रूस-यूक्रेन में भीषण युद्ध भड़का तो दुनिया की कमर तोड़ देगी मंदी

रूस-यूक्रेन में भीषण युद्ध भड़का तो दुनिया की कमर तोड़ देगी मंदी

पश्चिमी देशों के युद्ध विश्लेष अब यह मानकर चल रहे हैं कि आने वाले दिनो में रूस और यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध होने वाला है. संभावित ख़तरे को भांपते हुए यूक्रेन की राजधानी कीएव में भारतीय दूतावास ने अपने नागरिकों के लिए एक एडवाइजरी भी जारी कर दी है. इसमें भारतीय नागरिकों से फ़िलहाल

पश्चिमी देशों के युद्ध विश्लेष अब यह मानकर चल रहे हैं कि आने वाले दिनो में रूस और यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध होने वाला है. संभावित ख़तरे को भांपते हुए यूक्रेन की राजधानी कीएव में भारतीय दूतावास ने अपने नागरिकों के लिए एक एडवाइजरी भी जारी कर दी है. इसमें भारतीय नागरिकों से फ़िलहाल यूक्रेन की यात्रा न करने की सलाह दी गई है. युद्ध भयानक होने का नतीजा उससे भी भयानक होगा. मंदी और महंगाई पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारी उथल-पुथल मचा देगी. नेटो और यूरोपीय संघ की चेतावनी के बावजूद रूस ने इस साल 24 फ़रवरी को यूक्रेन में अपनी सेना भेज दी. रूस ने अपने क़दम को सैन्य अभियान बताया था, लेकिन यूक्रेन ने इसे हमला क़रार दिया था. शायद रूस को उम्मीद थी कि कमज़ोर यूक्रेन उनकी सैन्य ताक़त के सामने कुछ ही दिनों में समर्पण कर देगा और उनका सैन्य अभियान अपने मक़सद को पूरा कर लेगा.
हवा, ज़मीन और पानी के रास्ते रूस ने शुरुआती घंटों में यूक्रेन को असहाय-सा कर दिया. ऐसा लगा कि बस कुछ ही दिनों में यूक्रेन का अस्तित्व ख़तरे में आ जाएगा लेकिन यह युद्ध रूस के अनुमान से ज़्यादा लंबा खींच चुका है. क़रीब आठ महीने से चल रहे इस युद्ध को हाल की कई घटनाओं ने ज़्यादा भड़का दिया है. इससे यह युद्ध ज़्यादा भीषण हो सकता है. एक तरफ रूस पर पश्चिमी देशों का दबाव लगातार बना हुआ है. दूसरी तरफ़ रूस ने अपने क़ब्ज़े में लिए चार यूक्रेनी इलाक़ों में ‘मार्शल लॉ’ लगा दिया है. रूस अब इन्हें अपना इलाक़ा बता रहा है. हालाँकि पश्चिमी देशों ने रूस के इस दावे को नकारा भी और इसकी आलोचना भी की. इनमें दोनेत्स्क, लुहान्स्क और ख़ेरसोन भी शामिल है. रूसी क़ानून के मुताबिक़ मार्शल लॉ लगाने से रूस को इन इलाक़ों में सेना को मज़बूत करने, कर्फ्यू लगाने, लोगों के आने-जाने पर पाबंदी जैसे कई आदेश जारी करने का अधिकार मिल गया है. इन इलाक़ों में यूक्रेन लगातार रूस को कड़ी टक्कर दे रहा है. यूक्रेन का दावा है कि उसने कई इलाक़ों को रूसी क़ब्ज़े से आज़ाद करा लिया है.
हज़ारों लोग यूक्रेन के ख़ेरसोन के दक्षिणी इलाक़ों को छोड़ बाहरजा रहे हैं. यूक्रेन का आरोप है कि रूस आम लोगों को ढाल बना रहा है. यूक्रेन में बढ़ा बिजली और पानी का संकट. रूस का यूक्रेन के बिज़ली घरों पर हमले के बाद वहाँ लोगों से पानी का स्टॉक और सभी ज़रूरी उपकरण चार्च कर रखने की सलाह दी गई है. जर्मनी ने अपने साइबर सिक्योरिटी प्रमुख को बर्ख़ास्त कर दिया है. जर्मन मीडिया के मुताबिक़, उनपर रूस कीख़ुफ़िया सेवा से जुड़े लोगों से क़रीबी संबंध रखने का आरोप है. इटली के पूर्व प्रधानमंत्री सिल्वियो बर्लुस्कोनी को पुतिन ने जन्मदिन पर 20 बोतल शराब भेंट की है. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को चिट्ठी भी लिखी है. बर्लुस्कोनी इटली की अगली सरकार में शामिल होने वाले हैं.
