हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की अधिूसचना 17 अक्तूबर को जारी होगी। प्रत्याशी 17 से 25 अक्तूबर तक नामांकन पत्र भरेंगे। नामांकनों की छंटनी 27 अक्तूबर को होगी। 23 और 24 अक्तूबर को अवकाश के कारण नामांकन नहीं भरे जा सकेंगे। नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तारीख 29 अक्तूबर रहेगी। मतदान की तारीख 12 नवंबर
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की अधिूसचना 17 अक्तूबर को जारी होगी। प्रत्याशी 17 से 25 अक्तूबर तक नामांकन पत्र भरेंगे। नामांकनों की छंटनी 27 अक्तूबर को होगी। 23 और 24 अक्तूबर को अवकाश के कारण नामांकन नहीं भरे जा सकेंगे। नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तारीख 29 अक्तूबर रहेगी। मतदान की तारीख 12 नवंबर है, जबकि मतगणना 8 दिसंबर को होगी। चुनाव प्रक्रिया 10 दिसंबर को पूरी होगी। लोगों की सुविधा के लिए राज्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय में टोल फ्री नंबर 1800-332-1950 रहेगा। जिलों के लिए टोल फ्री नंबर 1950 रहेगा। जिला के बाहर से संबंधित क्षेत्र का एसटीडी कोड पहले लगाना होगा। जिलों में 24 घंटे और उपमंडल स्तर पर 12 घंटे कंट्रोल रूम काम करेंगे।
चुनाव आयोग ने राज्य में विधानसभा चुनाव कराने के लिए पर्यवेक्षकों की तैनाती कर दी है। इनको दिल्ली में निर्वाचन आयोग ने बाकायदा चुनाव से संबंधित प्रशिक्षण भी दे दिया है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्रों की छंटनी से पहले पर्यवेक्षक अपना मोर्चा संभालेंगे। दो विधानसभा क्षेत्रों के लिए चुनाव आयोग का एक पर्यवेक्षक तैनात किया जाएगा। आयोग के पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में ही विभिन्न राजनीतिक दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के नामांकन पत्रों की छंटनी की जाएगी, ताकि किसी भी तरह के विवाद से बचा जा सके। आयोग के अधिकारियों के मुताबिक निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से विधानसभा चुनाव कराने के लिए पर्यवेक्षकों की तैनाती कर दी गई है।
इनको दिल्ली में निर्वाचन आयोग ने बाकायदा चुनाव से संबंधित प्रशिक्षण भी दे दिया है। ये पर्यवेक्षक नामांकन पत्रों की छंटनी के समय संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में तैनात हो जाएंगे। नामांकन पत्रों की छंटनी के दौरान चुनाव अधिकारियों और सहायक चुनाव अधिकारियों के साथ मौके पर पर्यवेक्षक मौजूद रहेंगे। नामांकन पत्रों की छंटनी के समय कितने पर्चे रद्द हुए और कितने सही पाए गए, इसकी पूरी रिपोर्ट पर्यवेक्षकों के माध्यम से जिला चुनाव अधिकारी, राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी और निर्वाचन आयोग के पास पहुंचाई जाएगी।
28 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार फाइनल
इस बीच कांग्रेस पार्टी ने हिमाचल की 68 विधानसभा सीटों में 28 पर अपने उम्मीदवार फाइनल कर दिए हैं। इनके नाम की बस औपचारिक घोषणा बाकी है। इन 28 उम्मीदवारों में पार्टी के मौजूदा MLA के अलावा पूर्व मंत्री, एक पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) के दो सेक्रेटरी शामिल है। पार्टी की ओर से टिकटों की पहली लिस्ट एक-दो दिन में जारी हो सकती है। राज्य की बाकी 40 सीटों पर अभी माथापच्ची जारी है। हालांकि इन 40 में से 11 सीटों पर भी नाम लगभग फाइनल हो चुके हैं और आखिरी पलों में कोई उलटफेर नहीं हुआ तो इन 11 सीटों के कैंडिडेट भी तय हैं। राज्य में जिन 28 सीटों पर कांग्रेस अपने टिकट फाइनल कर चुकी है उनमें कांगड़ा जिले की 6, शिमला की 5, हमीरपुर की 3 और मंडी की 2 सीटें शामिल है। ऊना, सोलन, सिरमौर और बिलासपुर की भी 2-2 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम फाइनल हो गए हैं। चंबा और कुल्लू की एक-एक सीट पर भी नाम तय हैं। कबायली जिलों किन्नौर और लाहौल-स्पीति में विधानसभा की एक-एक सीट है और इन दोनों ही सीटों पर पार्टी ने कैंडिडेट फाइनल कर लिए हैं।
