़ासी किरकिरी हुई. 2020 में महा विकास अघाडी सरकार बनने के बाद उद्धव ठाकरे, संजय राउत, पवार के अलावा उनकी सांसद बेटी सुप्रिया सुले, ठाकरे के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे को इनकम टैक्स ने समन भेज दिया.
2020 में ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई के घरों पर ईडी ने छापा मारा। कहा गया कि यह छापेमारी फर्टिलाइजर घोटाले में की गई है. केंद्रीय जांच एजेंसियों और बीजेपी शासित राज्यों की पुलिस के निशाने पर पत्रकार और गैर गोदी मीडिया भी आया. इस सिलसिले की शुरुआत न्यूज क्लिक से हुई थी जिसके दफ्तरों पर कई दिनों तक छापे की कार्रवाई की गई. द वायर को बार-बार निशाना बनाया गया. यूपी में केस दर्ज कराए गए. अभी हाल ही में मात्र शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस ने द वायर के दफ्तर से कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए. फैक्ट चेक करने वाली साइट ऑल्ट न्यूज के संस्थापक संपादकों में से एक मोहम्मद जुबैर पर यूपी में केस दर्ज कराए गए. उन्हें दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।हाथरस गैंगरेप कवर करने जा रहे दक्षिण भारतीय पत्रकार एस. कप्पन पिछले तीन वर्षों से जेल में हैं. इसके अलावा ढेरों सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता इस समय जेल में हैं, जिनमें जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद, खालिद सैफी, शारजील इमाम, जामिया, एएमयू के दर्जनों छात्र नेता शामिल हैं. उमर खालिद की जमानत अर्जी बार-बार अदालतों द्वारा खारिज की जा रही है.
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