छत्तीसगढ़ के तुलसी गांव में एक गुलाबी टी शर्ट और काली टोपी पहने एक आदमी एक बैलगाड़ी पर घास के ढेर के आगे बैठा है. बैलगाड़ी गांव की धूल भरी सड़कों से गुजर रही है, तभी अचानक वह व्यक्ति एक कैमरे के आगे एक रैप गाना गाने लगता है. ये जो हिप-हॉप वीडियो उसने अभी
छत्तीसगढ़ के तुलसी गांव में एक गुलाबी टी शर्ट और काली टोपी पहने एक आदमी एक बैलगाड़ी पर घास के ढेर के आगे बैठा है. बैलगाड़ी गांव की धूल भरी सड़कों से गुजर रही है, तभी अचानक वह व्यक्ति एक कैमरे के आगे एक रैप गाना गाने लगता है. ये जो हिप-हॉप वीडियो उसने अभी अभी बनाया ये बॉलीवुड से प्रेरित लेकिन घर पर ही बने उन कई वीडियो में से एक है जिन्हें उसके गांव के अपने यूट्यूब चैनल के लिए बनाया गया है. “बीइंग छत्तीसगढ़िया” चैनल पर 200 से ज्यादा वीडियो हैं और उसके करीब 1,20,000 सब्सक्राइबर हैं. चैनल को ज्ञानेंद्र शुक्ला और जय वर्मा ने यूट्यूब पर पहले से मौजूद कई वीडियो से प्रेरित हो कर 2018 में शुरू किया था. और अब यह चैनल उनके लिए इतना जरूरी हो गया है कि उसे मैनेज करने के लिए दोनों ने अपनी अपनी नौकरियां छोड़ दी हैं.
2020 में जब कोविड-19 महामारी की वजह से लगाई गई तालाबंदी ने कइयों का रोजगार छीन लिया तो उस समय गांव के कई लोग इस चैनल के काम में शामिल हुए. और अब आलम यह है कि गांव की करीब एक-तिहाई आबादी यूट्यूब के लिए कंटेंट बनाने के किसी न किसी काम में लगी हुई है. कोई एक्टिंग कर रहा है तो कोई पोस्ट-प्रोडक्शन. 32 वर्षीय शुक्ला कहते हैं, “शुरू में तो हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि किस तरह के वीडियो बनाएं और कैसे बनाएं. हमने मोबाइल फोन से शूट और एडिट करना शुरू किया लेकिन हमें बाद में लगा कि हमें अपग्रेड कर लेना चाहिए.” अब ये लोग हर महीने दो से तीन वीडियो बनाते हैं, जिनमें कॉमेडी से लेकर एक्शन-ड्रामा और छोटे शैक्षणिक वीडियो से लेकर म्यूजिक वीडियो तक शामिल हैं. चैनल की बदौलत ये लोग यूट्यूब से हर महीने करीब 40,000 रुपये कमा रहे हैं. इससे पहले अपनी नौकरियों में दोनों हर महीने 15,000 रुपये ही कमा पा रहे थे.
यूट्यूब की वेबसाइट के मुताबिक कंपनी उन्हीं चैनलों को चलाने वालों को पैसे देती है जिनके कम से 1,000 सब्सक्राइबर हों और 12 महीनों की अवधि में उनके वीडियो को कम से कम कुल 4,000 घंटों तक देखा गया हो लेकिन अधिकांश पैसा प्रोडक्शन के सामान को अपग्रेड करने में खर्च हो जाता है और सिर्फ कुछ ही लोकप्रिय अभिनेताओं को उनके काम के लिए पैसे मिल पाते हैं. बाकी लोग अपने खाली समय में अपनी सेवाएं निशुल्क देते हैं क्योंकि या तो उन्हें खुद को स्क्रीन पर देखना पसंद है या उन्हें अभिनय से प्रेम है. 24 साल की पिंकी साहू इस चैनल के वीडियो का एक लोकप्रिय चेहरा हैं. वो कहती हैं, “मुझे अभिनेत्री बनना है. मैं कोशिश करते रहना चाहती हूं…हां, अगर मुझे मौका मिले तो मैं जरूर बॉलीवुड जाना चाहूंगी.” अभिनेता अलग अलग उम्र के हैं. नन्हे मुन्नों से लेकर 80 साल की दादियां भी अभिनय कर रही हैं. लेकिन यह चैनल कुछ लोगों को बड़े सपने देखने का मौका दे रहा है – वो सपने जो इस छोटे से गांव की सीमा से बाहर तक फैले हैं. 30 साल के वर्मा कहते हैं, “हम चाहते हैं कि हमें सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया जाने.”
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