पैरोल पर छूटे गुरमीत राम रहीम का राजनीति कनेक्शन एक बार फिर सुर्खियों में

पैरोल पर छूटे गुरमीत राम रहीम का राजनीति कनेक्शन एक बार फिर सुर्खियों में

हरियाणा के आदमपुर में उपचुनाव और पंचायत चुनाव होना है तो एक बार फिर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम 40 दिन के पैरोल पर जेल से बाहर आ गए हैं. 15 अक्टूबर को परोल पर जेल से बाहर आए डेरा प्रमुख यौन शोषण और हत्या के मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में

हरियाणा के आदमपुर में उपचुनाव और पंचायत चुनाव होना है तो एक बार फिर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम 40 दिन के पैरोल पर जेल से बाहर आ गए हैं. 15 अक्टूबर को परोल पर जेल से बाहर आए डेरा प्रमुख यौन शोषण और हत्या के मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में सज़ा काट रहे हैं. वह इस समय यूपी के बागपत डेरे में है. पैरोल पर आने के बाद राम रहीम ऑनलाइन सत्संग कर रहे हैं, जिसमें बड़ी संख्या में उनके अनुयायी शामिल हो रहे हैं. इसी के साथ गुरमीत राम रहीम का राजनीति कनेक्शन एक बार फिर सुर्खियों में है.
गुरमीत राम रहीम के सत्संग में बड़ी संख्या में उनके श्रद्धालु तो शामिल हो ही रहे हैं, वहीं पंचायत चुनावों के उम्मीदवार भी सत्संग में हिस्सा लेने पहुंच रहे हैं. सत्संग में गुरमीत राम रहीम उम्मीदवार को ऑनलाइन आशीर्वाद भी दे रहे हैं. ऐसे ही एक सत्संग में करनाल नगर निगम की चेयरपर्सन रेणु बाला गुप्ता और सीनियर मेयर और डिप्टी मेयर भी शामिल हुए. तीनों भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं और उन्होंने राम रहीम से ऑनलाइन ही आशीर्वाद लिया. इस पर काफ़ी विवाद भी हुआ. हरियाणा कांग्रेस के नेता बीजेपी नेताओं के सत्संग में शामिल होने पर आपत्ति जता रहे हैं. हरियाणा कांग्रेस के सीनियर नेता और राज्य सरकार के पूर्व मंत्री सुभाष बत्रा का कहना है कि बीजेपी नेताओं की ओर से सत्संग में शामिल होने से ये पता चलता है कि बीजेपी गुरमीत राम रहीम की पैरोल का राजनीतिक फ़ायदा उठाएगी.
दूसरी और करनाल के उप डिप्टी मेयर नवीन कुमार का कहना है कि सत्संग का आयोजन करनाल में डेरा समर्थकों ने किया था जिसमें उन्हें भी आमंत्रित किया गया था, इसलिए वह इसमें शामिल हुए थे. उन्होंने कहा कि इसको राजनीति या चुनाव के साथ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. इससे पहले भी अलग-अलग गांवो से पंचायत चुनाव के कई प्रत्याशी कुरुक्षेत्र के सत्संग में शामिल हुए और गुरमीत राम रहीम का आशीर्वाद लिया. कैथल के सौगल गांव से सरपंच का चुनाव लड़ने वाली मीना कुमारी के पति संदीप सिंह ने कहा कि वह डेरा प्रमुख का आशीर्वाद लेने आए थे. उन्होंने ने कहा कि वह राजनीतिक रूप से नहीं बल्कि एक भक्त के रूप में गांव के लोगों के साथ सत्संग में शामिल होने आए हैं.
राम रहीम 2017 से जेल में सज़ा काट रहे हैं. जेल जाने के बाद राम रहीम कई बार पैरोल पर बाहर आ चुके हैं. अगर इस साल की बात करें तो राम रहीम दो बार पैरोल ले चुके हैं. इससे पहले फरवरी महीने में वो 21 दिन की फरलो पर जेल से बाहर आऐ थे. ये वो समय था जब पंजाब में विधानसभा चुनाव होने थे. उस समय भी राम रहीम की फरलो को लेकर काफी विवाद हुआ था. तब हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कहा था कि इस मामले उनका कोई हाथ नहीं है. इस बार डेरा प्रमुख को 40 दिन की पैरोल उस समय मिली है जब हरियाणा में पंचायत और आदमपुर सीट पर उपचुनाव है. आदमपुर उपचुनाव के लिए तीन नवंबर को मतदान होने है. माना जाता है कि ये वो सीट है जहां राम रहीम का आधार काफी बड़ा है. दूसरी ओर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने राम रहीम की पैरोल का विरोध किया है और सरकार से पैरोल के आदेश को वापस लेने की मांग की है.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि राम रहीम को दिए गए पैरोल में उनकी कोई भूमिका नहीं है क्योंकि जेल के अपने नियम होते हैं. वह इस मामले में कुछ भी नहीं कहना चाहते हैं. इसमें उनकी कोई भूमिका नहीं है. अदालतें सज़ा देती हैं और दोषी जेल जाता है, इस के बाद जेल के नियम सभी कैदियों पर लागू होते हैं. हरियाणा में डेरे के लाखों अनुयायी हैं. यहां पर नियमित सत्संग होते हैं. करनाल और कुरुक्षेत्र के सत्संग में हजारों अनुयायी शामिल हुए. इसलिए सियासी दल चुनाव के समय में डेरे की ताकत को समझते हैं. सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, कैथल, जींद, अंबाला, यमुनानगर और कुरुक्षेत्र ज़िले ऐसे हैं जहां पर डेरा का बड़ा आधार है.
हरियाणा में पंचायत और आदमपुर सीट उपचुनाव के नतीजे पर राम रहीम के पैरोल का क्या असर हो सकता है, इस बारे में हरियाणा के वरिष्ठ पत्रकार सतीश त्यागी कहते हैं कि हरियाणा में डेरे का राजनितिक काफी प्रभाव देखने को मिलता है. हर राजनीतिक दल के नेता चुनाव से पहले सिरसा डेरे में हाज़री लगाते रहे हैं. हरियाणा के साथ-साथ डेरे का बड़ा आधार पंजाब और राजस्थान में भी है. डेरे का अपना एक राजनीतिक विंग भी है जो चुनाव के समय तय करता है कि वोट किसको देना है. लेकिन यहां पर ये देखना भी बेहद ज़रूरी हो जाता है कि कितने श्रद्धालुओं पर इस अपील का असर होता है. जब भी चुनाव करीब होते हैं, डेरा प्रमुख को पैरोल मिल जाता है. ऐसा ही कुछ पंजाब चुनाव से पहले हुआ था. इस बार भी ऐसा ही हो रहा है क्योंकि अब हरियाणा में चुनाव निकट हैं.
आदमपुर विधानसभा क्षेत्र में डेरे का बड़ा जनाधार है. डेरा प्रमुख के प्रभाव का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब बीजेपी नेताओं पर डेरा प्रमुख के सत्संग में जाने के आरोप लगे तो आदमपुर से कांग्रेस प्रत्याशी जय प्रकाश ने इसका विरोध करने की बजाय खुद माना कि वो भी डेरा के भक्त हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि डेरे के भक्तों के आदमपुर में काफी वोट हैं और वो नहीं चाहते कि उनको विरोध का राजनीतिक नुक़सान उठाना पड़े.

Posts Carousel

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

Latest Posts

Follow Us