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेन्स्की ने कहा है कि रूस के अधिकारी ‘अपने लोगों को’ परमाणु हथियारों के संभावित इस्तेमाल को लेकर तैयार करने लगे हैं. हालाँकि, उन्हें इस बात का यक़ीन नहीं कि रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए तैयार है. यूक्रेन की सरकार उखाड़ फेंकने में मिली शुरुआती विफलता के बाद व्लादिमीर पुतिन ने परमाणु हथियार के इस्तेमाल की बात कही थी. अब एक बार फिर रूस बैकफुट पर हैं, तो रूस ने परमाणु हथियारों की बात फिर उठाई है. रूस के सैन्य सिद्धांत के मुताबिक़, परमाणु हथियार तभी इस्तेमाल किए जाएँगे, जब एक देश के रूप में रूस पर ख़तरा होगा. लेकिन यूक्रेन पर किसी भी तरह के परमाणु हमले से रूस को भी पश्चिमी देशों की तरफ़ से ऐसे ही जवाब मिलने की आशंका है.
रूस केर्च ब्रिज का इस्तेमाल यूक्रेन तक सैन्य उपकरण ले जाने के लिए करता था. रूस ने साल 2014 में क्राइमिया पर क़ब्ज़ा कर लिया था. साल 2018 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस पुल का उद्घाटन किया था. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने क्राइमिया को रूस से जोड़ने वाले पुल पर ट्रक बम धमाके को “आतंकवादी घटना” क़रार देते हुए यूक्रेन पर पुल को निशाना बनाने का आरोप लगाया.
आठ अक्तूबर को पुल पर आग की घटना के बाद से रूस ने यूक्रेन के कई शहरों में मिसाइल हमले शुरू कर दिए. युद्ध शुरू होने के बाद से पहली बार यूक्रेन की राजधानी कीएव के मध्य में लंबी दूरी वाली मिसाइलों से हमले किए गए. रूसी क़ब्ज़े वाले कई इलाक़ों को आज़ाद कराने के लिए यूक्रेनी सेना ने हाल के हफ़्तों में तेज़ी से हमले किए हैं. सितंबर के अंतिम सप्ताह में ऐसे हमले और ज़्यादा तेज़ हो गए. इससे रूसी सेना को तमाम ऐसी जगहों से पीछे हटना पड़ा है, जिन पर कई सप्ताह से उनका क़ब्ज़ा था. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने एक बयान जारी कर कहा है कि यूक्रेन की सेना अपने डिफेंस ऑपरेशन के तहत देश के दक्षिणी हिस्से में तेज़ी और मज़बूती से आगे बढ़ रही हैं. ज़ेलेंस्की ने दावा किया है कि दर्ज़नों ठिकानों को रूस के फ़र्ज़ी जनमत-संग्रह के नियंत्रण से मुक्त कर लिया गया है. ये ख़ेरसोन, ख़ारकीएव, लुहांस्क और दोनेत्स्क क्षेत्रों में हैं. हालाँकि रूस ने आरोप लगाया है कि यूक्रेन ख़ेरसोन में आम घरों पर हमले कर रहा है.
पुतिन ने विगत 30 सितंबर को औपचारिक रूप से यूक्रेन के चार इलाक़ों का अपने देश में विलय करने का एलान किया था. रूस का दावा है कि यह फ़ैसला इन चार इलाक़ों में रूस के अपनी तरह के जनमत संग्रह के नतीज़ों के बाद लिया है. यूक्रेन के पूर्व के लुहांस्क, दोनेत्स्क और दक्षिण के ज़ापोरिज़्ज़िया, खेरसोन में जनमत संग्रह कराए जाने का रूस ने दावा किया है. रूस समर्थित अधिकारियों ने दावा किया था कि पाँच दिनों तक चले इस जनमत संग्रह को लोगों का बड़ा समर्थन मिला है. हालाँकि पश्चिम के देशों ने इस जनमत संग्रह को दिखावा और यूक्रेन की ज़मीन हड़पने का एक बहाना बताया. रूस समर्थित अधिकारियों ने पहले यह दावा किया कि पाँच दिनों तक चले इस जनमत संग्रह को लोगों का बड़ा समर्थन मिला है. जनमत संग्रह पर तथाकथित मतदान, पूर्वी भाग के लुहांस्क, दोनेत्स्क और दक्षिण के ज़ापोरिज़्ज़िया, खेरसोन में करवाए गए. रूस ने 2014 में क्राइमिया को क़ब्ज़े में लेने से पहले भी एक जनमत संग्रह कराया था. रूस ने क्राइमिया को 18 मार्च, 2014 को औपचारिक रूप से रूस में मिला लिया था. क्राइमिया के उस क़ब्ज़े को एक बड़े अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कभी स्वीकृति नहीं मिली.

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