फ्रांस के संसदीय चुनावों में वामपंथी गठबंधन ने सबसे ज्यादा सीटें जीत ली हैं. इस गठबंधन ने धुर दक्षिणपंथियों को सत्ता से दूर रखने की अपील के साथ चुनाव लड़ा था. पहले दौर में बड़ी बढ़त हासिल करने वाली फ्रांस की धुर दक्षिणपंथी पार्टी को दूसरे चरण में हार का सामना करना पड़ा है. दूसरे
फ्रांस के संसदीय चुनावों में वामपंथी गठबंधन ने सबसे ज्यादा सीटें जीत ली हैं. इस गठबंधन ने धुर दक्षिणपंथियों को सत्ता से दूर रखने की अपील के साथ चुनाव लड़ा था. पहले दौर में बड़ी बढ़त हासिल करने वाली फ्रांस की धुर दक्षिणपंथी पार्टी को दूसरे चरण में हार का सामना करना पड़ा है. दूसरे दौर के मतदान के बाद मरीन ली पेन की पार्टी नेशनल रैली (आरएन) तीसरे नंबर पर खिसक गई और वामपंथी दलों के गठबंधन न्यू पॉप्युलर फ्रंट (एनएफपी) ने सबसे ज्यादा 182 सीटें हासिल कीं.
राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों का मध्यमार्गी गठबंधन दूसरे स्थान पर आया है. किसी भी दल के पास संसद में पूर्ण बहुमत नहीं है. हालांकि दक्षिणपंथी दलों ने अपनी सीटों की संख्या में पिछली बार के मुकाबले भारी वृद्धि की है, लेकिन फिर भी वे उम्मीदों से बहुत कम रहे. पहले चरण के मतदान के बाद संभावनाएं जताई जा रही थीं कि नेशनल रैली पहली बार फ्रांस में सरकार बनाने के करीब पहुंच सकती है. पहले चरण में उसने भारी जीत दर्ज की थी लेकिन रविवार को हुए दूसरे चरण के मतदान में वामपंथी दलों ने उससे यह बढ़त छीन ली और आरएन 143 सीटों पर ही सीमित हो गई.
इस बीच फ्रांस के प्रधानमंत्री गैब्रिएल अताल ने इस्तीफे की घोषणा कर दी है. चूंकि अब संसद में किसी पार्टी के पास बहुमत नहीं है इसलिए देश में अनिश्चितता का दौर है और अब क्या होगा, इस पर कई सवाल उठ रहे हैं. फ्रांस एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है. इसका राजनीतिक घटनाक्रम यूक्रेन युद्ध, वैश्विक कूटनीति और यूरोप की आर्थिक स्थिरता पर असर डाल सकता है.
चुनावों के अंतिम परिणामों के अनुसार, वामपंथी गठबंधन एनएफपी ने सबसे अधिक सीटें जीती हैं. संसद में वामपंथी गठबंधन के पास 182 सीटें हैं जबकि माक्रों के मध्यमार्गी दल के पास 168 सीटें हैं. पहले चरण में सबसे बड़ी पार्टी रही नेशनल रैली के पास 143 सीटें हैं. फ्रांस की 577 सीटों वाली नेशनल असेंबली में बहुमत के लिए 289 सीटों की जरूरत है.
राष्ट्रपति माक्रों के दफ्तर ने बयान जारी कर कहा कि वह किसी भी नई सरकार के बारे में निर्णय लेने के लिए “नई नेशनल असेंबली के संगठित होने तक” इंतजार करेंगे. नेशनल असेंबली का पहला पूर्ण सत्र 18 जुलाई को होगा. प्रधानमंत्री गैब्रिएल अताल ने घोषणा की है कि वह पेरिस ओलंपिक के दौरान और जब तक जरूरत हो, अपने पद पर बने रहेंगे. नए प्रधानमंत्री और सरकार के गठन के लिए हफ्तों से लेकर महीनों तक राजनीतिक बातचीत जारी रह सकती है.
नेशनल रैली के अध्यक्ष ने पार्टी को मिली ऐतिहासिक बढ़त को महत्वपूर्ण बताया. हालांकि नतीजे उनकी उम्मीदों से काफी कम रहे. पार्टी अध्यक्ष और नेशनल रैली की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार जॉर्डन बारडेला ने राष्ट्रपति माक्रों पर फ्रांस को अनिश्चितता और अस्थिरता में धकेलने का आरोप लगाया. 28 वर्षीय बारडेला ने कहा, “करोड़ों फ्रांसीसियों से अपनी सोच को सत्ता में लाने की संभावना छीनना कभी भी फ्रांस का व्यवहारिक भविष्य नहीं बन पाएगा.”
उसी रैली में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए मरीन ली पेन ने कहा, “लहर बढ़ रही है. हमारी जीत को बस टाला गया है.” पिछले आम चुनाव में आरएन ने 82 सीटें जीती थीं. वामपंथी नेता जीन-लूक मेलेंशों ने चुनाव परिणामों को “देश के अधिकांश लोगों के लिए बड़ी राहत” बताया और प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग की. एनएफपी के नेता मेलेंशों ने कहा, “राष्ट्रपति का फर्ज बनता है कि वह गठबंधन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करें.”
मेलेंशों ने अन्य दलों के साथ किसी तरह के गठबंधन की संभावनाओं से इनकार कर दिया. एनएफपी में शामिल सोशलिस्ट पार्टी के नेता ओलिविएर फाउरे ने भी कहा कि “विपरीत विचारधाराओं का” ऐसा गठबंधन नहीं बनना चाहिए जो माक्रों की नीतियों को ही जारी रखे. ग्रीन पार्टी की नेता मरीन तोंदेलियर ने कहा कि यह एनएफपी की स्पष्ट जीत है. उन्होंने कहा, “हम जीते हैं और सरकार बनाएंगे. आज सामाजिक न्याय की जीत हुई है. पारिस्थितिकी न्याय की जीत हुई है और यह बस शुरुआत है.”
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