राज्य की जिन 40 सीटों पर टिकटों को लेकर पेंच फंसा है उनमें सबसे ज्यादा कांगड़ा और मंडी जिले की सीटें हैं। कांगड़ा की 15 में से 9 और मंडी जिले की 10 में से 8 सीटों पर माथापच्ची जारी है। चंबा की 4 और शिमला, ऊना, कुल्लू, सोलन और सिरमौर जिले की 3-3 सीटों पर भी कैंडिडेट्स तय नहीं हो पाए हैं। हमीरपुर व बिलासपुर की दो-दो सीटों पर डिस्कशन का दौर चल रहा है। शिमला जिले की 8 में से 5 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम फाइनल हो चुके हैं। इनमें जुब्बल-कोटखाई सीट से रोहित ठाकुर, रोहड़ू से एमएल ब्राक्टा, रामपुर से नंदलाल, कुसुम्पटी से अनिरुद्ध सिंह और शिमला ग्रामीण विधानसभा सीट से विक्रमादित्य सिंह शामिल हैं। यह पांचों इस समय विधायक है और कांग्रेस इन्हें ही दूसरी बार मैदान में उतारने जा रही है। शिमला जिले की शेष 3 सीटों शिमला शहरी, चौपाल और ठियोग सीट पर फिलहाल किसी का नाम फाइनल नहीं है। किन्नौर की इकलौती सीट से भी सिटिंग MLA जगत सिंह नेगी को ही टिकट मिलेगा।
कांगड़ा जिले में विधानसभा की 15 सीटें हैं और इनमें से 6 पर टिकट फाइनल हो चुके हैं। इनमें पालमपुर से आशीष बुटेल, फतेहपुर से भवानी सिंह पठानिया, नूरपूर से अजय महाजन, ज्वाली से चंद्र कुमार, नगरोटा बगवां से रघुबीर सिंह बाली और धर्मशाला से सुधीर शर्मा का नाम फाइनल है। प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी, इसका फैसला काफी हद तक कांगड़ा जिला ही करता है। यहां की 15 में से 9 सीटों पर अभी उम्मीदवारों के नाम फाइनल नहीं हुए हैं। इनमें कांगड़ा, इंदौरा, देहरा, जसवां-परागपुर, ज्वालामुखी, जयसिंहपुर, शाहपुर, सुलह और बैजनाथ शामिल है। ये 9 सीटें इस समय भाजपा के पास है।
कांग्रेस पार्टी ऊना जिले की 5 सीटों में से दो सीटों पर कैंडिडेट फाइनल कर चुकी है। इनमें हरोली से मुकेश अग्निहोत्री और ऊना सीट से सतपाल सिंह रायजादा शामिल है। ऊना जिले की बाकी 3 सीटों- कुटलैहड़, गगरेट व चिंतपूर्णी से अभी नाम फाइनल नहीं हुए हैं। इसी तरह कुल्लू जिले की बात करें तो वहां की 4 सीटों में से कुल्लू सीट से सुंदर सिंह ठाकुर का टिकट फाइनल है जबकि मनाली, बंजार और आनी सीट के कैंडिडेट पर अभी सोनिया गांधी की अगुवाई वाली सेंटर इलेक्शन कमेटी (CEC) को फैसला लेना है। हमीरपुर जिले की पांच में से तीन सीटों पर भी कांग्रेस के टिकट फाइनल हो चुके हैं। इनमें बड़सर से इंद्रदत्त लखनपाल, नादौन से पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू और सुजानपुर से राजेंद्र राणा शामिल हैं। राजेंद्र राणा ने 2017 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री और BJP के सीएम पद के कैंडिडेट प्रेमकुमार धूमल को हराया था। हमीरपुर जिले की दो सीटों- भोरंज व हमीरपुर से उम्मीदवार अभी तय नहीं हो पाए हैं। इसी तरह चंबा जिले की बात करें तो यहां की 5 में से डलहौजी सीट से पार्टी MLA आशा कुमारी का टिकट पक्का है। चंबा जिले की बाकी 4 सीटों- चंबा, भटियात, चुराह और भरमौर से टिकट फाइनल नहीं हुए हैं।
