गुरुग्राम में जय श्री राम के नारे लगाते हुए भारतीय छात्र नाइजीरियन स्टूडेंट्स पर टूट पड़े

गुरुग्राम में जय श्री राम के नारे लगाते हुए भारतीय छात्र नाइजीरियन स्टूडेंट्स पर टूट पड़े

गुरुग्राम की जीडी गोयनका यूनिवर्सिटी के नाइजीरियन स्टूडेंट का एक वीडियो वायरल होते ही ऐसा तूफान खड़ा हो गया कि किसी को जवाब देते नहीं बन रहा है. मामला नस्लीय अटैक का है. आरोप है कि अटैक करने वाले सरिया, डंडे लेकर नाइजीरियन स्टूडेंट्स पर टूट पड़े. वायरल हुए वीडियो में बताया गया कि ‘अफ्रीकन

गुरुग्राम की जीडी गोयनका यूनिवर्सिटी के नाइजीरियन स्टूडेंट का एक वीडियो वायरल होते ही ऐसा तूफान खड़ा हो गया कि किसी को जवाब देते नहीं बन रहा है. मामला नस्लीय अटैक का है. आरोप है कि अटैक करने वाले सरिया, डंडे लेकर नाइजीरियन स्टूडेंट्स पर टूट पड़े. वायरल हुए वीडियो में बताया गया कि ‘अफ्रीकन स्टूडेंट मैदान से जा रहे हैं। भारतीय छात्र मारपीट कर रहे हैं। जीडी गोयनका यूनिवर्सिटी में भारतीय छात्र हमला कर रहे हैं। नस्लीय कमेंट कर रहे हैं। इस देश की एक नेशनल यूनिवर्सिटी में हमारे साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है।’ वीडियो में फुटबॉल ग्राउंड पर एक तरफ भारतीय छात्र खड़े दिख रहे हैं, दूसरी तरफ नाइजीरियन छात्र. यूनिवर्सिटी के गार्ड बीच-बचाव कर लड़ाई रोकने की कोशिश कर रहे हैं.
भारतीय और नाइजीरियन छात्रों के खूनी टकराव का ये मामला दो सप्ताह पुराना है लेकिन अब मीडिया की सुर्खियों में आया है. गुरुग्राम की जीडी गोयनका यूनिवर्सिटी कैंपस में 14 अक्टूबर की शाम करीब 5 बजे भारतीय और नाइजीरियन छात्रों के गुट आपस में भिड़ गए. लाठी-डंडे चले. एक छात्र का सिर फट गया और कुछ घायल हो गए. उसके बाद यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट ने दोनों गुटों को इनके हॉस्टल भेज दिया. पूरे मामले में दो तारीखें और हैं। घटनाएं अलग हैं, लेकिन एक-दूसरे से जुड़ी हुई. पहली तारीख 30 अगस्त है, जब दोनों गुट पहली बार आमने-सामने आ गए थे. तब से विवाद जारी रहा 14 अक्तूबर तक.
घटनाक्रम कुछ इस प्रकार बताया गया है. यूनिवर्सिटी के करीब 20 छात्र सोहना गुरुग्राम रोड स्थित यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन करने लगे. उनका कहना था कि 8-10 विदेशी छात्रों ने यूनिवर्सिटी के फुटबॉल मैदान पर नमाज अदा की. इसके विरोध में भारतीय छात्रों ने कॉरिडोर में नारेबाजी की. यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार से शिकायत की गई. इस मामले में विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता भी यूनिवर्सिटी प्रशासन से मिलने पहुंचे. विरोध कर रहे छात्रों का कहना था कि विदेशी स्टूडेंट्स को नमाज अपने हॉस्टल के कमरे या मस्जिद में अदा करनी चाहिए. हालांकि, रजिस्ट्रार धीरेंद्र सिंह परिहार ने कहा कि पूरा मामला 15-20 मिनट में निपटा लिया गया. कैंपस में उद्यमी बाजार मेला लगा था. शाम के 7-8 बजे अचानक हाथों में सरिये, डंडे लेकर छात्रों का गुट बिल्डिंग से निकला, वंदे मातरम, जय श्री राम, भारत माता की जय के नारे लगने लगे. भारतीय स्टूडेंट नाइजीरियन छात्रों के हॉस्टल में घुसकर तोड़फोड़ करने लगे. 40 मिनट तक यूनिवर्सिटी कैंपस में हंगामा होता रहा.
