एक स्टडी में सामने आया है कि पर्यावरण क्षेत्र से जुड़ी ज्यादातर अवैध (आपराधिक) गतिविधियों पर नशा माफ़िया का जाल फैलता जा रहा है. इस समय पर्यावरण अपराध दुनिया का तीसरा सबसे आकर्षक आपराधिक कारोबार है, फिर भी अक्सर इसे छोटा-मोटा अपराध माना जाता है. एक ताज़ा रिसर्च के मुताबिक, अब इन हालात का भारत
एक स्टडी में सामने आया है कि पर्यावरण क्षेत्र से जुड़ी ज्यादातर अवैध (आपराधिक) गतिविधियों पर नशा माफ़िया का जाल फैलता जा रहा है. इस समय पर्यावरण अपराध दुनिया का तीसरा सबसे आकर्षक आपराधिक कारोबार है, फिर भी अक्सर इसे छोटा-मोटा अपराध माना जाता है. एक ताज़ा रिसर्च के मुताबिक, अब इन हालात का भारत भी अपवाद नहीं माना जा रहा है. पर्यावरण कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि यूरोपीय संघ का नया कानून जल्द ही इसे बदल सकता है. सासा ब्रॉन ने 28 सालों में एक रिसर्चर के रूप में काम करते हुए बहुत कुछ देखा है. पिछले छह सालों में इंटरपोल के पर्यावरण से जुड़े सुरक्षा कार्यक्रम के आपराधिक खुफिया अधिकारी के तौर पर काम करना उनके लिए सबसे ज्यादा चौंकाने वाला रहा.
उन्होंने हाल ही में जर्मन राजनेताओं के साथ आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कहा- “पर्यावरण अपराध के क्षेत्र में क्रूरता और फायदा लगभग सोच से परे है. कार्टेल ने अवैध खनन, लकड़ी के व्यापार और कचरे के अवैध निपटारे के पूरे क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिया है.”
ब्राउन ने उदाहरण गिनाए- पेरू में जंगलों की कटाई का विरोध करने वाले गांवों को आपराधिक गिरोहों ने उजाड़ दिया, तो वहीं मछली पकड़ने वाले अवैध बेड़े ने भुगतान से बचने के लिए चालक दल को पानी में फेंक दिया. अवैध तरीकों से हासिल की गई लकड़ी और मछली का ज्यादातर हिस्सा जर्मनी लाया गया. पर्यावरण से जुड़े अपराध के कई रूप हैं और इसमें जंगली जानवरों का अवैध व्यापार, अवैध कटाई, कचरे का अवैध निपटारा और वातावरण, पानी या मिट्टी में प्रदूषण पैदा करने वाले तत्वों का अवैध बहाव शामिल है.
यह अंतरराष्ट्रीय अपराधिक गिरोह के लिए एक आकर्षक व्यवसाय है. उदाहरण के लिए, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के आंकड़ों के मुताबिक सालाना 10 से 12 अरब अमेरिकी डॉलर कीमत के अवैध कचरे की तस्करी होती है. ये गिरोह कचरे के उचित निपटारे और परमिट की लागत को बचा लेते हैं. कुछ गिरोहों के लिए, कचरा प्रबंधन से होने वाला फायदा इतना ज्यादा दिलचस्प है कि इसने नशीले पदार्थों की तस्करी को भी पीछे छोड़ दिया है. अवैध कटाई से होने वाला मुनाफा भी बढ़ा है. उदाहरण के लिए, अच्छी तरह तैयार हो चुकी ट्रॉपिकल लकड़ियां दुर्लभ हैं और इनकी मांग ज्यादा है. इसका इस्तेमाल नाव बनाने के लिए किया जाता है. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) की वन अपराध की जर्मन शाखा में प्रोजेक्ट मैनेजर कैथरीना लैंग कहती हैं कि उपभोक्ता कभी भी नहीं तय कर सकते कि उनके खरीदे गए उत्पाद में इस्तेमाल की गई लकड़ी कानूनी तरीकों से हासिल की गई है या नहीं.
जर्मन एसोसिएशन ऑफ इंजीनियर्स (वीडीआई) की 2021 की एक स्टडी के मुताबिक, दुनिया में वन क्षेत्र में हो रही 30% गतिविधियों के लिए अवैध लॉगिंग अकाउंट हैं. ट्रॉपिकल लकड़ी पैदा करने वाले देशों में ये आंकड़े करीब 90% तक बढ़ सकते हैं. जर्मन टिम्बर रेगुलेशन पैदावार के प्रमाण पत्र की मांग करते हैं, लेकिन डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने कई बार साबित किया है कि लेबलिंग को लेकर अक्सर धोखाधड़ी होती है. उदाहरण के लिए, लकड़ी को वियतनाम की सख्त लकड़ी बताया जा सकता है लेकिन असल में यह निचले दर्जे की बेकार लकड़ी हो सकती है. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, जर्मनी लकड़ी के लेबल को जांचने के लिए जेनेटिक और आइसोटोपिक फिंगरप्रिंटिंग का इस्तेमाल करता है.