कांग्रेस पार्टी सोलन सीट से धनीराम शांडिल और अर्की से संजय अवस्थी का टिकट फाइनल कर चुकी है। यह दोनों ही सिटिंग विधायक हैं। सोलन जिले की नालागढ़, दून और कसौली सीट पर पेंच फंसा हुआ है। इसी तरह सिरमौर जिले की 5 सीटों में से दो पर कैंडिडेट फाइनल हो चुके हैं। इनमें शिलाई से हर्षवर्धन चौहान और रेणुकाजी से पूर्व मुख्य संसदीय सचिव विनय कुमार शामिल है। सिरमौर की तीन सीटों-नाहन, पांवटा साहिब और पच्छाद पर अभी कोई फैसला नहीं हो पाया है। विधानसभा सीटों की संख्या के लिहाज से राज्य के दूसरे सबसे बड़े जिले मंडी की 10 में से 2 सीटों पर कांग्रेस अपने टिकट तय कर चुकी हैं। मंडी हिमाचल के मौजूदा सीएम जयराम ठाकुर का गृहजिला है। मंडी में द्रंग सीट से कौल सिंह ठाकुर और बल्ह से प्रकाश चौधरी को कांग्रेस टिकट देने जा रही है। जिले की बाकी 8 सीटों पर कांग्रेस अभी तक अपने उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है। इनमें करसोग, सुंदरनगर, नाचन, सराज, जोगेंद्रनगर, धर्मपुर, मंडी और सरकाघाट शामिल है। इस समय मंडी जिले की सभी 10 सीटें भाजपा के पास है। बिलासपुर जिले की 4 में से दो सीटों- घुमारवीं और श्री नयनादेवीजी से कांग्रेस अपने कैंडिडेट फाइनल कर चुकी है। यहां घुमारवीं से AICC सचिव राजेश धर्माणी और श्री नयनादेवीजी सीट से रामलाल ठाकुर पार्टी के उम्मीदवार होंगे। बिलासपुर सदर और इसी जिले की झंडुता सीट से कैंडिडेट फाइनल नहीं हुए हैं। लाहौल स्पीति की इकलौती सीट से कांग्रेस के पूर्व एमएलए रवि ठाकुर का टिकट फाइनल है। मतदाताओं की संख्या के लिहाज से लाहौल-स्पीति प्रदेश का सबसे छोटा विधानसभा हलका है।
राज्य की 11 अन्य सीटों पर भी कांग्रेस के उम्मीदवार लगभग तय हैं। इनमें पच्छाद से दयाल प्यारी, दून से रामकुमार, झंडुता से विवेक कुमार, भटियात से कुलदीप पठानिया, सुंदरनगर से सोहन लाल, बंजार से खिमी राम और चौपाल सीट से रजनीश किमटा का नाम सबसे आगे चल रहा है। इनके अलावा पांवटा साहिब से किरनेश जंग, शाहपुर से केवल सिंह पठानिया, कसौली से विनोद सुल्तानपुरी और चिंतपूर्णी से कुलदीप कुमार का टिकट भी लगभग फाइनल है। अगर आखिरी पलों में कोई उलटफेर नहीं हुआ तो इन्हें टिकट मिलना तय है। कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई में आज ही नई दिल्ली में पार्टी की सेंटर इलेक्शन कमेटी (CEC) की मीटिंग है। इसमें स्क्रीनिंग कमेटी की ओर से भेजे गए पैनल पर चर्चा होगी। टिकट पर अंतिम मुहर CEC को ही लगानी है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो कांग्रेस के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट एक-आध दिन में ही आ जाएगी।
हाटी आभार रैली में कांग्रेस पर बरसे अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में रैली की। हाटी आभार रैली के दौरान अमित शाह ने कहा कि अब राजा-महाराजा का टाइम चला गया है। अब लोकतंत्र का समय है। हिमाचल में जनता की चलेगी। ये डबल इंजन सरकार जो है, इसे हमने देखा है और समझा है और इसके फायदे देखे हैं। शाह बोले- दिन लद गए हरी टोपी और लाल टोपी, ऊपर का हिमाचल और नीचे का हिमाचल, कुछ नहीं है भाई। हरी टोपी भी भाजपा की है और लाल टोपी भी भाजपा की है। ऊपर भी भाजपा है और नीचे भी भाजपा है। इस दौरान अमित शाह ने हिमाचल प्रदेश चुनाव के लिए चुनावी थीम सॉन्ग ‘हिमाचल की पुकार, भाजपा सरकार’ को लांच किया। यह गाना उदित नारायण ने गाया है। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि शाह ने कहा कि हाटी समुदाय को जनजातियां का दर्जा देकर मोदी ने लोगों के 55 साल के संघर्ष को एक झटके में समाप्त किया है। उन्होंने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि कांग्रेस का काम आग लगाने का है जबकि PM नरेंद्र मोदी का काम विकास करने का है। उन्होंने कहा कि अबकी बार देश में रिवाज बदलता जा रहा है। हिमाचल में भी रिवाज बदलने वाला है। हिमाचल में भाजपा सरकार रिपीट करेगी। सतौन में भाजपा की रैली के लिए पहुंचने पर गृह मंत्री अमित शाह ने हाटी समुदाय प्रधान रजनीश के घर लंच किया। जहां मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश भारद्वाज ने उनका स्वागत किया।
