फर्ज करिए कि तीन पीढ़ी की स्त्रियां यानी नानी, मां और नातिन बैठकर बातें कर रही हैं और बातचीत का मजमून है- ‘प्रेम, शारीरिक संबंध और रिलेशिनशिप.’ अगर आप एक लड़की हैं और अपनी मां और नानी से बात कर रही हैं, तो वो बातचीत कैसी होगी. मैं बताती हूं कि आज 21वीं सदी के
फर्ज करिए कि तीन पीढ़ी की स्त्रियां यानी नानी, मां और नातिन बैठकर बातें कर रही हैं और बातचीत का मजमून है- ‘प्रेम, शारीरिक संबंध और रिलेशिनशिप.’ अगर आप एक लड़की हैं और अपनी मां और नानी से बात कर रही हैं, तो वो बातचीत कैसी होगी. मैं बताती हूं कि आज 21वीं सदी के दो दशक गुजर जाने के बाद मेरी मां और मेरी नानी के साथ ये संवाद कैसा होगा। शारीरिक संबंध के बारे में कोई बात होगी नहीं और हुई भी तो इतनी ही कि शादी से पहले इसके बारे में सोचना भी पाप है. प्यार के बारे में भी बात नहीं होगी, क्योंकि प्यार-व्यार सब फिल्मी बातें हैं. अब बचा रिलेशनशिप तो पुरखिनों के शब्दों में वो रिलेशनशिप नहीं, बल्कि शादी है, जो जन्म-जन्मांतर का रिश्ता है. एक बार हो जाए तो कब्र तक निभाना होता है, जिसमें फर्ज और समझौते सारे औरत के हिस्से में हैं और सुख, आराम और आजादी मर्द के हिस्से में.
हिंदुस्तान के औसत मध्यवर्गीयों परिवारों का प्यार, शारीरिक संबंध और रिलेशनशिप संवाद शादी की महानता से शुरू और शादी की अनिवार्यता पर खत्म हो जाता है। जींस और मिडी पहनकर मॉडर्न होने का स्वांग हम कितना भी कर लें, अंदर की कहानी मर्दवाद की सड़ांध से भरी है और यही सच है। लेकिन तीन पीढि़यों की स्त्रियों के बीच एक ऐसा संवाद भी है, जो शुरू में तो थोड़ा चौंकाता है, लेकिन फिर उम्मीद से भर देता है कि धीमी रफ्तार ही सही, दुनिया बदल भी रही है। जब जया बच्चन अपनी नातिन नव्या नवेली से कहती हैं कि अगर वो बिना शादी के भी मां बने तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।
महानायक अमिताभ बच्चन की नातिन नव्या नवेली नंदा का ये पॉडकास्ट है, जिसका नाम है- ‘व्हॉट द हेल नव्या।’ इस पॉडकास्ट के एक एपिसोड में तीन पीढ़ी की स्त्रियां यानी 74 वर्ष की जया बच्चन, 48 साल की श्वेता बच्चन और 24 साल की नव्या नवेली नंदा जीवन के सबसे मुश्किल, लेकिन सबसे जरूरी सवाल पर बात कर रहे हैं- ‘प्रेम, रिलेशनशिप और सेक्स।’ और ये बातचीत एक पारंपरिक बातचीत बिलकुल नहीं है। तीनों पीढि़यों के अनुभव अलग हैं, उनके समय का सच अलग, उनकी चिंताएं अलग, लेकिन उनकी पूरी बातचीत का सार ये तीन वाक्य हैं-
1- जीवन में सबसे अहम है आर्थिक आत्मनिर्भरता। अपना काम करना, अपना पैसा खुद कमाना और अपना घर खुद बनाना।
2- प्यार का एहसास बड़ा तूफानी होता है, लेकिन प्यार के चक्कर में रेड फ्लेग्स देखना मत भूल जाना। अहंकार, बॉसी, हुकुम चलाने और अपनी बात ऊपर रखने वाले लड़के से न प्यार, न शादी।
3- रिश्तों में दैहिक आकर्षण और संबंध बनाना बहुत बुनियादी, जरूरी और अहम है। इसमें कुछ भी अनैतिक या बुरा नहीं।
