अगर आपकी उम्र 50 से ज़्यादा है और आप कम से कम पांच घंटे भी नहीं सो रहे हैं तो इससे आपको कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि कम से कम पांच घंटे की नींद लेने से 50 से ज़्यादा उम्र में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का
अगर आपकी उम्र 50 से ज़्यादा है और आप कम से कम पांच घंटे भी नहीं सो रहे हैं तो इससे आपको कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि कम से कम पांच घंटे की नींद लेने से 50 से ज़्यादा उम्र में स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का ख़तरा कम हो जाता है. स्वास्थ्य ठीक न हो तो नींद में ख़लल पड़ सकती है. और अच्छी नींद नहीं आना किसी ख़तरे की आहट हो सकती है. इस बात के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं कि नींद से चीजों को याद रखने, मन-मस्तिष्क को तरोताज़ा रखने, उसे आराम देने में मदद मिलती है. लेकिन अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि कितने घंटे की नींद ‘गोल्डन नंबर’ है.
पीएलओएस मेडिसिन स्टडी में नौकरशाहों (सिविल सर्वेंट) के स्वास्थ्य और नींद पर नजर रखी गई. इस स्टडी में हिस्सा लेने वाले 8,000 लोगों से यह पूछा गया कि आप वीकनाइट में औसतन कितने घंटे सोते हैं. कुछ लोगों ने इसके लिए स्लीप वॉच का भी इस्तेमाल किया. उनकी क्रॉनिक (दीर्घकालिक) बीमारियों की जांच की गई. उनकी कई बीमारियों जैसे कि डायबिटीज, कैंसर, हृदय रोग की जांच की गई और उनसे करीब दो दशक का ब्योरा लिया गया. ये पाया गया कि जो लोग 50 साल की उम्र के आसपास पांच घंटे या उससे कम सोते हैं, उनमें सात घंटे सोने वालों की तुलना में कई बीमारियों का 30% अधिक ख़तरा होता है.
स्टडी के दौरान ये भी सामने आया है कि 50 साल की उम्र में कम सोने की वजह से मौत की आशंका बढ़ जाती है. मुख्य तौर पर क्रॉनिक बीमारियों की वजह से ही यह ख़तरा बढ़ता है. यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन और पेरिस सिटी यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का कहना है कि आम तौर पर विशेषज्ञ सात या आठ घंटे सोने की सलाह देते हैं. वैज्ञानिक इस बारे में सटीक तौर पर कुछ नहीं बता पाए हैं लेकिन एक बात स्पष्ट है कि अच्छी नींद चीजों को याद रखने, खुशनुमा मिजाज़, एकाग्रता और मेटाबॉलिज्म बेहतर करने में मदद करती है.
जरूरी है कि रात में भी एक रूटीन का पालन करें. आपके सोने की जगह आरामदायक और साफ-सुथरी हो. स्मार्टफोन को खुद से दूर रखें. सोने से पहले कैफीन और अल्कोहल लेने से बचें या इसकी मात्रा कम कर दें. अगर नींद नहीं आ रही हो तो खुद पर सोने का दबाव न डालें. बेहतर है कि बिस्तर से उठें और रिलैक्स रहनेवाली कुछ चीजें करें जैसे कि किताब पढ़ना या कुछ और. फिर जब नींद आने लगे तो बिस्तर पर लौट आएं. अगर आप ऐसी शिफ्ट में काम कर रहे हैं जो दिनचर्या के हिसाब से मुफीद न हो तो शिफ्ट से पहले थोड़ी देर की नींद लेने की कोशिश करें.
प्रोफेसर डर्क-जॉन डिज़्को का कहना है कि पर्याप्त घंटे की नींद नहीं लेना हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है. आम तौर पर यह स्वास्थ्य के लिहाज से सही नहीं है लेकिन कुछ लोगों के लिए यह ठीक हो सकता है. बड़ा सवाल यह भी है कि कुछ लोग क्यों कम सोते हैं. इसके पीछे की वजह क्या है और क्या इसे ठीक करने के लिए कुछ किया जा सकता है? नींद लाइफस्टाइल से जुड़ी ऐसी चीज है जिसमें एक हद तक बदलाव किया जा सकता है.
अगर लंबे वक्त तक अच्छी नींद न आए तो इससे हमारे स्वास्थ्य पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ सकता है. डॉक्टर नींद की गोलियां नहीं लेने को कहते हैं क्योंकि इसका न केवल स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है बल्कि नींद के लिए इस पर निर्भरता भी बढ़ जाती है. नींद की समस्याओं का समाधान हो सकता है और इसके लिए जरूरी मदद भी ली जा सकती है.
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