मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता कराने वाली संस्था की मालकिन अब एक ट्रांसवुमन हैं. थाईलैंड में क्वीन ऑफ इंडियन कंटेंट के नाम से मशहूर इस ट्रांसवुमन ने यहां तक का सफर बड़ी लंबी लड़ाई से तय किया है. वह बताती हैं कि मेरे परिवार में जंग जैसा माहौल था. शांति बनाए रखने के लिए मुझे उनके बेटे
मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता कराने वाली संस्था की मालकिन अब एक ट्रांसवुमन हैं. थाईलैंड में क्वीन ऑफ इंडियन कंटेंट के नाम से मशहूर इस ट्रांसवुमन ने यहां तक का सफर बड़ी लंबी लड़ाई से तय किया है. वह बताती हैं कि मेरे परिवार में जंग जैसा माहौल था. शांति बनाए रखने के लिए मुझे उनके बेटे के रूप में रहना पड़ा. जब तक कर सकती थी तब तक…करीब 15 साल तक मैंने एक लड़के की तरह व्यवहार किया. ऐसे अनुभव से गुजरने वाली थाईलैंड की ऐनी जकापोंग जकराजुताटिप अब मिस यूनिवर्स ऑर्गनाइजेशन की नई मालकिन हैं. ऑर्गनाइजेशन का मालिकाना हक पहली बार किसी ट्रांसवुमन के पास है. पिछले दिनो ऐनी ने ऑर्गनाइजेशन को 2 करोड़ डॉलर में खरीद लिया.
ऐनी जकापोंग जकराजुताटिप ने 2018 में टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में अपनी आपबीती सुनाई थी. ऐनी बुलिंग और यौन उत्पीड़न के अनुभव के साथ बड़ी हुईं. उनका जन्म बैंकॉक में एक रूढ़िवादी चीनी परिवार में हुआ था. 21 साल की उम्र में जब वे एक लड़की के तौर पर सामने आईं तो उनकी मां ने आत्महत्या की धमकी दी थी, जिसके बाद कुछ सालों तक दोबारा उन्हें अपनी पहचान को लेकर समझौता करना पड़ा था. ऐनी थाई सेलिब्रिटी, मीडिया टाइकून और ट्रांसजेंडर अधिकार की हिमायती हैं. वह रियलिटी शो ‘प्रोजेक्ट रनवे’ में बतौर होस्ट और ‘शार्क टैंक’ के स्थानीय वर्जन में दिखाई दे चुकी हैं. वह मीडिया कंपनी जेकेएन ग्लोबल ग्रुप पीसीएल की सीईओ और सबसे बड़ी शेयरधारक हैं.
जेकेएन खुद शो बनाता है और थाईलैंड में विदेशी ड्रामा, टीवी रियलिटी शो और डॉक्यूमेंट्री का वितरक है. यह उन अग्रणी कंपनियों में से एक है, जिसने थाई टीवी पर भारतीय टेलीविजन सीरीज को प्रसिद्धी दिलाई. बैंकॉक पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक जकापोंग को इसलिए ‘क्वीन ऑफ इंडियन कंटेंट’ का दर्जा दिया गया है. मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता की स्त्रीत्व के पुराने विचारों को पुष्ट करने को लेकर आलोचना होती रही है. ऐसे में एक ट्रांसजेंडर महिला के पास इसका मालिकाना हक होना बदलाव की ओर एक कदम है. ऐनी का कहना है- “हमारे पास अब सबसे अच्छा माध्यम है तो हम अपने लिए इसका इस्तेमाल क्यों नहीं कर सकते?”
दरअसल, ऐनी अपनी जैसी महिलाओं को प्रेरित करने और थाईलैंड के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस आयोजन का इस्तेमाल करना चाहती हैं. वह कहती हैं- “यह एक सार्वभौमिक मंच है … मैं कई लोगों के लिए खासकर महिलाओं, एलजीबीटीक्यू के लिए प्रेरणा बन सकती हूं ताकि वे बदलाव ला सकें.” वो कहती हैं- “मैंने दर्द सहना सीखा, इसलिए मैंने खुद को तैयार किया हर समय तैयार रहने के लिए… मैंने दर्द को ताकत में बदल दिया.”
मिस यूनिवर्स ऑर्गनाइजेशन लगातार कई दकियानूसी विचारों को चुनौती देता रहा है. अगली मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता जनवरी 2023 में अमेरिकी शहर न्यू ऑरलियेंस में होगी. इसमें पहली बार, मांओं और विवाहित महिलाओं को भी भाग लेने का मौका मिलेगा. मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में ट्रांसवुमन की एंट्री को साल 2012 में हरी झंडी दिखाई गई. साल 2018 में पहली बार ट्रांसवुमन एंजेला पोंस को मिस यूनिवर्स स्पेन का ताज मिला. बाद में उन्होंने मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भाग लेकर हलचल मचा दी थी. इससे एलजीबीटीक्यू के लिए रास्ते खुले और इसके बाद मिस यूनिवर्स वियतनाम ऑर्गनाइजेशन ने हो ची मिन्ह विश्वविद्यालय में बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के छात्र दो ताई हा को प्रतियोगिता के पहले ट्रांसजेंडर आवेदक के तौर पर राष्ट्रीय रूप से स्वीकार किया.
इसी तरह, मिस यूनिवर्स साउथ अफ्रीका ऑर्गनाइजेशन भी ट्रांसजेंडर महिलाओं को प्रतियोगिता में एंट्री दे रहा है. मिस यूनिवर्स फिलीपींस ऑर्गनाइजेशन ने भी अपनी सहमति दे दी. नामी सौंदर्य प्रतियोगिताओं में एलजीबीटीक्यू समुदाय से कई नाम उभर कर आने लगे. हालांकि, ग्लैमर और सौंदर्य की दुनिया में ये स्वीकार्यता काफी पेचीदगी भरा है. उदाहरण के तौर पर मिस यूनिवर्स फिलीपींस पेजेंट ने घोषणा तो की थी कि वह ट्रांसजेंडर महिलाओं को प्रतियोगी के रूप में स्वीकार करेगा लेकिन शर्त ये रखी गई कि प्रतिभागियों को “कानूनी दस्तावेज” पेश करना होगा जिसमें साबित हो कि वे महिला हैं और सर्जरी से उनका लिंग बदलने की पुष्टि हुई हो.
एलजीबीटीक्यू प्रतिभागियों के साथ भेदभाव के मामले भी सामने आए. मिस यूनिवर्स कोलंबिया 2018 वेलेरिया मोरालेस ने एंजेला पोंस की रूममेट बनने से इनकार कर दिया था क्योंकि उनका कहना था कि “एंजेला अभी भी एक आदमी हैं.” मिस यूनिवर्स ऑर्गनाइजेशन हर साल सौंदर्य प्रतियोगिता आयोजित करता है. ये प्रतियोगिता पिछले 71 सालों से जारी है और 165 देशों में प्रसारित होता है. 1996 से 2002 के बीच अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप भी इसके सह-मालिक रह चुके हैं.
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