नहीं संभले तो उत्तराखंड में भीषण प्राकृतिक आपदाओं की पुनरावृत्ति संभव – एसपी सती

नहीं संभले तो उत्तराखंड में भीषण प्राकृतिक आपदाओं की पुनरावृत्ति संभव – एसपी सती

विकास बेहद जरूरी है, लेकिन हिमालयी क्षेत्र में होने वाले विकास के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण जरूरी है. यदि ऐसा नहीं हुआ तो पिछले एक दशक में आई बड़ी प्राकृतिक आपदाओं की पुनरावृत्ति कभी भी संभव है. यह बात चंद्र सिंह गढ़वाली वानिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसपी सती ने देहरादून में गतदिवस उत्तरजन के सामाजिक संवाद

विकास बेहद जरूरी है, लेकिन हिमालयी क्षेत्र में होने वाले विकास के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण जरूरी है. यदि ऐसा नहीं हुआ तो पिछले एक दशक में आई बड़ी प्राकृतिक आपदाओं की पुनरावृत्ति कभी भी संभव है. यह बात चंद्र सिंह गढ़वाली वानिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसपी सती ने देहरादून में गतदिवस उत्तरजन के सामाजिक संवाद शृंखला के एक कार्यक्रम में कही.
उन्होंने कहा कि हिमालय की चिंता करना केवल हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले लोगों की ही जिम्मेदारी नहीं, बल्कि पूरे विश्व और खासतौर से दक्षिण एशियाई देशों की जिम्मेदारी है क्योंकि हिमालय एक ऐसी प्राकृतिक संरचना है, जो दक्षिण एशियाई देशों की जलवायु को नियंत्रित और प्रभावित करती है. उन्होंने कहा कि चाहे बड़े बांधों का विषय हो या पहाड़ों में तेजी से बन रही सड़कों का मामला, विकास की इन सभी गतिविधियों को एक अलग वैज्ञानिक नजरिए से देखना जरूरी है. हिमालय अभी अपने निर्माण की अवस्था में है और बेहद संवेदनशील है. दुनिया में लगातार हो रहे जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है.
जियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व निदेशक उत्तम सिंह रावत ने आपदा प्रबंधन के मामले में जन जागरूकता को सबसे महत्वपूर्ण बताया. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. विनय आंनद बौड़ाई ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों से एक नई ऊर्जा का संचार होता है. उत्तरजन के सचिव सुशील कुमार ने कहा कि समाज की एक शक्ति होती है, जो समाज को बदल भी सकती है.
संयोजक लोकेश नवानी ने कहा कि यदि समाज का प्रबुद्ध वर्ग किसी विषय को उठाएगा तो समाज और सरकार का ध्यान आकर्षित होगा. कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रेम बहुखंडी ने किया. इस मौके पर डॉ. जयंत नवानी, डॉ. विजय बहुगुणा, यूएस रावत, कर्नल आनंद थपलियाल, डॉ. राजेश कुकसाल, डॉ राजीव राणा, डॉ. सुधीर बिष्ट, डॉ. सुमंगल सिंह, डॉ. कुमुदिनी नौटियाल, डॉ. अर्चना नौटियाल, दून विश्विद्यालय के प्रोफेसर एचसी पुरोहित, वरिष्ठ पत्रकार दिनेश जुयाल, डॉ. पीडी जुयाल, डॉ. बीपी नौटियाल, जयदीप सिंह रावत, बिमला रावत, निधि सूद, शैल बिष्ट, बीना कंडारी, संदीप नेगी, आशु जोशी आदि मौजूद रहे.

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