उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में रविवार सुबह 8.33 मिनट पर भूकंप के तेज झटकों से धरती हिल उठी. भूकम्प से चाइना की धरती भी थर्रा उठा. टिहरी और देहरादून में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 4.5 रही. हालांकि एक और डेटा भी सोशल मीडिया में डाला गया
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में रविवार सुबह 8.33 मिनट पर भूकंप के तेज झटकों से धरती हिल उठी. भूकम्प से चाइना की धरती भी थर्रा उठा. टिहरी और देहरादून में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 4.5 रही. हालांकि एक और डेटा भी सोशल मीडिया में डाला गया है, जिसमें तीव्रता 4.7 दिखाई जा रही, जिसका केंद्र जिले में चिन्यालीसौड़ दिखाया है.
आपदा कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार, भूकंप का केन्द्र टिहरी जनपद में रहा. इसके अलावा रुद्रप्रयाग और देहरादून जनपद में भी भूकंप के झटके महसूस किए है. यह भूकंप के झटके 3 सेकंड तक महसूस किए गए, जिसके चलते लोग काफी देर घरों से बाहर निकले. जनपद उत्तरकाशी में 3 सेकंड तक जिस तरह यहां भूकंप के झटके महसूस किए गए, उससे काफी देर स्थानीय लोग दहशत में देखे गए. भूकंप की सूचना के बाद जिला आपदा कंट्रोल रूम भी तुरंत हरकत में दिखा. जिलाधिकारी ने सभी तहसीलों में नजर बनाए रखने के निर्देश दिए.
उत्तरकाशी में इससे पहले भी दो-तीन माह पूर्व दो बार भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं. लगातार आ रहे भूकंप के झटकों से स्थानीय जनमानस खासा भयभीत है. जिले में चिन्यालीसौड़, पुरोला, बड़कोट, भटवाड़ी आदि जगहों पर भूकंप के झटके महसूस किए गया. भूकम्प लगभग 3 सेकंड रहा, जिससे लोग दहशत के मारे घरों से बाहर निकल गए. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल ने बताया की भूकंप की तीव्रता हाल ही में आए भूकंप से ज्यादा रही है. गौरतलब है कि पूरे उत्तर भारत में यह झटके महसूस किए गए हैं.
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के भूकंप विज्ञानियों की मानें तो उत्तराखंड भूकंप के लिहाज से बेहद संवेदनशील है. राज्य का ज्यादातर इलाका भूकंप के लिहाज से जोन चार और पांच में हैं. उत्तराखंड राज्य में मुख्य रूप भूकम्प, भूस्खलन, अतिवृष्टि अथवा बादल फटना, बाढ़, हिमपात के समय हिमखण्डों का गिरना व वनाग्नि आदि प्राकृतिक आपदाएं आती हैं. ये आपदाएं प्रायः एक दूसरे से संबद्ध होती हैं.
वैज्ञानिकों ने भारत को 5 भूकम्पीय क्षेत्रों (जोन) में बांटा है, जिनमें दो क्षेत्र (जोन) उत्तराखण्ड में पड़ते हैं. देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल, ऊधम सिंह नगर जिले संवेदनशील जोन-4 में आते हैं, जबकि चमोली, रूद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ व चंपावत अति संवेदनशील जोन-5 में आते हैं. इनमें भी धारचूला, मुनस्यारी, कपकोट, भराड़ी, चमोली व उत्तरकाशी के भूभाग अत्यन्त संवेदनशील है. ध्यातव्य है कि भूकम्प भूपटल की कम्पन अथवा लहर है जो धरातल के नीचे अथवा ऊपर चट्टानों के लचीलेपन या गुरुत्वाकर्षण की समस्थिति में क्षणिक अव्यवस्था होने से उत्पन्न होती है. यह सबसे ज्यादा अपूर्व सूचनीय और विध्वंसक प्राकृतिक आपदा है.
भूकंपों की उत्पत्ति विवर्तनिकी गतिविधियों, भू-स्खलन, भ्रंश, ज्वालामुखी विस्फोट, बांधों या जलाशयों के धसने आदि अनेक कारणों से होती है लेकिन पृथ्वी के एस्थिनोस्फीयर के मैग्मा में बहने वाली धाराओं (तरंगों) के कारण प्लेटों की गतिशीलता से उत्पन्न भूकम्प ज्यादा विनाशकारी होते हैं, जबकि भूस्खलन, बाँधों जलाशयों या अन्य भूमि को धँसने तथा ज्वालामुखी विस्फोट आदि कारणों से उत्पन्न भूकम्प कम क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले और कम विनाशकारी होते हैं.
वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय क्षेत्र (उत्तराखण्ड) में भूकम्प प्रायः प्लेटों की गतिशीलता और भ्रंशों की उपस्थिति के कारण आते हैं. इंडियन प्लेट प्रतिवर्ष उत्तर व उत्तर-पूर्व की दिशा में एक सेमी. (कुछ विद्वानों के अनुसार 5 सेमी.) खिसक रही है परन्तु उत्तर में स्थित स्थिर यूरेशियन प्लेट (तिब्बत प्लेट) इसके लिए अवरोध पैदा करती है. परिणामस्वरूप इन प्लेटों के किनारे लॉक हो जाते हैं और कई स्थानों पर लगातार ऊर्जा संग्रह होता रहता है. अधिक मात्रा में ऊर्जा संग्रह से तनाव बढ़ता है और दोनों प्लेटों के बीच लॉक टूट जाता है और एकाएक ऊर्जा निकलने से हिमालय के चाप के साथ भूकंप आ जाता है.
वृहत्त हिमालय तथा मध्य हिमालय के मध्य मुख्य केन्द्रीय भ्रंश रेखा स्थित है, जोकि चमोली, गोपेश्वर, देवलधार, पीपलकोटी गुलाबगोटी तथा गंगा घाटी से गुजरती हुई कुमाऊँ के कई स्थानों से होते हुए नेपाल की ओर चली जाती है. वैज्ञानिकों के अनुसार यह रेखा टिहरी बांध के भी नीचे से गुजरती है. इसी तर्क को लेकर पर्यावरणविद् सुन्दरलाल बहुगुणा टिहरी बांध का विरोध करते रहे हैं। राष्ट्रीय भू-भौतिकी प्रयोगशाला, भारतीय भूगर्भीय सर्वेक्षण संस्थान, मौसम विज्ञान विभाग एवं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, आदि ने भारत को अधोलिखित पांच भूकम्प प्रभावी क्षेत्रों (जोन) में बांटा है.
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *