भारत में मानवाधिकार हनन पर यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस की ख़री-ख़री, दो टूक

भारत में मानवाधिकार हनन पर यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरस की ख़री-ख़री, दो टूक

दिलचस्प है कि आज़, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केवड़िया में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से मुलाकात के बाद स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में ‘मिशन लाइफ’(लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) अभियान की शुरुआत कर गुटेरस के साथ मंच साझा किया, गुटेरस ने भारत में मानवाधिकार हनन पर गंभीर टिप्पणियां करते हुए दो टूक कहा है कि

दिलचस्प है कि आज़, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केवड़िया में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस से मुलाकात के बाद स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में ‘मिशन लाइफ’(लाइफ स्टाइल फॉर एनवायरनमेंट) अभियान की शुरुआत कर गुटेरस के साथ मंच साझा किया, गुटेरस ने भारत में मानवाधिकार हनन पर गंभीर टिप्पणियां करते हुए दो टूक कहा है कि भारत की बात वैश्विक मंच पर तभी गंभीरता से ली जाएगी, जब वह अपने घर में मानवाधिकारों को लेकर प्रतिबद्ध रहेगा. भारत को गांधी के मूल्यों पर चलने की ज़रूरत है. भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को भी सुरक्षा मिलनी चाहिए. भारत का स्वतंत्रता आंदोलन प्रेरणादायी रहा और इससे यूरोप के उपनिवेशवाद को दुनिया भर में झटका लगा. जब नरेंद्र मोदी सरकार वैश्विक नेतृत्व में भारत की अहम भूमिका को लेकर दावा कर रही है, उस वक़्त यूएन प्रमुख के इस बयान को झटके के तौर पर देखा जा रहा है.
गुटेरस कहते हैं कि जब भारत अपने घर में समावेशी व्यवस्था और मानवाधिकारों को लेकर मज़बूती से प्रतिबद्धता दिखाएगा, तभी उसकी आवाज़ को वैश्विक मंच पर भी गंभीरता से लिया जाएगा. भारत मानवाधिकार परिषद में निर्वाचित सदस्य है और उसकी यह ज़िम्मेदारी है कि वैश्विक मानवाधिकार को दिशा दे और अल्पसंख्यक समेत सभी व्यक्तियों के मानवाधिकारों की रक्षा करे. भारत में बहुलतावाद का मॉडल बहुत सरल है लेकिन इसकी समझ बहुत गहरी है. विविधता एक तरह की संपन्नता है और इससे आपका देश मज़बूत होता है. जन्मसिद्ध अधिकार सभी भारतीयों के पास है लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है. इसे हर दिन और हर समाज में मज़बूत करने की ज़रूरत है. गांधी के मूल्यों पर चलते हुए सभी के अधिकारों और मानवीय गरिमा का सम्मान होना चाहिए. ख़ास कर उनका जो मुश्किल स्थिति में रह रहे हैं. समावेशी, बहुसांस्कृतिक, बहुधार्मिक और बहुनस्ली समाज को सुरक्षा देनी चाहिए.
हालाँकि यूएन प्रमुख ने पिछले 75 सालों में भारत की कई उपलब्धियों के लिए प्रशंसा भी की. उन्होंने कोविड महामारी में दुनिया भर में मोदी सरकार की ओर से वैक्सीन पहुँचाने की नीति की भी तारीफ़ की. यूएन प्रमुख ने कहा, हेट स्पीच की स्पष्ट रूप से निंदा होनी चाहिए. पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, छात्रों और एकेडमिक्स की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा होनी चाहिए. इसके अलावा भारत की न्यायपालिका की स्वतंत्रता भी क़ायम रहनी चाहिए. पूरी दुनिया भारत को इसी रूप में जानती है. मैं भारतीयों से आग्रह करता हूँ कि वे समावेशी, बहुलतावादी और विविध समाज की सुरक्षा को लेकर सतर्क रहें.
एंटोनियो गुटेरस भारत और भारतीयों को जब ये नसीहतें दे रहे थे, उसके ठीक एक दिन पहले मंगलवार को कश्मीरी फ़ोटो जर्नलिस्ट सना इरशाद मट्टू ने ट्वीट कर कहा था कि वह पुलित्ज़र अवॉर्ड लेने न्यू यॉर्क जा रही थीं, तभी उन्हें नई दिल्ली एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन वालों ने रोक लिया. मोदी सरकार पर अल्पसंख्यकों के अधिकारों और गरिमा की सुरक्षा न करने के भी आरोप लगते रहे हैं. बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप और उनके परिवार के 14 सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों को जेल से रिहा करने को लेकर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं. मारे गए 14 लोगों में बिलकिस की की तीन साल की बेटी भी शामिल थी. गुजरात के गोधरा में हुई हिंसा के बाद दाहोद ज़िले में तीन मार्च, 2002 को बिलकिस बानो और उनके परिवार के साथ यह संगीन अपराध हुआ था.
