चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि ताइवान के मसले पर फैसला करने का हक सिर्फ चीनियों को है और जरूरत पड़ी तो बलप्रयोग भी किया जाएगा. ताइवान की ओर से इस पर तीखी प्रतिक्रिया आई है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गत दिवस कम्यूनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेसका उद्घाटन
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की कांग्रेस में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि ताइवान के मसले पर फैसला करने का हक सिर्फ चीनियों को है और जरूरत पड़ी तो बलप्रयोग भी किया जाएगा. ताइवान की ओर से इस पर तीखी प्रतिक्रिया आई है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने गत दिवस कम्यूनिस्ट पार्टी की 20वीं कांग्रेसका उद्घाटन करते हुए कहा कि ताइवान का एकीकरण उनका मकसद है, जिसके लिए वह बल प्रयोग से भी नहीं झिझकेंगे. हम पूरी ईमानदारी के साथ शांतिपूर्ण एकीकरण की तमाम कोशिशें करते रहना चाहते हैं लेकिन हम बल प्रयोग के विकल्प को खारिज नहीं कर रहे हैं और सभी जरूरी कदम उठाने के विकल्प को अपने पास सुरक्षित रखते हैं. ताइवान के मसले का हल चीनियों को निकालना है.
शी ने कहा कि ताइवान का एकीकरण तो होकर रहेगा. राष्ट्रीय एकीकरण और कायाकल्प का ऐतिहासिक पहिया घूमना शुरू हो चुका है. एकीकरण होना ही चाहिए और एकीकरण निश्चित तौर पर होकर रहेगा. शी की इस टिप्पणी पर ताइवान में तीखी प्रतिक्रिया हुई है. उसने कहा है कि ताइवान अपनी स्वतंत्रता और लोकतंत्र से समझौता नहीं करेगा और संप्रभुता को नहीं छोड़ेगा. ताइवान के राष्ट्रपति कार्यालय ने जोर देकर कहा कि ताइवान खाड़ी और क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने की जिम्मेदारी दोनों पक्षों की है और जंग कोई विकल्प नहीं है.
मेलबर्न यूनिवर्सिटी के एशिया इंस्टीट्यूट में ऑनरेरी फेलो कॉनली टाइलर कहती हैं कि शी के भाषण में कुछ भी अनपेक्षित नहीं था. उन्होंने चीन के लंबे समय से बने रुख को ही दोहराया है और वह देश के पूर्ण एकीकरण को लेकर स्पष्ट है. जिस तरह उन्होंने ‘इतिहास के पहिए’ का जिक्र किया है, उसमें चीन के अधिमान्य परिणाम के अटल होने का भाव आता है. उन्होंने किसी भी तरह की बाधा को यह कहते हुए खारिज कर दिया है कि एकीकरण तो बिना किसी संदेह के हासिल किया जाएगा.
कॉनली टाइलर के मुताबिक चीनी नेता के भाषण की सबसे डरावनी बात यह है कि यह वास्तविक जमीनी सच्चाइयों से पूरी तरह कटा हुआ है और इस वजह से ताइवान विनाशकारी खतरे वाला विवाद बना रहेगा. वह बताती हैं, “राष्ट्रपति शी ने कहा कि ताइवान के अधिकतर लोग एकीकरण का समर्थन करते हैं जबकि समस्या कुछ प्रदर्शनकारियों और विदेशी दखलअंदाजों को है. सर्वेक्षण का डाटा दिखाता है कि ताइवान का विशाल बहुमत स्वतंत्रता का समर्थक है, चाहे वह मौजूदा यथास्थिति के रूप में हो या इससे ज्यादा भी, बशर्ते कोई युद्ध ना हो. एक छोटा तबका तो ऐसा भी है जो चीन की प्रतिक्रिया की परवाह किए बगैर स्वतंत्रता घोषित करने को तैयार है.”
कांग्रेस में राष्ट्रपति शी ने ‘चीनी राष्ट्र के कायाकल्प के लिए’ सैन्य और तकनीक विकास की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी को, जो कि कम्युनिस्ट पार्टी की सैन्य शाखा है, “चीन के सम्मान और मूल हितों” की रक्षा करनी है. चीन कई देशों के साथ सीमा विवादों में उलझा है जिनमें भारत और जापान के अलावा दक्षिण-पूर्व एशियाई देश भी शामिल हैं. हाल के दिनों में उसने अपनी नौसैनिक तैयारियों को लगातार पुख्ता किया है और उसके पास दुनिया की सबसे बड़ी सेना तैयार हो रही है.
बीजिंग के कुख्यात तियानमन चौक पर ‘ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल’ में हो रही कांग्रेस में अपने उद्घाटन भाषण में शी ने कम्युनिस्ट पार्टी की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि पार्टी ने देश की सुरक्षा, लोगों के जीवन की रक्षा और सामाजिक स्थिरता के लिए खूब काम किया है. साथ ही उन्होंने हांग कांग में स्थिति को कथित रूप से नियंत्रण में लाने के लिए भी अपनी पीठ थपथपाई. 2019 में हांग कांग में लोकतंत्र समर्थकों ने विशाल विरोध प्रदर्शन किए थे जिनका सख्ती से दमन किया गया और लोकतांत्रिक मूल्यों को ताक पर रखकर कई कानून पास किए गए.
शी ने कहा कि पार्टी ने “मानव इतिहास में गरीबी के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई” जीत ली है. इसका श्रेय उन्होंने अपनी घरेलू नीतियों को दिया जिनका मकसद “साझा उन्नति” है. उन्होंने कहा कि सरकार घर-व्यवस्था बनाने की प्रक्रिया को तेज करना चाहती है और धन के बंटवारे की व्यवस्था को भी बढ़ाना चाहती है. चीनी राष्ट्रपति ने देश की घटती जन्मदर पर भी बात की और कहा कि इस मसले को ध्यान में रखकर नीतियां बनाई जाएंगी. उन्होंने कहा, “हम जन्मदर बढ़ाने के लिए एक नीतिगत व्यवस्था बनाएंगे और देश की बूढ़ी होती आबादी के संदर्भ में एक सक्रिय राष्ट्रीय रणनीति तैयार करेंगे.”
विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन को घटती जन्मदर के कारण खासा नुकसान झेलना पड़ सकता है. हाल के बरसों में चीन ने अपने एक परिवार, एक बच्चा नीति को उलटते हुए लोगों को बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया है. शी जिनपिंग लगातार दो कार्यकाल से पार्टी महासचिव और केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष हैं जो कि चीन का सबसे शक्तिशाली पद है. उनका तीसरी बार इन पदों के लिए नियुक्त होना तय है. किसी चीनी कम्युनिस्ट नेता के लिए यह ऐतिहासिक होगा. 2018 में शी ने किसी व्यक्ति के दो से ज्यादा बार राष्ट्रपति बनने के नियम को खुद ही हटा दिया था. पार्टी कांग्रेस के आखिरी दिन वह सात लोगों के समूह यानी पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी का ऐलान कर सकते हैं. साथ ही वह प्रधानमंत्री ली केकियांग का उत्तराधिकारी भी चुनेंगे. पार्टी कांग्रेस एक दशक में दो बार होती है. एक हफ्ते तक चलने वाले इस आयोजन में देश भर से 2,300 कार्यकर्ता शामिल हो रहे हैं.
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