हैज़ा की रोकथाम व बचाव के लिये वैक्सीन की दो-ख़ुराक दिये जाने की व्यवस्था को फ़िलहाल अस्थाई रूप से स्थगित कर दिया गया है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, टीकों की वैश्विक आपूर्ति में आई कमी के कारण यह निर्णय लिया गया है ताकि अन्य देशों के लिये उनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके. अन्तरराष्ट्रीय
हैज़ा की रोकथाम व बचाव के लिये वैक्सीन की दो-ख़ुराक दिये जाने की व्यवस्था को फ़िलहाल अस्थाई रूप से स्थगित कर दिया गया है. यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, टीकों की वैश्विक आपूर्ति में आई कमी के कारण यह निर्णय लिया गया है ताकि अन्य देशों के लिये उनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके. अन्तरराष्ट्रीय समन्वय समूह (ICG) ने यह निर्णय लिया है, जिसका दायित्व, हैज़ा के प्रकोप व आपात परिस्थितियों में मौखिक (oral) रूप से दिये जाने वाले इन टीकों का वितरण सुनिश्चित करना है. इस समूह में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूनीसेफ़, Médecins Sans Frontières, और इंटरनेशनल फ़ेडरेशन ऑफ़ रैड क्रॉस एवं रैड क्रिसेंट सोसाइटीज़ शामिल हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि एकल-ख़ुराक का इस्तेमाल किये जाने से मौखिक रूप से दिये जाने वाले इन टीकों को अनेक अन्य देशों में उपलब्ध कराया जा सकेगा. हैज़ा के मामलों में अभूतपूर्व उभार के बीच, ये वैक्सीन इस जलजनित बीमारी की रोकथाम व बचाव में अहम है. वैक्सीन की वैश्विक आपूर्ति में गिरावट के कारण हैजा के प्रकोप से राहत लाने वाले अभियानों में, दो-ख़ुराक टीकाकरण को फ़िलहाल अस्थाई रूप से टाल दिया गया है. अब वैक्सीन की केवल एक ख़ुराक ही दी जाएगी. इस वर्ष, जनवरी से अब तक 29 देशों ने हैज़ा के मामले दर्ज किए हैं, जिनमें हेती, मलावी और सीरिया शामिल हैं, जो मामलों में बढ़ोतरी का सामना कर रहे हैं. इसकी तुलना में, पिछले पाँच वर्षों में, औसतन 20 से कम देशों ने बीमारी के प्रकोप की सूचना दी है.
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा है कि बाढ़, सूखे, हिंसक संघर्ष, जनसंख्या आवागमन और अन्य कारकों की वजह से मौजूदा वैश्विक रुझान बहुत ज़्यादा, अधिक व्यापक और अधिक गम्भीर प्रकोपों की ओर बढ़ रहें हैं, जोकि स्वच्छ जल तक पहुँच को सीमित करते हैं और हैज़ा के प्रकोप के ख़तरे को बढ़ाते हैं. दो-ख़ुराक बहुत उपयुक्त हैं, लेकिन फिर भी एक वैक्सीन ख़ुराक की रणनीति कुछ हद तक इस प्रकोप से राहत देने में कारगर साबित हुई है मगर, इससे बचाव की सटीक अवधि के बारे में कुछ कहना मुशकिल है और साथ ही बच्चों में इस सुरक्षा कवच का स्तर कम नज़र आता है. यदि दूसरी ख़ुराक पहली ख़ुराक के छह महीने के भीतर दी जाती है, तो दो-ख़ुराक व्यवस्था से इस संक्रमण से तीन साल तक बचाव सुनिश्चित हो सकता है.
स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़, एक ख़ुराक की आपूर्ति कोई भी ख़ुराक ना होने से कहीं बेहतर है. दो-ख़ुराक की रणनीति में अस्थाई अवरोध से प्रतिरक्षण में कमी आएगी, लेकिन यदि हैज़ा के कारण वैश्विक हालात बिगड़ते हैं, तो इस निर्णय से ज़्यादा से ज़्यादा लोगों का टीकाकरण करने और निकट अवधि में उन्हें बचाव प्रदान करने में मदद मिलेगी. WHO के अनुसार हैज़ा के टीकों की आपूर्ति अभी बेहद सीमित है, और इसे ICG द्वारा समन्वित किया जाना होगा जोकि वैश्विक भण्डारण की देखरेख करता है. वर्ष 2022 में तीन करोड़ 60 लाख ख़ुराकों को तैयार किये जाने का अनुमान है, जिनमें से, दो करोड़ 40 लाख पहले ही रोकथाम के लिये (17 प्रतिशत) और जवाबी कार्रवाई (83 प्रतिशत) अभियानों के लिये भेजी जा चुकी हैं.
इसके अलावा, 80 लाख अतिरिक्त ख़ुराकों को ICG द्वारा चार देशों में आपातकालीन टीकाकरण के दूसरे दौर के लिये स्वीकृत किया गया था, जोकि वैक्सीन की गम्भीर क़िल्लत को दर्शाता है. वैक्सीन निर्माता फ़िलहाल अपनी अधिकतम क्षमता पर उत्पादन कर रहे हैं, और इस वजह से उत्पादन बढ़ाने के लिये कोई अल्पकालिक समाधान नहीं है. दीर्घकाल में वैश्विक वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है. समन्वय समूह ने वैश्विक महामारी विज्ञान के रुझानों की निगरानी जारी रखने और नियमित रूप से इस निर्णय की समीक्षा करने की बात की है.
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