अमरूद की खेती को भारत में आम, केला और नींबू के बाद कमर्शियल क्रॉप माना जाता है. अमरूद का स्वाद खाने में अधिक स्वादिष्ट और मीठा होता है. इसमें कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. इसी लिए देश और विदेश में इसकी मांग बढ़ती जा रही है, जिसके चलते अब अमरूद की खेती पूरे
अमरूद की खेती को भारत में आम, केला और नींबू के बाद कमर्शियल क्रॉप माना जाता है. अमरूद का स्वाद खाने में अधिक स्वादिष्ट और मीठा होता है. इसमें कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. इसी लिए देश और विदेश में इसकी मांग बढ़ती जा रही है, जिसके चलते अब अमरूद की खेती पूरे देश में होने लगी है. इसलिए अमरूद की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने भी हाथ बढ़ाया है. ऐसे में आप को भी अमरूद की खेती से मोटी कमाई का मौका मिल सकता है.
बिहार सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू करने जा रही है. इसी के साथ फल और सब्जियों की खेती पर भी सरकार सब्सिडी भी रही है. इसी कड़ी में बिहार कृषि विभाग अमरूद की खेती को बढ़ावा देने के लिए 60% सब्सिडी दे रही है. बिहार सरकार कृषि विभाग उद्यान निदेशालय ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है. ट्वीट में कहा, अमरूद की खेती करने वाले किसानों के लिए सुनहरा मौका दिया जा रहा है. एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत अमरूद प्रति हेक्टेयर के लिए सरकार 60% की सब्सिडी दे रही है. सब्सिडी का जल्द लाभ उठाएं और जीवन को खुशहाल बनाएं. और अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के सहायक निदेशक, उद्यान से संपर्क करें.
कृषि विभाग उद्यान निदेशालय के अनुसार, एक हेक्टेयर में अमरूद की खेती पर करीब 1,00,000 रुपए का खर्च आता है.मतलब की इस पर 60% के हिसाब से किसानों को 60,000 रुपये की सब्सिडी तोर पर मिलेगे. अमरूद बहुत सारे औषधीय गुणों पाए जाते हैं. इसमें विटामिन सी, विटामिन बी, कैल्शियम, आयरन और फास्फोरस प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. अमरूद की कई सारी किस्म हैं- इलाहाबाद सफेदा, ओर्क्स मृदुला, सरदार, श्वेता, पंजाब पिंक, इलाहाबाद सुरखा. अमरूद की खेती सितंबर-अक्टूबर और फरवरी मार्च में की जा सकती है. इसकी खेती में मिट्टी का पीएच मान 6 से 6.5 के बीच होना चाहिए. अमरूद के लिए किसानों इसी प्रकार की मिट्टी के खेत का ही इस्तेमाल करना चाहिए . अमरूद के पौधे की रोपाई के बाद 2 से 3 वर्ष में पौधे में फल लगने शुरू हो जाते है.
60 हजार रुपए की सब्सिडी का फायदा उठाने के लिए आप को horticulture.bihar.gov.in पर जाकर रजिस्ट्रेशन करना होगा. अमरूद की डिमांड भारत के साथ विदेशों में भी बहुत है. इसलिए किसानों को अमरूद की खेती करने से पहले उसमें लगने वाले रोगों से बचाव के बारे में जानना चाहिए. क्योंकि, अमरूद के पेड़ रोग लगते ही सूख जाते हैं. इसलिए आप सभी अमरूद खेती करने वालो को बगीचे में उचित स्वच्छता द्वारा रोग को नियंत्रित किया जा सकता है. अगर आप के पेड़ मुरझाए गए है, तो उनको उखाड़कर जला देना चाहिए और पेड़ के तने के चारों ओर खाई खोदनी चाहिए. साथ ही समय पर पर्याप्त खाद, इंटरकल्चर और सिंचाई करते रहना चाहिए.
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