सासा ब्राउन का कहना है कि डब्ल्यूडब्ल्यूएफ जैसे गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग अमूल्य है, लेकिन इन संगठनों के काम की हमेशा तारीफ नहीं की जाती है, खासकर उन देशों में जहां सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार है. यूरोपियन यूनियन एजेंसी फॉर लॉ एनफोर्समेंट कोऑपरेशन (यूरोपोल) के मुताबिक, पर्यावरण से जुड़े अपराध नशीले पदार्थों की तस्करी और नकली सामानों के बाद दुनिया भर में अपराध का तीसरा सबसे आकर्षक क्षेत्र है. इसमें हर साल 110 अरब डॉलर से 280 अरब डॉलर के बीच का मुनाफा है.
सटीक आंकड़े बता पाना मुश्किल है क्योंकि ऐसे मामलों की संख्या बहुत ज्यादा है जो सामने नहीं आ पातीं. जर्मनी और यूरोप में वन्यजीव कार्यक्रम के लिए काम कर रहे प्रमुख मोरित्ज क्लोस कहते हैं- “यह निश्चित रूप से इस तथ्य से भी जुड़ा है कि हम पर्यावरण से जुड़े अपराध के मामले में प्रशासनिक अपराधों की बात करते हैं. कई मामले अक्सर उजागर नहीं होते हैं. उनके बारे में सिर्फ तभी पता चल पाता है जब जानबूझकर और टारगेट कंट्रोल किया जाता हैं. अपराधों का खुलासा होने पर भी सजा हल्की ही होती है.”
विशेषज्ञ इस बात से सहमत लगते हैं कि स्टाफ की कमी के साथ-साथ संभवतः राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी की भी समस्या है. क्लोस बताते हैं- “कुछ साल पहले (पश्चिमी जर्मन राज्य) नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया में, हमारे पास पर्यावरण मंत्रालय में एक पर्यावरण अपराध से जुड़ी यूनिट थी, जो बहुत सफल रही. एक अनुभवी जांचकर्ता और एक सरकारी प्रॉसिक्यूटर ने नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया में पर्यावरण अपराध के मामलों पर साथ काम किया, अधिकारियों को सलाह दी और कुछ मामलों की खुद से जांच की. हालांकि, इसे “राजनीतिक कारणों से” बंद कर दिया गया.”
उन्होंने बताया कि राज्य अब इस फैसले को पलटने की कोशिश कर रहा है. पूर्वी जर्मन राज्य ब्रैंडेनबर्ग में दो साल पर्यावरण से जुड़े अपराध को लेकर विशेष अभियोजन कार्यालय चला. हालांकि वहां के लोगों ने स्टाफ की कमी की भी शिकायत की. विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यावरणीय अपराध से निपटने के लिए प्रशिक्षित जजों, सरकारी वकील, पुलिस और सीमा शुल्क अधिकारियों के साथ यूरोप भर में संचालन केंद्रों की जरूरत है.
सासा ब्रॉन का कहना है कि पर्यावरणीय अपराध को बाकी गंभीर अपराधों की तरह ही अंडरकवर जांच, वायरटैप और जीपीएस ट्रैकिंग समेत उन्हीं उपकरणों से लड़ा जाना चाहिए. इसे अक्सर छोटा अपराध माना जाता है ना कि हमारे भविष्य के खिलाफ अपराध. कुछ लोग उम्मीद कर रहे हैं कि नया कानून पर्यावरण कानूनों को सख्त बनायेगा. यूरोप में, पर्यावरणीय अपराध के लिए असल तौर पर कोई सजा नहीं है. कानून तोड़ने वाले सजा से बच निकलते हैं और कानून मानने पर कम जोर दिया जाता है.
यूरोपीय पर्यावरण आयुक्त वर्जिनियस सिंकेविसियस ने पिछले साल कहा था कि हम पर्यावरणीय अपराध पर नये निर्देशों का प्रस्ताव लाकर बदलाव चाहते हैं जो पर्यावरणीय कानून के शासन को मजबूत करेगा. जर्मनी के प्रमुख पर्यावरण संघों को डर है कि प्रतिबंध उतने सख्त नहीं होंगे जितने होने चाहिए. जर्मन न्याय मंत्री मार्को बुशमैन को लिखे एक खुले पत्र में, उन्होंने उनसे यह सुनिश्चित करने की गुजारिश की कि यूरोपीय संघ आधुनिक और असरदार कानून अपनाये.
उन्होंने गंभीर पर्यावरणीय अपराधों की अधिकतम सजा को कम करने के साथ-साथ कंपनियों के लिए जुर्माना कम करने की वकालत करने के लिए बुशमैन की भी आलोचना की. बर्लिन के इकोलॉजिक इंस्टीट्यूट में पर्यावरण कानून में विशेषज्ञता रखने वाले एक वकील श्टेफान सिना ने बताया कि और उपाय ज्यादा असरदार होंगे. प्रतिबंधों की बात आती है, तो यह अहम है कि किसी अपराध से होने वाले फायदे को नियम से जब्त किया जाए. यह आमतौर पर अपराधियों पर सजा से ज्यादा भारी पड़ता है. (डीडब्ल्यू से साभार बेटीना स्टेहकैंपर की रिपोर्ट)
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