भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा और नियंत्रण रेखा पर निगरानी के लिए 750 ड्रोन की आपात खरीद के लिए टेंडर निकाले हैं. पाकिस्तान से लगी सीमा पर ड्रोन से निगरानी अहम है क्योंकि वहां से घुसपैठ की कोशिशें होती रहती हैं. बदलते वक्त के साथ लड़ाई का तरीका भी बदल रहा है. रूस और
भारतीय सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा और नियंत्रण रेखा पर निगरानी के लिए 750 ड्रोन की आपात खरीद के लिए टेंडर निकाले हैं. पाकिस्तान से लगी सीमा पर ड्रोन से निगरानी अहम है क्योंकि वहां से घुसपैठ की कोशिशें होती रहती हैं. बदलते वक्त के साथ लड़ाई का तरीका भी बदल रहा है. रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने साबित किया है कि तकनीक का इस्तेमाल किस तरह से सटीक हमलों के लिए किया जा सकता है. साथ ही इस युद्ध में ड्रोन एक प्रमुख हथियार के रूप में भी उभरा है.
अब भारतीय सेना भी अपनी सीमाओं पर सुरक्षा कवच को और मजबूत करने में जुट गई है. इसी सिलसिले में उसने 750 रिमोटली पायलेटेड एरियल व्हीकल (आरपीएवी) की खरीद के लिए टेंडर निकाले हैं. इन ड्रोनों का इस्तेमाल विशेष बल 5 किलोमीटर के दायरे में निगरानी और ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए करेंगे. सैन्य सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ये ड्रोन सभी मौसमों में और इमारत के अंदर से भी संचालित होने चाहिए. टेंडर में कहा गया है कि ड्रोन में कम से कम 50 प्रतिशत स्वदेशी पुर्जे होनी चाहिए और एक वर्ष में इनकी आपूर्ति करनी होगी. ये ड्रोन फास्ट-ट्रैक खरीद नियमों के तहत खरीदे जा रहे हैं. नये ड्रोन चीनी मूल के मिनी-ड्रोन की जगह लेंगे, जिनका इस्तेमाल सशस्त्र बलों की टुकड़ियां करती रही हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि स्वदेशी उपकरण से लैस ड्रोन उपलब्ध नहीं थे.
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया से कहा कि सेना ने रक्षा बलों को दिए गए फास्ट-ट्रैक खरीद विकल्प के तहत 750 ड्रोन की खरीद के लिए टेंडर जारी किए हैं. ये टेंडर 25 अक्टूबर को जारी किए गए थे. आपातकालीन आधार पर खरीदे जा रहे 750 ड्रोन को सेना की पैराशूट (विशेष बल) बटालियन को सौंपा जाएगा. इस बटालियन को दुश्मन के खिलाफ सीमापार विशेष ऑपरेशन को अंजाम देने का अधिकार दिया गया है. इसलिए इसे नवीनतम उपकरणों से लैस किया जा रहा है. जो रिमोटली पायलेटेड एरियल व्हीकल की खरीद के लिए टेंडर निकाला गया है, वह एक अत्याधुनिक उपकरण है जो दिन-रात और हर समय सभी परिस्थितियों में काम कर सकता है. वह अपने लक्ष्य का पता लगा सकता है.
भारतीय सेना अपने लक्ष्यों को निशाने बनाने के लिए विशेष मिशनों में इस आरपीएवी ड्रोन से हासिल 3डी तस्वीरों का इस्तेमाल कर सकती है. सैन्य अधिकारी ने बताया कि ड्रोन का इस्तेमाल स्थितिजन्य सूचना अधिग्रहण करने, कम दूरी की निगरानी, टारगेट एरिया की स्कैनिंग और लक्ष्य की 3डी तस्वीर हासिल करने के लिए किया जाएगा ताकि इसे लक्षित क्षेत्र में सटीक हमलों को अंजाम देने के दौरान इस्तेमाल किया जा सके. इन हाईटेक ड्रोन को खरीदने का मकसद सीमा पर पाकिस्तान की बढ़ती गतिविधियों पर नजर रखना और उनका मुकाबला करना है. हथियारों, विस्फोटकों और नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए पाकिस्तान से भारतीय हवाई क्षेत्र में ड्रोन के घुसने के मामलों में तेजी सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है. सेना ने हाईटेक ड्रोन खरीदने का फैसला ऐसे समय में लिया है जब हाल के दिनों में कई पाकिस्तानी ड्रोन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर देखे गये हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय सेना द्वारा अब तक मार गिराये गये 23 पाकिस्तानी ड्रोन में से 13 को अकेले इसी साल मार गिराया गया था.
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