अमित शाह ने अयोध्या राम मंदिर और जम्मू कश्मीर में धारा 370 का जिक्र करते हुए कहा इतने साल बीत गए लेकिन ये काम कोई नहीं कर पाया। उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी तंज कसा। शाह ने कहा कि वे चुपचाप देखते रहते थे लेकिन करते कुछ नहीं थे। अब कोई देश की तरफ देखता है तो उसका मुंह तोड़ जवाब दिया जाता है।
जल शक्ति मंत्री महेंद्र सिंह के घर बगावत, बेटे रजत ने तेज किया चुनावी अभियान
हिमाचल के मंडी स्थित धर्मपुर विधानसभा से अपना 8वां चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके महेंद्र सिंह के रथ को रोकने के लिए उनके बेटे ने ही तैयारी कर ली है। बेटे रजत ने BBN में समर्थन मांगने के बाद 16 अक्टूबर को चंडीगढ़ में कार्यक्रम रखा है, जिससे साफ पता चल रहा है कि रजत ठाकुर ने बगावत का बिगुल बजा दिया है। भाजपा अध्यक्ष JP नड्डा के उस बयान को भी ठेंगा दिखा दिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि हार मंजूर है। लेकिन नेता पुत्र को टिकट नहीं देंगे। रजत के बगावती तेवरों ने महेंद्र सिंह की नींद भी उड़ा दी है। ऐसे में कांग्रेस भी इस हॉट सीट पर पैनी नजर बनाए हुए है। अगर ऐन मौके पर चंद्रशेखर को टिकट दे दिया जाता है तो महेंद्र सिंह के तीन दशक पुराने साम्राज्य को ग्रहण लगने की संभावना है। महेंद्र सिंह द्वारा चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद रजत के युवा मोर्चे ने उनके पिता को अब आराम करने की सलाह दी है। सूत्रों के अनुसार महेंद्र सिंह के ही इशारे पर ठेकेदार बैकग्राउंड के इन मुट्ठी भर लोगों ने मिशन 2022 में रजत का ऐलान एक साल पहले कर दिया था। इसके लिए महिला सम्मान के नाम पर महिला मंडलों को लाखों रुपए के गिफ्ट भी बांटे गए। इस अभियान में पंचायत प्रतिनिधियों को भी सख्त निर्देश दिए गए थे कि अपनी पंचायतों में रजत के कार्यक्रम आयोजित करें। अब महेंद्र सिंह के खुद चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद धर्मपुर की ठेकेदार लॉबी विरोधी हो चुकी है। मीडिया ने पहले भी खुलासा किया था कि धर्मपुर भाजपा का संगठन ठेकेदारों का समूह मात्र है।
महेंद्र सिंह से करोड़ों रुपए के ठेके लेने वाली इस लॉबी ने अब उनके ही खिलाफ बगावत का बिगुल बजा दिया है। यह लोग रजत से चुनाव लड़ाने के लिए अड़ गए हैं। पिछले महीने डॉक्टर की नौकरी छोड़कर आए पन्ना लाल के कांग्रेस प्रत्याशी होने की अटकलों पर रजत ठाकुर के समर्थक जोश में हैं। उनको लगता है कि पन्ना लाल केवल धाड़ता क्षेत्र तक ही सिमट जाएंगे। रजत निर्दलीय प्रत्याशी बनकर भी चुनाव जीत जाएंगे। अगर, कांग्रेस चंद्रशेखर को उम्मीदवार घोषित करती है तो घमासान होने की पूरी संभावना है और कांग्रेस प्रत्याशी को सहानुभूति का लाभ मिल सकता है। लेकिन यह साफ हो चुका है कि महेंद्र सिंह के खिलाफ उनके पुत्र ने ही बगावती तेवर दिखा दिए हैं जो पिता के दौर का अंत समझा जा सकता है। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस हाई कमान क्या रणनीति अपनाती है यह देखना बाकी है।
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