आईआईएमसी, दिल्ली में ‘शुक्रवार-संवाद’ : भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) की ओर से आयोजित ‘शुक्रवार संवाद’ के अंतर्गत के.आर. मलकानी स्मृति-व्याख्यान को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार स्वपन दासगुप्ता ने कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थियों को बिना किसी दबाव में पत्रकारिता की सीख लेकर लोकतंत्र को मजूबत करना चाहिए। विद्यार्थी पत्रकारिता की वह सीख के.आर.
आईआईएमसी, दिल्ली में ‘शुक्रवार-संवाद’ : भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) की ओर से आयोजित ‘शुक्रवार संवाद’ के अंतर्गत के.आर. मलकानी स्मृति-व्याख्यान को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार स्वपन दासगुप्ता ने कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थियों को बिना किसी दबाव में पत्रकारिता की सीख लेकर लोकतंत्र को मजूबत करना चाहिए। विद्यार्थी पत्रकारिता की वह सीख के.आर. मलकानी के जीवन से ले सकते हैं।
‘के.आर. मलकानी : स्वतंत्र भारत में मीडिया स्वतंत्रता के योद्धा’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए स्वपन दासगुप्ता ने कहा कि पत्रकारिता का मुख्य गुण है, आप निष्पक्ष भाव से तथ्यों पर गौर करते हुए पत्रकारिता करें और किसी भी प्रकार का पूर्वाग्रह और द्वेष न रखें। इस तरह के व्याख्यानों की मदद से पत्रकारिता के विद्यार्थियों को मलकानीजी के बारे में गहनता से जानने का मौका मिलेगा।
आईआईएमसी महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि मलकानी जी उन लोगों में से थे, जिन्होंने बनता हुआ और बदलता हुआ भारत देखा। उन्हें याद करना अपने उस पुरखे को याद करना है, जिसने हमें रास्ता दिखाया कि पत्रकारिता कैसी होनी चाहिए। उनके लेखन में एक भारत बनाने और आम आदमी को न्याय दिलाने की भावना थी। वह उन पत्रकारों में से एक थे, जिन्होंने इमरजेंसी के दौरान कोई समझौता नहीं किया।
‘ऑर्गनाइजर वीकली’ के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि ये बड़े ही आश्चर्य की बात है, ‘फ्री स्पीच’ और ‘फ्री प्रेस’ पर जिनके संपादकीयों के कारण प्रेस की स्वतंत्रता की बात शुरू हुई, उन मलकानी जी का नाम आज चल रही ‘फ्री स्पीच डिबेट’ तक में नहीं लिया जाता है। मलकानी जी चार दशक तक पत्रकारिता में रहे। वे पहले ऐसे पत्रकार थे, जिन्हें आपातकाल में सबसे पहले जेल हुई एवं सबसे बाद में रिहाई। बाद में उनके जेल जीवन की कहानी उनकी कलम से ‘मिडनाइट नॉक’ नामक पुस्तक के रूप में सामने आई।
कार्यक्रम का संचालन आईआईएमसी के डीन (छात्र कल्याण) प्रो. प्रमोद कुमार ने किया। इस अवसर पर डीन प्रो. गोविंद सिंह के साथ ही संस्थान के प्राध्यापकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों सहित समस्त विद्यार्थी भी उपस्थित रहे।
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