एक ओर दुनिया परमाणु खतरों का रोना रो रही है, चीन ताइवान में ठनी हुई है, दूसरी ओर बेल्जियम में नाटो के 14 देशों का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू हो चुका है. रूस की परमाणु धमकियों के बीच नाटो भी इस सैन्य अभ्यास में एटमी हथियारों की प्रैक्टिस कर रहा है. नाटो के सैन्य
एक ओर दुनिया परमाणु खतरों का रोना रो रही है, चीन ताइवान में ठनी हुई है, दूसरी ओर बेल्जियम में नाटो के 14 देशों का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास शुरू हो चुका है. रूस की परमाणु धमकियों के बीच नाटो भी इस सैन्य अभ्यास में एटमी हथियारों की प्रैक्टिस कर रहा है. नाटो के सैन्य अभ्यास को “स्टेडफास्ट नून” नाम दिया गया है, जिसमें 60 सैन्य विमान शामिल हो रहे हैं. इनमें लड़ाकू विमान, निगरानी करने वाले एयरक्राफ्ट, रिफ्यूलिंग करने वाले विमानों समेत एक B-52 बमवर्षक भी शामिल हो रहा है. नाटो के मुताबिक लंबी दूरी तक उड़ान भरने वाला B-52 बॉम्बर अमेरिकी प्रांत नॉर्थ डकोटा से बेल्जियम पहुंचेगा.
सैन्य अभ्यास के दौरान नाटो के 14 सदस्य देश अपने इलाके की रक्षा के लिए साझेदारों के परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की ट्रेनिंग करेंगे. ट्रेनिंग बेल्जियम की जमीन, उत्तरी सागर और ब्रिटेन के ऊपर की जा रही है. नाटो का कहना है कि स्टेडफास्ट नून के दौरान किसी भी हथियार की लाइव ट्रेनिंग नहीं की जा रही है. यूक्रेन युद्ध के कारण पश्चिमी देशों और रूस के बीच तनाव चरम पर है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कई बार परमाणु हथियार चलाने की धमकी दे चुके हैं. मॉस्को का कहना है कि यूक्रेन को हथियार दे रहे पश्चिमी देश, रूस के साथ सीधे टकराव के रास्ते पर बढ़ रहे हैं. पुतिन के मुताबिक अगर रूस के अस्तित्व पर खतरा मंडराया तो वे परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकेंगे. हाल के दिनों में अमेरिका, नाटो और यूरोपीय संघ ने भी पुतिन को पलटकर सख्त लहजे में चेतावनी दी है.
बेल्जियम में हो रहे सैन्य अभ्यास से ठीक पहले नाटो के प्रवक्ता ओनान लुंगेस ने कहा कि स्टेडफास्ट नून, नाटो का एक आम वार्षिक सैन्य अभ्यास है, जो हर साल नाटो के एक अलग सदस्य देश में किया जाता है, “अभ्यास के जरिए साझेदार इस बात की तसदीक कर पाते हैं कि उनकी जवाबी परमाणु क्षमता सुरक्षित और असरदार है.” नाटो की प्रेस विज्ञप्ति में इसे किसी देश के लिए चेतावनी नहीं बताया गया है, स्टेडफास्ट नून “एक रूटीन, दोहराई जाने वाली ट्रेनिंग एक्टिविटी है और इसका मौजूदा अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम से कोई लेना देना नहीं है.” नाटो के न्यूक्लियर शेयरिंग प्रोग्राम के तहत, आपात स्थिति में दुश्मन से लड़ने के लिए यूरोप में तैनात अमेरिकी परमाणु हथियारों को साझेदार देशों के विमान इस्तेमाल कर सकते हैं. जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के परमाणु हथियार, जर्मनी, नीदरलैंड्स, बेल्जियम और तुर्की में रखे गये हैं. नाटो ने आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि नहीं की है.
कई रिपोर्टों में दावा किया गया है कि शीत युद्ध खत्म होने के बाद अमेरिका ने अपने ज्यादातर परमाणु हथियार यूरोप से हटा लिए थे. करीब अमेरिकी 100 परमाणु बम आज भी यूरोप में तैनात हैं, इनमें से ज्यादातर रणनीतिक न्यूक्लियर हथियार हैं. रूसी सेना ने 24 फरवरी 2022 को अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर यूक्रेन पर हमला कर दिया. तब से उत्तर पूर्वी, पूर्वी और दक्षिणी यूक्रेन में यूक्रेनी सेना और रूसी सेना के बीच भीषण जंग छिड़ी हुई है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का दावा है कि युद्ध में अब तक करीब 65,000 रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं. मॉस्को ने 21 सिंतबर को अपने मारे गए सैनिकों संख्या 5,937 बताई. स्वतंत्र रूप से दोनों पक्षों के दावों की पुष्टि करना संभव नहीं है. आठवें महीने में दाखिल हो चुके युद्ध में अब रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है. यूक्रेन का कहना है कि 17 अक्टूबर को रूसी सेना ने कीव पर ड्रोन से हमले किए. हफ्ते भर के भीतर कीव को दूसरी बार मिसाइल ओर ड्रोन का निशाना बनाया गया है.
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