घने कोहरे से हेलिकॉप्टर क्रैश, पायलट समेत 7 की मौत, मृतकों में 3 गुजरात, 3 तमिलनाडु के

घने कोहरे से हेलिकॉप्टर क्रैश, पायलट समेत 7 की मौत, मृतकों में 3 गुजरात, 3 तमिलनाडु के

केदारनाथ में श्रद्धालुओं को ले जा रहा हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। हादसे में 2 पायलट समेत 7 लोगों की मौत हो गई है। हादसे की वजह खराब मौसम और कोहरा बताया जा रहा है। घने कोहरे की वजह से हेलिकॉप्टर जमीन से टकरा गया। इसके बाद हेलिकॉप्टर में आग लग गई। हेलिकॉप्टर आर्यन एविएशन के

केदारनाथ में श्रद्धालुओं को ले जा रहा हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया। हादसे में 2 पायलट समेत 7 लोगों की मौत हो गई है। हादसे की वजह खराब मौसम और कोहरा बताया जा रहा है। घने कोहरे की वजह से हेलिकॉप्टर जमीन से टकरा गया। इसके बाद हेलिकॉप्टर में आग लग गई। हेलिकॉप्टर आर्यन एविएशन के बेल कंपनी का है। हेलिकॉप्टर ने मंगलवार सुबह 11.25 बजे केदारनाथ बेस कैंप से नारायण कोटी-गुप्तकाशी के लिए उड़ान भरी थी। उड़ान भरने के 15 मिनट बाद गरुड़चट्टी के पास वह क्रैश हो गया। कुछ फोटोज और वीडियो भी सामने आए हैं। इसमें हेलिकॉप्टर का मलबा, आग और स्थानीय लोग दिखाई पड़ रहे हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुख जताया है। मृतकों के नाम पूर्वा रामानुज, कृति ब्राड, उर्वी, सुजाता, प्रेम कुमार, कला और पायलट अनिल सिंह हैं। इनमें से पूर्वा, कृति, उर्वी गुजरात के हैं, पायलट अनिल महाराष्ट्र के हैं। बाकी तीन तमिलनाडु के हैं।
केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने हादसे पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में हेलिकॉप्टर का दुर्घटनाग्रस्त होना दुर्भाग्यपूर्ण है। हम राज्य सरकार के टच में है और हादसे में नुकसान का आकलन कर रहे हैं। हम हालात पर नजर बनाए हुए हैं। पुलिस के साथ-साथ SDRF की टीम भी मौके पर पहुंची है। आर्यन एविएशन का यह हेलिकॉप्टर बेल कंपनी का है। इस Bell 407 में पायलट समेत अधिकतम 6 लोग सवार हो सकते हैं। इस हेलिकॉप्टर का रजिस्ट्रेशन नंबर VT SVK था।
25 जून 2013 को केदारनाथ में सबसे बड़ा हेलिकॉप्टर हादसा हुआ था। उस साल राज्य सबसे बड़ी त्रासदी से गुजरा था। बाढ़ में फंसे लोगों के लिए चलाए गए रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सेना का एक MI-17 हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। हादसे की वजह खराब मौसम बताई गई थी। इसमें पायलट, को-पायलट समेत 20 जवान शहीद हुए थे।
एक सचाई यह भी है कि बाबा केदार के दर्शन कराने के लिए 18 साल से हेली सेवा संचालित हो रही है लेकिन, अभी तक व्यवस्थित उड़ान के लिए कहीं भी एयर ट्रैफिक कंट्रोल टावर स्थापित नहीं किया गया है। जबकि, बीते छह वर्षों में भारतीय सेना का एमआई-26 और चिनूक हेलीकॉप्टर भी यहां लैंड कर चुके हैं। समुद्रतल से 11750 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ तीन तरफा पहाड़ियों से घिरा हुआ है। सिर्फ केदारघाटी वाला क्षेत्र है, जो वी आकार का है और यही केदारनाथ पहुंचने का एकमात्र रास्ता भी है। मंदाकिनी नदी का स्पान काफी कम होने के कारण दोनों तरफ ऊंची पहाड़ियां हैं, जिससे घाटी बहुत ही संकरी है। साथ ही यहां मौसम का मिजाज कब खराब हो जाए, कहना मुश्किल है।
चटक धूप के बीच पलभर में पहाड़ियों के ओट से बादलों का झुंड और कोहरे की चादर पूरे क्षेत्र में ऐसे फैल जाती है कि कई बार पचास मीटर तक भी साफ नहीं दिखाई देता है। हालात यह हैं कि केदारघाटी के हेलीपैडों से लेकर केदारनाथ हेलीपैड पर हेली कंपनियों के कर्मचारी अपने-अपने हेलीकॉप्टरों की उड़ान के लिए रंग-बिरंगी झंडी लगाकर हवा की दिशा और दबाव का अनुमान लगाते हैं। केदारनाथ के लिए 18 वर्ष पूर्व 2004 में अगस्त्यमुनि से केदारनाथ के लिए पहली बार हेलीकॉप्टर सेवा शुरू हुई थी। जून 2013 की आपदा के बाद केदारनाथ यात्रा को सरल व सुलभ बनाने के लिए धरातल पर रत्तीभर इंतजाम भी नहीं हुए। केदारनाथ में हवा की दिशा और दबाव में की कोई जानकारी नहीं मिल पाती है, जिससे दुर्घटना का खतरा रहता है। हैरत यह है कि बीते एक दशक में केदारनाथ क्षेत्र में हेलीकॉप्टर क्रैश होने व तकनीकी खराबी की दस घटनाओं के बाद भी यूकाडा और उत्तराखंड सरकार गंभीर नहीं है।
केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग द्वारा केदारघाटी से केदारनाथ के लिए उड़ान भरने के लिए हेलीकॉप्टर के लिए नदी के तल से 600 मीटर की ऊंचाई तय की गई है। बावजूद, अधिकांश कंपनियां इस नियम का पालन नहीं करती हैं। उनके हेलीकॉप्टर वन क्षेत्र में काफी नीची उड़ान भरते हैं। यहां तक कि इस वर्ष जून में दो कंपनियों के हेलीकॉप्टर तो केदारनाथ से बदरीनाथ के लिए तुंगनाथ के रास्ते होकर उड़ान भरकर चले गए थे। शासन तक पहुंचे इस मामले में आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
केदारनाथ में वर्षों से निवास कर रहे संत ललित रामदास जी महाराज ने कहा कि पायलट की हठ ने छह यात्रियों की जान ले ली। बताया कि पहले हेलीकॉप्टर में पांच यात्रियों को बिठाया गया था। इसके बाद हेलीकॉप्टर टेकऑफ करने लगा। लेकिन फिर, हेलीकॉप्टर रूका और छठे यात्री को भी बिठाने के बाद गुप्तकाशी के लिए घने कोहरे के बीच रवाना हो गया। हेलीपैड से बमुश्किल चार सौ मीटर आगे पहुंचकर तेज धमाके के साथ पहाड़ी से टकराकर धू-धूकर जलने लगा। उन्होंने बताया कि जो हादसा हुआ है, वह हेली कंपनियों की मनमानी का घातक नजीता है। जब केदारनाथ में अचानक मौसम खराब हो गया था तो हेलीकॉप्टर की उड़ान तत्काल बंद कर देनी चाहिए थे लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया। उन्होंने उत्तराखंड सरकार और यूकाडा से मामले की त्वरित जांच की मांग की है।

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