पूरे विश्व में पत्रकारों की हत्या के ज्यादातर मामलों में अपराधियों को सजा नहीं : यूनेस्को

पूरे विश्व में पत्रकारों की हत्या के ज्यादातर मामलों में अपराधियों को सजा नहीं : यूनेस्को

इंटरनेशनल डे टू एंड इंप्युनिटी फॉर क्राइम अगेंस्ट जर्नलिस्ट :: संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने अपनी एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया भर में अपने पेशे को निभाते हुए पत्रकारों की हत्या के ज्यादातर मामलों में अपराधियों को सजा नहीं मिल पा रही है. पत्रकारों की हत्याओं के लिए

इंटरनेशनल डे टू एंड इंप्युनिटी फॉर क्राइम अगेंस्ट जर्नलिस्ट :: संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने अपनी एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया भर में अपने पेशे को निभाते हुए पत्रकारों की हत्या के ज्यादातर मामलों में अपराधियों को सजा नहीं मिल पा रही है. पत्रकारों की हत्याओं के लिए दंड से मुक्ति 86 प्रतिशत पर अस्वीकार्य रूप से उच्च बनी हुई है. पत्रकारों के हत्यारों के लिए सजा सुनिश्चित करने की जरूरत है. पत्रकारों को लिखने और ट्वीट करने पर जेल में नहीं डालना चाहिए. यूनेस्को ने पत्रकारों के खिलाफ अपराधों की उचित जांच और अपराधियों की पहचान और सजा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपायों का आह्वान किया है.
यूनेस्को की महानिदेशक ऑड्रे अजोले ने एक बयान में कहा है कि तब तक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा नहीं की जा सकती, जबकि इतनी बड़ी संख्या में मामले अनसुलझे पड़े हों.
यह रिपोर्ट ऐसे समय में जारी की गई है, जब दो नवंबर को यूएन पत्रकारों के खिलाफ अपराध रोकने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाता है. इस दिवस का नाम “इंटरनेशनल डे टू एंड इंप्युनिटी फॉर क्राइम अगेंस्ट जर्नलिस्ट” है. यूनेस्को ने पिछले एक दशक में दंड से मुक्ति दरों में 9 प्रतिशत की गिरावट का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही कहा कि यह “हिंसा के इस चक्र” को रोकने के लिए अपर्याप्त है.
यूनेस्को की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 और 2021 में 117 पत्रकार अपना काम करते हुए मारे गए, जबकि 91 अन्य ‘ऑफ द क्लॉक’ यानी जब वे ड्यूटी पर नहीं थे, तब मारे गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि कई पत्रकारों को उनके बच्चों समेत परिवार के सामने मारा गया. यूनेस्को ने कहा कि वह राष्ट्रीय मीडिया कानूनों और नीतियों को विकसित करने और लागू करने के लिए सदस्य देशों के साथ काम कर रहा है. यह न्यायाधीशों, अभियोजकों और सुरक्षा बलों को “पत्रकारों के अधिकारों को लागू करने और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षण दे रहा है कि उनके खिलाफ हमलों की जांच और मुकदमा चलाया जाए.” न्यूयॉर्क की कमेटी टू प्रोटेक्ट (सीपीजे) जर्नलिस्ट के मुताबिक साल 2020 में कम से कम 30 पत्रकारों की हत्या हुई. इनमें से 21 को तो साफ तौर पर बदला लेने के लिए मारा गया. 2019 में दुनिया भर में ऐसे 10 मामले सामने आए थे.
इससे पहले पत्रकार और ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक कह चुके हैं कि दुनिया भर में किसी भी स्थान पर यह बहुत महत्वपूर्ण है कि लोगों को खुद को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने की इजाजत दी जाए, पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से और बिना किसी उत्पीड़न की धमकी के खुद को व्यक्त करने की इजाजत दी जाए. पत्रकार जो लिखते हैं, जो ट्वीट करते हैं और जो कहते हैं, उसके लिए उन्हें जेल नहीं होनी चाहिए.

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