हिमाचल चुनाव में नेताओं के चार यार, दारू-डेरा-दरबार और दबंगई

हिमाचल चुनाव में नेताओं के चार यार, दारू-डेरा-दरबार और दबंगई

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए राजनेताओं की सारी रणनीति ‘4D’ के इर्द-गिर्द घूम रही है। 4-D यानी दारू, डेरा, दरबार (देव-दोष) और दबंगई। चुनाव में इन चारों का इस्तेमाल पहले भी होता आया है और इस बार भी नेता इन्हीं के सहारे हैं. इसकी पुष्टि राज्य निर्वाचन विभाग की रिपोर्ट से भी

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतने के लिए राजनेताओं की सारी रणनीति ‘4D’ के इर्द-गिर्द घूम रही है। 4-D यानी दारू, डेरा, दरबार (देव-दोष) और दबंगई। चुनाव में इन चारों का इस्तेमाल पहले भी होता आया है और इस बार भी नेता इन्हीं के सहारे हैं. इसकी पुष्टि राज्य निर्वाचन विभाग की रिपोर्ट से भी हो रही है, जिसके अनुसार, राज्य में अभी तक 21 करोड़ 21 लाख रुपए की नकदी के अलावा बड़ी मात्रा में अवैध शराब और नशीले पदार्थ जब्त किए गए हैं. चुनाव में वोटरों को रिझाने के लिए दारू (शराब) का इस्तेमाल बहुत पहले से होता रहा है. इसमें निशाना बनता है समाज का सबसे कमजोर वर्ग. हिमाचल पुलिस और एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग ने चुनाव के दौरान अवैध शराब और नशीले पदार्थों की सप्लाई रोकने के लिए जगह-जगह नाके लगाए हैं.
14 अक्टूबर को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव का ऐलान हुआ था. उसके बाद बीते 19 दिनों में इन नाकों पर अब तक 20176.965 लीटर शराब जब्त की जा चुकी है. जब्त की गई इस शराब की कीमत 17 करोड़ रुपए आंकी गई है. हिमाचल में डेरे भी किसी पार्टी विशेष के पक्ष में वोटिंग कराने/न कराने में अहम भूमिका निभाते हैं. राजनेता भी डेरों में जाकर वहां के प्रमुखों के सहारे वोटर को टारगेट कर रहे हैं. हिमाचल में ब्यास स्थित राधा स्वामी सत्संग के साथ-साथ निरंकारी मिशन, डेरा सच्चा सौदा और सतलोक आश्रम के अच्छे-खासे फॉलोअर हैं. बेशक इन डेरों के मुख्यालय पंजाब-हरियाणा में हैं, लेकिन हिमाचल में भी कई जगह इनके सत्संग स्थल और आश्रम बने हुए हैं. हिमाचल में दलित और अनुसूचित जाति के ज्यादातर लोग इन डेरों से जुड़े हैं. 5 नवंबर को हिमाचल में 2 चुनावी सभाएं करने आ रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी उसी दिन ब्यास स्थित राधा स्वामी डेरे में जाकर वहां के मुखिया से मुलाकात करेंगे.
हिमाचल के उद्योग एवं परिवहन मंत्री और जसवां-परागपुर से बीजेपी कैंडिडेट बिक्रम सिंह ठाकुर पिछले दिनों डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम से ऑनलाइन सत्संग के दौरान आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। राम रहीम को अपने डेरे की साध्वियों के यौन शोषण के अलावा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्याकांड और रणजीत हत्याकांड में उम्रकैद की सजा हो चुकी है.
राम रहीम कई बरसों से हरियाणा की रोहतक जेल में बंद है और हाल ही में 40 दिन की पैरोल पर बाहर आया है. राम रहीम हिमाचल में भी सत्संग कर चुका है. साध्वियों का रेप करने वाले का आशीर्वाद लेने में बीजेपी के कैंडिडेट बिक्रम सिंह ठाकुर को कोई गुरेज नहीं है. चौथा-डी दबंगई का द्योतक है. चुनाव में सरेआम दबंगई के उदाहरण दून, हरोली, बिलासपुर और कांगड़ा जिले के कुछ सरहदी इलाकों में सामने आ चुके हैं. यही वजह है कि चुनाव विभाग भी इन इलाकों के पोलिंग बूथों को संवेदनशील और अति संवेदनशील श्रेणी में रखता है. देवभूमि हिमाचल में मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए राजनेता देवताओं के ‘दरबार’ के नाम का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. यह प्रैक्टिस रामपुर, कोटी, कुल्लू, चंबा, कुठार, नालागढ़, कुटलैहड़, नाहन और क्योंथल रियासत में ज्यादा नजर आती है.
कई इलाकों में लोग भी देव-दोष के डर से इन रियासतों के वंशजों को ही वोट देते हैं। कारण- ग्रामीण इलाकों में लोग आज भी इन्हें देवता स्वरूप मानते हैं. सिरमौर में गिरिपार एरिया समेत प्रदेश के कई दुर्गम इलाकों में ‘लूण-लोटा’ का सहारा लेकर भी वोटरों को अपने पक्ष में किया जाता है. इसमें नेताओं और उनके समर्थकों द्वारा पानी से भरे लोटे में नमक डालकर लोगों को अपने पक्ष में वोट डालने के लिए देवता की कसम खिलाई जाती है. इस तरह की प्रैक्टिस का सबसे ज्यादा शिकार कमजोर, दलित व शोषित वर्ग के लोग बनते हैं.

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