आइडा एक रोबोट है, जो कलाकारी का हुनर रखती है. आइडा ने बीते मंगलवार को ब्रिटिश सांसदों से संसद में ‘बातचीत’ की. उसने सांसदों को बताया कि वह भले ही एक ‘कृत्रिम’ रचना है, लेकिन कलाकृतियां बनाने में सक्षम है. आइडा ब्रिटिश संसद में एक संसदीय जांच के समक्ष पेश हुई. एक संसदीय समिति जांच
आइडा एक रोबोट है, जो कलाकारी का हुनर रखती है. आइडा ने बीते मंगलवार को ब्रिटिश सांसदों से संसद में ‘बातचीत’ की. उसने सांसदों को बताया कि वह भले ही एक ‘कृत्रिम’ रचना है, लेकिन कलाकृतियां बनाने में सक्षम है. आइडा ब्रिटिश संसद में एक संसदीय जांच के समक्ष पेश हुई. एक संसदीय समिति जांच कर रही है कि नई तकनीक रचनात्कम उद्योगों पर किस तरह का असर डालेगी. इस संबंध में आइडा ने अपना पक्ष पेश किया.
आइडा को दुनिया की पहली ‘अत्याधुनिक कृत्रिम ह्यूमनोएड रोबोट कलाकार’ कहा जाता है. वह संसदीय समिति के सामने आई तो उसने छोटे काले बालों वाली विग पहन रखी थी. उसके शरीर पर नीली डंगरी थी और उसने महिला रूप धारण कर रखा था. उसकी बाहें नंगी थीं जिनमें तारों के जाल देखे जा सकते थे. आइडा को ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बनाया है. उसे यह नाम ब्रिटिश गणितज्ञ और कंप्यूटर विशेषज्ञ एडा लवलेस ने दिया था.
‘हाउस ऑफ लॉर्ड्स कम्यूनिकेशंस एंड डिजिटल कमेटी’ के सामने आइडा अपने प्रोजेक्ट डायरेक्टर और आर्ट गैलरी के निदेशक एडन मेलर के साथ मौजूद थी. उसने समिति के सदस्यों के कई सवालों के जवाब दिए. जब आइडा से पूछा गया कि उसकी कलाकृतियां किस तरह इंसान द्वारा बनाई गई कलाकृतियों से अलग हैं, तो आइडा ने कहा, “मैं एक कंप्यूटर प्रोग्राम हूं और कंप्यूटर प्रोग्राम व अल्गोरिदम पर निर्भर हूं. हालांकि मैं जीवित नहीं हूं लेकिन फिर भी मैं कला रच सकती हूं.”
तकनीक का कला पर कितना असर होगा, इस बारे में आइडा ने कहा कि इस सवाल का कोई एक स्पष्ट जवाब नहीं हो सकता. उसने कहा, “कलाकार अपने आपको जाहिर करने क लिए तकनीक के नए-नए इस्तेमाल खोजते रहेंगे और कलाकर्म में तकनीक का प्रयोग लगातार बढ़ता रहेगा. वे तकनीक, समाज और संस्कृति के आपसी रिश्ते के नए आयाम खोजते रहेंगे. व्यापक कलाक्षेत्र पर इसका क्या असर होगा, इसका कोई एक जवाब नहीं है. कलाकारों के लिए तकनीक को एक खतरा भी माना जा सकता है और मौका भी. ”
आइडा ने कई तरह की कलाकृतियां बनाई हैं जिनमें ब्रिटेन की दिवंगत महारानी एलिजाबेथ के चित्र भी शामिल हैं. उसकी कलाकृतियों को दुनियाभर में आर्ट गैलरी और प्रदर्शनियों में दिखाया जा चुका है. सांसदों ने उससे पहला सवाल यही किया था कि वह पेंटिंग कैसे करती है. इसके जवाब में उसने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एल्गोरिदम, आंखों में लगे कैमरे और रोबोटिक बांह की मदद से वह पेंटिंग करती है.
आइडा ने बताया कि उसने कविताएं भी लिखी हैं. उसने कहा कि ‘शब्दों के विशाल ढेर का विश्लेषण कर उसने साझा सामग्री और काव्य संरचनाएं खोजीं, जिनसे उसे कविताएं रचने में मदद मिली.’ अपनी कविताओं के बारे में उसने कहा, “मैं इस बारे में बात कर सकती हूं लेकिन मेरा इस बारे में कोई व्यक्तिगत अनुभव नहीं है.” उसने कहा कि इंसानी कविताओं और उसकी कविताओं में फर्क “चेतना” का है. संसदीय समिति ने कई विशेषज्ञों, कला क्षेत्र के लोगों और अकादमिक जगत की हस्तियों के भी विचार सुने.
एडन मेलर ने कहा कि इस चर्चा की वजह यह है कि तकनीक इंसानी लगती है और तब यह एक नैतिक समस्या बन जाती है. उन्होंने कहा, “एक बात जो एकदम स्पष्ट है कि लोग आज भी सोचते हैं कि रचनात्मकता एक मानवीय गतिविधि है. और मुझे खेद है कि मैं इस धारणा को तोड़ रहा हूं लेकिन इस क्षेत्र में लंबे समय से होने के नाते मैं कह सकता हूं कि रचनात्मकता एक प्रक्रिया है.”
उसकी कलाकृतियों की पहली प्रदर्शनी ऑक्सफर्ड विश्वविद्यालय में मई 2019 में लगाई गई थी. उसमें आठ रेखाचित्र, 20 पेंटिंग, चार मूर्तियां और दो वीडियो आर्ट पेश किए गए थे. दूसरी प्रदर्शनी उसी साल लंदन में आयोजित हुई. उसके बाद 2021 अक्टूबर में मिस्र के गीजा में आइडा ने अपनी मूर्तियों को दिखाया. आइडा ने 2.5 मीटर लंबी मिट्टी की एक मूर्ति बनाई है जो ‘स्फिंक्स की पहेलियों’ पर आधारित है.
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