एक आरटीआई आवेदन के जवाब में कृषि मंत्रालय ने बताया है कि पीएम-किसान योजना के तहत 2019 में 11.84 करोड़ किसानों को दो हज़ार रुपये की पहली किस्त मिली थी, वहीं इस साल केवल 3.87 करोड़ लाभार्थियों को ही 11वीं किस्त मिली है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन के जवाब में
एक आरटीआई आवेदन के जवाब में कृषि मंत्रालय ने बताया है कि पीएम-किसान योजना के तहत 2019 में 11.84 करोड़ किसानों को दो हज़ार रुपये की पहली किस्त मिली थी, वहीं इस साल केवल 3.87 करोड़ लाभार्थियों को ही 11वीं किस्त मिली है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) आवेदन के जवाब में बताया कि केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के तहत धनराशि प्राप्त करने वाले किसानों की संख्या 2019 में योजना की शुरुआत से इस साल मई-जून में वितरित 11वीं किस्त तक दो-तिहाई कम हो गई. पीएम-किसान को पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी 2019 में लॉन्च किया गया था, जिसके तहत केंद्र सरकार सभी पात्र किसानों को 2,000 रुपये की तीन किस्तें देती है. केंद्र सरकार की ओर से यह धनराशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजी जाती है. चुनावों के बाद इस योजना में देश के सभी किसानों, चाहे उनकी जमीन (जोत) का आकार कुछ भी हो, शामिल कर लिया गया था.
द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, जहां फरवरी 2019 में 11.84 करोड़ किसानों को योजना के तहत पहली किस्त मिली थी, वहीं इस साल मई-जून में 11वीं किस्त केवल 3.87 करोड़ किसानों को मिली. यह आंकड़ा केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा कार्यकर्ता कन्हैया कुमार द्वारा दायर एक आरटीआई आवेदन के जवाब में सामने आया था. इसमें योजना के तहत दी गई 12वीं किस्त का डेटा शामिल नहीं है, जिसे इस साल अक्टूबर में वितरित किया गया था. अखबार की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह वितरण में यह गिरावट योजना के तहत दी गई छठी किस्त से शुरू हुई, जिसे 2020 के अंत में वितरित किया गया था. केवल 9.87 करोड़ किसानों को छठी किस्त मिली और यह आंकड़ा अगली किस्तों में घटता-बढ़ता रहा- 9.30 करोड़ किसान (सातवीं किस्त), 8.59 करोड़ (आठवीं), 7.66 करोड़ (नौवीं) और 6.34 करोड़ (10वीं).
द हिंदू की रिपोर्ट में भारत के 22 राज्यों में योजना के तहत लाभार्थियों की संख्या में कमी का विवरण दिया गया है. जिन राज्यों में लाभार्थियों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई, उनमें सबसे ऊपर मध्य प्रदेश था, जहां यह संख्या 88.63 लाख से घटकर मात्र 12,053 रह गई. साथ ही मेघालय भी, जहां पहली किस्त के लिए लाभार्थियों की संख्या 1.95 लाख से गिरकर 11वीं किस्त तक केवल 627 रह गई. महाराष्ट्र में पहली किस्त के 1.09 करोड़ लाभार्थियों की संख्या में 65.89% की गिरावट दर्ज की गई, जो 11वीं किस्त में 37.51 लाख लाभार्थियों पर पहुंच गई. ऐसा ही कुछ किसानों के प्रमुख राज्य पंजाब में हुआ, जहां पहली किस्त के लाभार्थियों की संख्या 23.34 लाख से गिरकर ग्यारहवीं किस्त में 11.31 लाख हो गई.
चुनावी राज्य गुजरात में यह गिरावट 55 फीसदी की रही, जहां पहली किस्त में 63.13 लाख लाभार्थियों को लाभ मिला था. यह संख्या 11वीं किस्त में घटकर 28.41 लाख हो गई है. गौरतलब है कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय के जवाब में पश्चिम बंगाल के संबंध में डेटा स्पष्ट नहीं है. ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार और केंद्र सरकार के बीच योजना की कई पहलुओं- जैसे लाभार्थियों का सत्यापन और डीबीटी के बजाय फंड को उसके माध्यम से देने, को लेकर असहमति के कारण मई 2021 में योजना की आठवीं किस्त तक पश्चिम बंगाल के किसानों को कथित तौर पर कोई धनराशि नहीं मिली थी.
हालांकि, हिंदू की रिपोर्ट में राज्य में पहली किस्त के लाभार्थियों की संख्या 45.63 लाख बताई गई है, साथ ही कहा गया है कि छठी किस्त के बाद से बंगाल में किसी भी किसान को योजना के तहत धन नहीं मिला है. इस साल की शुरुआत में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी लोकसभा में एक सवाल के जवाब में यही जानकारी दी थी. पीएम-किसान योजना के लाभार्थियों की संख्या में गिरावट को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक धवले ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार डीबीटी योजना को चुपचाप खत्म करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने द हिंदू से कहा कि यह योजना किसानों के सामने पेश आने वाले वास्तविक मुद्दों से बचने के लिए एक और जुमला थी.
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