पर्वतारोहियों की हिम-समाधि की वजह वह भूकंप तो नहीं !

पर्वतारोहियों की हिम-समाधि की वजह वह भूकंप तो नहीं !

द्रौपदी का डंडा में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (एनआईएम) के प्रशिक्षुओं के समूह का हिमस्खलन की चपेट में आने से ठीक दो दिन पहले 2 अक्टूबर को उत्तरकाशी जिले में 2.5 तीव्रता का भूकंप आया था। शुक्रवार दोपहर तक 19 शव बरामद किए गए है जबकि 10 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। वही

द्रौपदी का डंडा में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (एनआईएम) के प्रशिक्षुओं के समूह का हिमस्खलन की चपेट में आने से ठीक दो दिन पहले 2 अक्टूबर को उत्तरकाशी जिले में 2.5 तीव्रता का भूकंप आया था। शुक्रवार दोपहर तक 19 शव बरामद किए गए है जबकि 10 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं। वही अनुभवी पर्वतारोही और स्थानीय लोगों का कहना है कि भूकंप जिसका केंद्र आपदा स्थल से ज्यादा दूर नहीं था। हो सकता है भूकंप के कारण ही हिमस्खलन हुआ होगा।
नेशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी के अनुसार, 2 अक्टूबर को सुबह करीब 10:43 बजे उत्तरकाशी जिले की भटवारी तहसील के नालद गांव के पास भूकंप का केंद्र था। गौरतलब है कि भुक्की गांव से शुरू होकर माउंट द्रौपदी के डांडा तक के 25 किलोमीटर के ट्रेक के बीच में भटवारी तहसील भी पड़ता है। एवरेस्ट को सात बार फतह करने वाले लव राज धर्मशक्तु का कहना है कि कभी-कभी, यहां तक ​​​​कि छोटे झटके भी ग्लेशियरों में दरारें पैदा कर सकते हैं और बर्फ की ऊपरी परत उस पर थोड़ी मात्रा में दबाव डालने के तुरंत बाद निकल सकती है। कुछ ऐसा ही अतीत में हमने 2015 में एवरेस्ट बेस कैंप में भूकंप-ट्रिगर-हिमस्खलन के रूप में देखा है।
उत्तरकाशी जिले का दक्षिण-पूर्व भाग सहित भटवारी भी भूकंपीय जोन 4 या 5 के अंतर्गत आता है। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के वरिष्ठ भूविज्ञानी और कार्यकारी निदेशक पीयूष रौतेला ने कहा- “भूकंप हिमस्खलन और भूस्खलन को ट्रिगर करते हैं यह पता लगाने के लिए एक विस्तृत जांच की आवश्यकता है कि क्या 2 अक्टूबर को भूकंप, जो कम तीव्रता का था, ने 4 अक्टूबर को हिमस्खलन शुरू किया”। उत्तरकाशी ट्रेकिंग एंड माउंटेनियरिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष जयेंद्र राणा ने भी भूकंप के एंगल को नकारा नहीं है और उन्होंने कहा द्रौपदी का डंडा एक सुरक्षित चोटी है और हमने वहां कभी किसी बड़े हिमस्खलन के बारे में नहीं सुना है। 4 अक्टूबर की घटना भूकंप के दो दिन बाद हुई थी। मुझे लगता है इस एंगल से भी इस घटना की जांच होनी चाहिए।
दरअसल, 4 अक्तूबर यानी मंगलवार सुबह नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (एनआईएम) के 34 प्रशिक्षुओं और 7 प्रशिक्षकों सहित पर्वतारोहियों की 41 सदस्यीय टीम द्रौपदी का डंडा-2 (डीकेडी-2) चोटी पर हिमस्खलन के बाद फंस गई थी। जिसमे 12 टीम के सदस्यों को बचा लिया गया है वही 19 लोगों की मौत हो गई है,10 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे है। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (एनआईएम) द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार अब तक बरामद 19 शवों में से 15 प्रशिक्षु और 4 उनके प्रशिक्षक के हैं।वही खराब मौसम के कारण गुरुवार को रेस्क्यू ऑपरेशन रोक दिया गया ।अगले दिन शुक्रवार को फिर से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ और 3 और शव बरामद किया गया।
एनआईएम के अधिकारियों के अनुसार, बरामद हुए 19 शवों में से केवल दो महिलाओं – नौमी रावत और सविता कंसवाल की पहचान की गई है। उत्तरकाशी की रहने वाली कंसवाल केवल 16 दिनों में माउंट एवरेस्ट और माउंट मकालू पर चढ़ने वाली पहली भारतीय महिला थीं और उन्होंने एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था।

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