कुछ मुट्ठी भर शहरी, एलीट परिवारों के छोड़कर आज भी इस देश में बड़ी होती कोई लड़की अपनी फैमिली में ये बातें सुनकर बड़ी नहीं होती। सच तो ये है कि एक पिछड़े, सामंती और मर्दवादी समाज में स्त्रियों के जीवन का आधा दुख ही यहीं से शुरू होता है कि जीवन के सबसे जरूरी सवालों पर घर में कोई बात नहीं होती। बड़ी होती बच्चियों को कोई नहीं सिखाता कि जीवन में सबसे बड़ा और सबसे ऊपर है आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता का सबक। प्रेम करो, खूब करो, लेकिन अपनी आजादी और गरिमा की कीमत पर नहीं। कोई नहीं सिखाता कि शारीरिक संबंध बनाने या न बनाने से ज्यादा अहम है कंसेंट यानी सहमति। कोई नहीं बताता कि प्रेम और रिश्तों में रेड फ्लैग्स क्या होते हैं। लड़के के किस व्यवहार, आदत, कमजोरियों के साथ समझौते मुमकिन हैं और किनसे नहीं। जिन परिवारों में बातें होती भी हैं, वहां भी सबसे जरूरी मुद्दों पर बातें नहीं होतीं। और ऐसा नहीं है कि ये बातें सिर्फ लड़कियों से नहीं होतीं। लड़कों से भी नहीं होती।
लड़कियों की इज्जत को उनके शरीर के एक अंग विशेष में बताकर उस बचाने को ही जीवन का सबसे बड़ा मकसद बना दिया जाता। कोई भविष्य के प्रेमियों, परिवारों और माता-पिता यानी एक लड़के और लड़की के बीच दोस्ती, बराबरी, सम्मान और अच्छी सेक्स लाइफ के बारे में बात नहीं करता। देश के सबसे सफल, समृद्ध और ताकतवर परिवारों में से एक की तीन पीढि़यों का यह संवाद बहुत मौजूं है, जरूरी है, लेकिन इसकी एक दिक्कत भी है। दिक्कत ये है कि ये इस देश के हर छोटे शहर, गांव, कस्बे, स्कूल, कॉलेज के लड़कों और लड़कियों के साथ किया जा रहा संवाद नहीं है। सामाजिक और आर्थिक गुलामी की जंजीरों में बंधी उन लाखों-करोड़ों लड़कियों से कोई ये बात नहीं कह रहा कि तुम्हारा जीवन कैसा होना चाहिए। तुम्हारा रिश्ता कैसा होना चाहिए।
तुम प्यार, सम्मान और बराबरी की हकदार हो। तुम नौकरी में बराबर सैलरी की, बराबर प्रमोशन की हकदार हो। तुम घर के फैसलों में बराबरी की हकदार हो। तुम प्रेम, रिश्तों और सेक्स में बराबरी की हकदार हो। देश की संसद में बराबर सीटों की हकदार हो। तुम सड़कों पर, घरों में, दफ्तरों में और जिंदगी के हर कदम पर बराबरी की हकदार हो। ये बात उनसे कोई नहीं कह रहा, जो हर बात को छोड़कर सबसे पहली कही जानी चाहिए थी। एक नानी, एक मां और एक नातिन का संवाद पूरे मुल्क की नानियों, मांओं और नातिनों का संवाद नहीं है। मेरी जिंदगी तो तब बदलेगी, जब मेरी नानी और मेरी मां ये कहें कि प्यार और इज्जत न मिले तो शादी मत करना, कर भी ली तो तोड़कर निकल जाना। अपने पैरों पर खड़ी होना, अपना घर खुद बनाना, किसी का रौब मत सहना और किसी के सामने सिर मत झुकाना। तुम बुद्धिमान हो, काबिल हो, साहसी हो और संसार की हर खुशी की हकदार हो, यकीन करना।
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