रजिस्ट्रार धीरेंद्र सिंह परिहार बताते हैं कि उस दिन 14 और 15 अक्टूबर को फुटबॉल ग्राउंड में फ्रेंडली मैच हो रहा था. प्लेयर्स खिलाने को लेकर कैप्टन और दूसरे छात्रों के बीच बहस हुई और विवाद बढ़ गया. झगड़े में 4-5 छात्र जख्मी हुए, इनमें एक को सिर में चोट लगी. इसके बाद सहमति से मामला सुलझा लिया गया. दूसरे दिन फिर दोनों गुटों के छात्र आमने-सामने आ गए. मामला विदेशी स्टूडेंट से जुड़ा था, इसलिए कॉलेज की ये लड़ाई इंटरनेशनल लेवल पर पहुंच गई. नाइजीरियन छात्रों ने दिल्ली के चाणक्यपुरी में नाइजीरियन दूतावास को घटना की जानकारी दी. यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले कुछ स्टूडेंट्स के पैरेंट्स भी एम्बेसी में काम करते हैं. एम्बेसी एक्टिव हुई तो पुलिस, प्रशासन और यूनिवर्सिटी सब एक्शन में आ गए.
नाइजीरियन छात्र शुरुआत से आरोप लगा रहे हैं कि हमले के पीछे नस्लीय मानसिकता है. विवाद को धर्म से भी जोड़ा गया. यूनिवर्सिटी कैंपस में बने हॉस्टल में करीब 850 छात्र रहते हैं. इनमें 600 छात्र भारतीय और 250 छात्र विदेशी हैं. विदेशी छात्रों में ज्यादातर अफ्रीकी हैं. घटना के बाद से छात्र इतने डरे हुए हैं कि मीडिया से बात करते हुए अपनी पहचान नहीं बताना चाहते. एक भारतीय छात्र ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर बताया कि मैच के दौरान हल्का विवाद हुआ था, अगले दिन कई तरह की अफवाह फैलने लगी. इससे माहौल बिगड़ गया. एक नाइजीरियन छात्र ने भी यही बात बताई। उसने कहा कि भारतीय छात्र हाथ में रॉड और डंडे लेकर हमारी तरफ बढ़ रहे थे. मैं हमेशा से भारतीय छात्रों के साथ मिलजुल कर रहता हूं, इसलिए मुझे समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है.
नाइजीरियन स्टूडेंट खलील फुटबॉल टीम के कप्तान हैं. खलील उस दिन मैदान पर ही थे. उन्होंने बताया कि तब नाइजीरियन छात्रों की टीम खेल रही थी. कुछ छात्रों ने भारतीय खिलाड़ियों को सब्स्टिट्यूट प्लेयर्स खिलाने को कहा. बीच गेम में ऐसा करना मुमकिन नहीं था. इसके बाद कहासुनी होने लगी. जब खलील से पूछा गया कि एक महीने पहले फुटबॉल ग्राउंड में नमाज पढ़ने पर हुए विवाद और हाल में हुई झड़प के बीच कोई लिंक तो नहीं है? उन्होंने जवाब दिया- मुझे नहीं लगता है कि इसमें कोई लिंक है, क्योंकि 14 अक्टूबर को जो लड़ाई हुई थी, वह सब्स्टिट्यूशन को लेकर हुई थी. जब से ये वाकया हुआ है, तब से हमारा डर बढ़ गया है. आगे भी हमें भारतीय छात्रों के साथ ही रहकर पढ़ाई करनी है. हम यहां आखिरकार पढ़ने ही आए हैं.
बताते हैं कि हंगामे की खबर जब नाइजीरियन दूतावास को मिली तो वहां से कुछ अधिकारी कैंपस में पहुंचे. उन्होंने नाइजीरियन छात्रों का हालचाल लिया. इसके बाद दोनों गुटों के छात्रों को एक साथ मैदान में खड़ा कर सुलह कराने की कोशिश की गई. नाइजीरियन छात्र इतना डरे हुए थे कि वे कैंपस में रात रुकने के लिए तैयार नहीं हुए. इसके बाद कई स्टूडेंट्स को बस से नाइजीरियन दूतावास ले जाया गया. वे रात भर वहीं रुके. यूनिवर्सिटी कैंपस में झड़प के बाद दोनों गुटों ने सोहना थाने में रिपोर्ट दर्ज करा दी है। गुरुग्राम के एसीपी क्राइम प्रीतपाल सांगवान बताते हैं कि अब तक विवाद में कोई सांप्रदायिक पहलू सामने नहीं आया है. आजकल हर मामले को सांप्रदायिक बना दिया जाता है, जो कि सही नहीं है. आगे की जांच में जो भी तथ्य आएंगे, उसी हिसाब से कार्रवाई की जाएगी. नाइजीरियन दूतावास ने इस मामले में ऑफिशियल बयान जारी नहीं किया है. इस बीच यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन ने भी पूरे मामले पर गोयनका यूनिवर्सिटी से रिपोर्ट तलब कर ली है।

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