कई लोग आरोप लगा रहे हैं कि बिलकिस बानो मुसलमान हैं और अपराध करने वाले हिन्दू, इसलिए प्रशासन ने सबको जेल से बाहर आने दिया. हालाँकि गुजरात सरकार का कहना है कि यह न्यायिक प्रक्रिया के तहत ही हुआ है और इसमें कुछ भी ग़लत नहीं है. दिलचस्प है कि गुटेरस गुरुवार को गुजरात में प्रधानमंत्री मोदी के साथ मंच साझा करने वाले हैं. गुटेरस ने कहा, भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अहिंसा की नीति से दुनिया भर में उपनिवेश विरोधी आंदोलन को ऊर्जा मिली है. भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई प्रेरणादायी रही है और इससे दुनिया भर में यूरोप के उपनिवेशवाद को झटका लगा था. अंग्रेज़ी अख़बार द हिन्दू की नेशनल और डिप्लोमैटिक अफ़ेयर्स एटिडर सुहासिनी हैदर ने एंटोनियो गुटेरस के वीडियो को ट्वीट करते हुआ लिखा है, ‘आईआईटी में गुटेरस ने भारत में मानवाधिकार को लेकर अप्रत्याशित और मज़बूती से बोला है.’
सुहासिनी के इस ट्वीट के जवाब में भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने लिखा है, ‘यूएन प्रमुख का सार्वजनिक रूप से भारत को मानवाधिकारों पर लेक्चर देना अनुचित है. वह मानवाधिकारों के मामले में संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था और एनजीओ को उकसा रहे हैं. यह हमारे लोकतंत्र का अनादर है. यह दिलचस्प है कि वीगर मुसलमानों के मुद्दे पर वह सार्वजनिक रूप से चुप रहते हैं. यूएन महासचिव को दोहरा मानदंड नहीं अपनाना चाहिए.’ भारत में मानवाधिकार पर यूएन प्रमुख की टिप्पणी विदेशी मीडिया में भी छा गई है. ख़ास कर पाकिस्तान और मध्य-पूर्व के मीडिया में. तुर्की के टीआरटी वर्ल्ड ने लिखा है, ‘2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद से अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ नफ़रत बढ़ी है. ख़ासकर भारत के 20 करोड़ मुसलमानों के ख़िलाफ़. यहाँ तक कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के नायक रहे महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू को लेकर भी बीजेपी के भीतर नफ़रत बढ़ी है.’
पाकिस्तान के अख़बार डॉन ने गुटेरस के बयान वाली ख़बर प्रमुखता से छापी है. डॉन ने लिखा है कि यूएन प्रमुख ने मानवाधिकार के मुद्दे पर भारत को फटकार लगाई. अख़बार ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के हवाले से ये भी लिखा है कि जब से नरेंद्र मोदी सत्ता में आए हैं, अल्पसंख्यकों ख़ासकर मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत वाले बयानों में तेज़ी आई है. मोदी सरकार के आने के बाद प्रेस की आज़ादी से जुड़ी रिपोर्ट भी नकारात्मक रही है. मीडिया अधिकार समूह रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ़) ने प्रेस की आज़ादी के इंडेक्स में भारत को 142वें नंबर पर रखा है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि हिन्दू राष्ट्रवादी सरकार मीडिया को नियंत्रित करने में लगी है. भारत इस इंडेक्स में पिछले चार सालों से लगातार नीचे खिसकता जा रहा है, वह साल 2017 में 136वें, साल 2018 में 138वें, साल 2019 में 140वें और पिछले साल 142वें नंबर पर पहुँच गया.
साल 2021 में रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने पाँच साल बाद जारी की गई अपनी ‘गैलरी ऑफ़ ग्रिम पोट्रेट’ में पीएम मोदी समेत कई नए चेहरों को शामिल किया है. दुनिया भर में प्रेस की स्वतंत्रता और पत्रकारों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने ऐसे 37 राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के नाम प्रकाशित किए हैं जो उसके मुताबिक ‘प्रेस की आज़ादी पर लगातार हमले कर रहे हैं.’ इसे संस्था ने ‘गैलरी ऑफ़ ग्रिम पोट्रेट’ कहा है यानी निराशा बढ़ाने वाले चेहरों की गैलरी. इस गैलरी के 37 चेहरों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा भी शामिल है. भारत में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के नेता और मंत्री इस तरह की रिपोर्टों को ‘पक्षपातपूर्ण’ और ‘पूर्वाग्रह से प्रेरित’ बताते रहे हैं, उनका कहना है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहाँ प्रेस को आलोचना करने की पूरी आज़ादी है.

Posts Carousel

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

Latest Posts

Follow Us