भारत ने कनाडा में ‘खालिस्तान जनमत संग्रह’ के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार करते हुए कनाडा सरकार से कार्रवाई की मांग की है. भारत ने कनाडा से 6 नवंबर को ओंटारियो में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ द्वारा तथाकथित ‘खालिस्तान जनमत संग्रह’ की निंदा करने और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के खिलाफ आतंक और
भारत ने कनाडा में ‘खालिस्तान जनमत संग्रह’ के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार करते हुए कनाडा सरकार से कार्रवाई की मांग की है. भारत ने कनाडा से 6 नवंबर को ओंटारियो में प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन ‘सिख फॉर जस्टिस’ द्वारा तथाकथित ‘खालिस्तान जनमत संग्रह’ की निंदा करने और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के खिलाफ आतंक और हिंसा को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है. भारत सरकार ने दो टूक शब्दों में जस्टिन ट्रूडो सरकार से ‘खालिस्तान जनमत संग्रह’ को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि किसी भी कनाडाई सरकारी संपत्ति का इस्तेमाल भारतीय लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने या हिंसा का आह्वान करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
अंग्रेजी वेबसाइट हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ओटावा में भारतीय उच्चायोग ने ओंटारियो में ग्लोबल अफेयर्स कनाडा के कार्यकारी निदेशक को एक डिमार्श यानी सरकारों के बीच विरोध जताने वाला एक औपचारिक नोट दिया. इसमें कहा गया कि 6 नवंबर को पॉल कॉफी एरिना, मिसिसॉगा में दूसरा तथाकथित जनमत संग्रह होगा. इससे पहले पिछली बार एसएफजे ने जनमत संग्रह 19 सितंबर को ब्रैम्पटन, ओंटारियो में आयोजित किया था.
भारत ने कनाडा को सूचित किया है कि भारत विरोधी गतिविधियों को हिंसक आतंकवादी संगठनों द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है, जो निर्दोष नागरिकों की हत्या की वकालत करते हैं. हालांकि, नई दिल्ली ने जस्टिन ट्रूडो सरकार को याद दिलाया कि दोनों देश एक-दूसरे की सुरक्षा और राष्ट्रीय हित के लिए हानिकारक गतिविधियों के लिए अपने क्षेत्रों के उपयोग की अनुमति नहीं देने के लिए सहमत हुए थे. कनाडा सरकार ने पहले नई दिल्ली को 16 सितंबर, 2022 को एक नोट वर्बल के माध्यम से लिखित रूप में बताया था कि वह इस तरह के तथाकथित जनमत संग्रह को मान्यता नहीं देती है.
भारत सरकार ने वास्तव में कनाडा सरकार से हिंसा को बढ़ावा देने और भारत की क्षेत्रीय अखंडता को खतरे में डालने के ऐसे प्रयासों की कड़े शब्दों में निंदा करने का अनुरोध किया है. भारत ने ट्रूडो सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि कनाडा की धरती का उपयोग उन गतिविधियों के लिए नहीं किया जाए, जो आतंक को बढ़ावा देते हैं, भारत के लोगों के खिलाफ हिंसा करते हैं और इसकी राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करते हैं. वहीं, भारतीय उच्चायोग ने अपने समकक्षों को सूचित किया है कि 6 नवंबर को होने वाले जनमत संग्रह के में मतदान के लिए आयोजक भारतीय समुदाय का ध्रुवीकरण करने और सिख छात्रों को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश कर रहे हैं. बता दें कि एसएफजे भारत में प्रतिबंधित है.
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