हिमाचल बीजेपी को चुनावी बेला में कांगड़ा और हमीरपुर जिले से दो झटके लगे हैं। हमीरपुर से भाजपा नेता आशीष शर्मा और कांगड़ा से युवा नेता एवं जिला परिषद सदस्य चैतन्य शर्मा ने दिल्ली में कांग्रेस जॉइन कर ली है। इन दोनों युवा नेता को कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। आशीष
हिमाचल बीजेपी को चुनावी बेला में कांगड़ा और हमीरपुर जिले से दो झटके लगे हैं। हमीरपुर से भाजपा नेता आशीष शर्मा और कांगड़ा से युवा नेता एवं जिला परिषद सदस्य चैतन्य शर्मा ने दिल्ली में कांग्रेस जॉइन कर ली है। इन दोनों युवा नेता को कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। आशीष शर्मा को कांग्रेस हमीरपुर से चुनावी मैदान में उतार सकती है। वहीं चैतन्य शर्मा को गगरेट से टिकट दे सकती है। चैतन्य के आने से पूर्व विधायक राकेश कालिया का टिकट कटना सकता है। राकेश कालिया पूर्व में चिंतपूर्णी से विधायक रह चुके हैं। चैतन्य के अलावा राज्य उद्योग निगम के वाइस चेयरमैन मनोहर धीमान भी कांग्रेस के संपर्क में है। कांग्रेस उनसे बात कर रही है। यदि सहमति बनी तो कांग्रेस धीमान को इंदौरा से टिकट दे सकती है। इंदौरा में कांग्रेस का अभी कोई बड़ा नेता नहीं है। बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर की बेटी वंदना गुलेरिया बागी होने का पहले ही ऐलान कर चुकी हैं। अब उन्हें भी धर्मपुर से कांग्रेस टिकट देने पर विचार कर रही है। वंदना गुलेरिया कांग्रेस नेता के संपर्क में हैं। यदि कांग्रेस वंदना को अपना प्रत्याशी बनाती है तो धर्मपुर में भाई-बहन के बीच मुकाबला होगा। भाजपा ने यहां से महेंद्र सिंह ठाकुर के बेटे रजत ठाकुर को टिकट दे रखा है। वंदना के टिकट से 2 बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ चुके चंद्रशेखर और डॉ. पन्ना लाल का पत्ता कट सकता है।
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने सभी 68 प्रत्याशियों के टिकट घोषित कर दिए हैं। दूसरी सूची में कुल्लू से महेश्वर सिंह, बड़सर से माया शर्मा, हरोली से प्रो. रामकुमार और रामपुर से कौल नेगी को प्रत्याशी घोषित किया गया है। देहरा से विधायक रमेश धवाला और ज्वालामुखी से पूर्व मंत्री रविंद्र सिंह रवि चुनाव लड़ेंगे। इस बार दोनों के विधानसभा क्षेत्र बदल दिए गए हैं। ज्वालामुखी रमेश धवाला का और देहरा रविंद्र रवि का पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र रहा है। ज्वालामुखी भाजपा विधायक रमेश धवाला की पारंपरिक सीट रही है। वर्ष 1998 में बतौर निर्दलीय विधायक विधानसभा पहुंचे धवाला बाद में भाजपा में आ गए। वह पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के करीबी रहे हैं। पिछले पांच साल के कार्यकाल में धवाला अपनी ही सरकार की कार्यशैली पर भी आक्रामक मुद्रा में नजर आते रहे। संगठन महामंत्री पवन राणा से भी उनकी खूब तनानती रही। ज्वालामुखी में भाजपा वैसे भी गुटों में बंटी हुई थी। अब यहां पर पूर्व मंत्री रविंद्र सिंह रवि को टिकट देकर और रमेश धवाला को ज्वालामुखी से देहरा भेजकर भाजपा ने नया प्रयोग किया है। हालांकि देहरा में निर्दलीय होशियार सिंह को टिकट न देने से वह भाजपा के लिए चुनौती होंगे।
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